Wednesday, 2 April 2025

अष्टकम (Ashtakam) का पाठ

अष्टकम (Ashtakam) का पाठ करने से मन को शांति मिलती है, जीवन के कष्ट कम होते हैं, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है. 
विभिन्न अष्टकमों के लाभ:
नारायण अष्टकम:
नियमित पाठ से मन को शांति, आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है, जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है, पापों का नाश होता है, और धन-समृद्धि आती है. 
महालक्ष्मी अष्टकम:
भक्तिपूर्वक पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, पाप नष्ट होते हैं, और धन-अन्न की प्राप्ति होती है. 
श्री कृष्ण अष्टकम:
भगवान कृष्ण जल्दी प्रसन्न होते हैं, कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं, और सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 
हनुमान अष्टक:
हनुमान जी को प्रसन्न करने से हर तरह के संकट दूर होते हैं, जीवन में खुशियां आती हैं. 
गोपाल अष्टकम:
संतान प्राप्ति के लिए नियमित पाठ करने से संतान योग बनते हैं. 
भवानी अष्टकम:
यह अष्टकम भक्तों को भगवान की शरण में रहने और उनसे सब कुछ पाने का संदेश देता है. 
अष्टकम पाठ के सामान्य लाभ:
मानसिक शांति:
नियमित पाठ से मन शांत और स्थिर होता है. 
कष्टों से मुक्ति:
अष्टकम पाठ जीवन के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है. 
पाप नाश:
अष्टकम पाठ से पापों का नाश होता है. 
भक्ति और भाव में वृद्धि:
अष्टकम पाठ से भगवान के प्रति भक्ति और भाव में बढ़ोतरी होती है. 
सफलता:
अष्टकम पाठ से सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 
रोग और कष्टों से राहत:
अष्टकम पाठ से रोग और कष्टों से राहत मिलती है. 
साहस और आत्मविश्वास:
अष्टकम पाठ भय और चिंता को दूर कर साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है. 
धन-समृद्धि:
अष्टकम पाठ से जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है.

अष्टकम (Ashtakam) का पाठ

अष्टकम (Ashtakam) का पाठ करने से मन को शांति मिलती है, जीवन के कष्ट कम होते हैं, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है. 
विभिन्न अष्टकमों के लाभ:
नारायण अष्टकम:
नियमित पाठ से मन को शांति, आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है, जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है, पापों का नाश होता है, और धन-समृद्धि आती है. 
महालक्ष्मी अष्टकम:
भक्तिपूर्वक पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, पाप नष्ट होते हैं, और धन-अन्न की प्राप्ति होती है. 
श्री कृष्ण अष्टकम:
भगवान कृष्ण जल्दी प्रसन्न होते हैं, कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं, और सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 
हनुमान अष्टक:
हनुमान जी को प्रसन्न करने से हर तरह के संकट दूर होते हैं, जीवन में खुशियां आती हैं. 
गोपाल अष्टकम:
संतान प्राप्ति के लिए नियमित पाठ करने से संतान योग बनते हैं. 
भवानी अष्टकम:
यह अष्टकम भक्तों को भगवान की शरण में रहने और उनसे सब कुछ पाने का संदेश देता है. 
अष्टकम पाठ के सामान्य लाभ:
मानसिक शांति:
नियमित पाठ से मन शांत और स्थिर होता है. 
कष्टों से मुक्ति:
अष्टकम पाठ जीवन के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है. 
पाप नाश:
अष्टकम पाठ से पापों का नाश होता है. 
भक्ति और भाव में वृद्धि:
अष्टकम पाठ से भगवान के प्रति भक्ति और भाव में बढ़ोतरी होती है. 
सफलता:
अष्टकम पाठ से सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 
रोग और कष्टों से राहत:
अष्टकम पाठ से रोग और कष्टों से राहत मिलती है. 
साहस और आत्मविश्वास:
अष्टकम पाठ भय और चिंता को दूर कर साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है. 
धन-समृद्धि:
अष्टकम पाठ से जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है.

Wednesday, 12 March 2025

होलिका दहन स्तोत्र ।।

सभी देशवासियों को
        पावन होलिका दहन पर्व
                 की हार्दिक शुभकामनाएं !

।। होलिका दहन स्तोत्र ।।

होली जलाते समय या होली जलाने के बाद तीन या पांच परिक्रमा करने के पश्चात होलिका को दोनों हाथो से नमस्कार करके यह स्तोत्र बोलने से होलिका माता मनुष्य के सभी पापो को हर लेती है, सभी सन्तापों को हर लेती है, और सभी प्रकार से कल्याण करती है होलिका जगन्माता बन के सर्वसिद्धियाँ प्रदान करती हैं, सुखशान्ति प्रदान करती हैं।

                 * होलिका दहन स्तोत्र *

ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।

अर्थ-
ॐ, मैं उस महान् ज्योति का, अग्निदेव का ध्यान करता हूँ। वह (शुभ) अग्नि हमें (समृद्धि और कल्याण की ओर) प्रेरित करे।

पापं तापं च दहनं कुरु कल्याणकारिणि।
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः।।

होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव।।

वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव।।

अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः।
 अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।

 त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च।
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः।।

होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव।।

 वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव।।

अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः।
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।

त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च।
जल्पन्तु स्वेछ्या लोकाः निःशङ्का यस्य यन्मतम्।।

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय महाचक्राय महाज्वालाय दीप्तिरूपाय सर्वतो रक्ष रक्ष मां महाबलाय नमः।

ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय पराय परम पुरूषाय परमात्मने परकर्म मंत्र यंत्र औषध अस्त्र शस्त्राणि संहर संहर मृत्योर्मोचय मोचय ओम नमो भगवते सुदर्शनाय दीप्ते ज्वालादित्याय, सर्वदिक् क्षोभण कराय हूं फट् ब्रहणे परं ज्योतिषे नमः।

ॐ नमो भगवते सुदर्शनाय वासुदेवाय, धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय, सकला भय विनाशाय, सर्व रोग निवारणाय त्रिलोक पतये, त्रिलोकीनाथाय ॐ श्री महाविष्णु स्वरूपाय ॐ श्रीं ह्मीं ऐं औषधि चक्र नारायणाय फट्!!

ॐ ऐं ऐं अपराजितायै क्लीं क्लीं नमः।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं हूं हूं त्रैलोक्यमोहन विष्णवे नमः।

ॐ त्रैलोक्यमोहनाय च विद्महे, आदिकामदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।

ॐ तेजोरूपाय च विद्महे, विष्णु पत्न्यै धीमहि। तन्नो श्री: प्रचोदयात्।

इस साल होलिका दहन १३ मार्च २०२५ गुरुवार और १४ मार्च २०२५ को होली खेली जाएगी। होलिका दहन के लिए लकड़ी और उपले आदि एकत्रित किए जाते हैं। होलिका दहन से पूर्व उसमें गुलाल समेत अन्य सामग्रियां डाली जाती हैं। होलिका की अग्नि को अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि होलिका की अग्नि में कुछ विशेष चीजों को डालने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

   ।। पावनपर्व होलिका दहन की शुभकामनाएं ।।

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 🌼🍃 शिवपार्वतीपत्य नमः 🍃🌼
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Friday, 10 January 2025

रवि पुष्य योग



रवि पुष्य योग (रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र) में गूलर के फूल एवं कपास की रूई मिलाकर बत्ती बनाएं तथा उस बत्ती को मक्खन से जलाएं | फिर जलती हुई बत्ती की ज्वाला से काजल निकालें | इस काजल को रात में अपनी आंखें में लगाने से समस्त जग वश में हो जाता है | ऐसा काजल किसी को नहीं देना चाहिए |

मन्त्र



:-स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए नित्य एक माला महामृत्युंजय की जाप अवश्य करें। 40 दिन बाद से परिणाम दिखने प्रारंभ हो जायेगा।

:-जिन व्यक्तियों को कर्ज से राहत न मिल रही हो या खर्च ज्यादा हो, आवक कम हो, वे लक्ष्मीजी का  मंत्र प्रारंभ कर दें।  ऐश्वर्य, लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

मंत्र:-श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा

:- इस वर्ष गुरु उच्च के हो रहे हैं अत: जिन्हें भी दीक्षा लेने की इच्छा हो, व विद्वान से सलाह लेकर इस समय का लाभ उठा सकते हैं।

जिन व्यक्तियों के किसी भी कार्य में रुकावट हो, वे बसंत पंचमी से नित्य एक माला करें।

मंत्र- ॐ श्रीं श्रीं ॐ ॐ श्रीं श्रीं हूं फट् स्वाहा। ।

जिन व्यक्तियों को राज्य से या बड़े व्यक्तियों से कार्य में अड़चन आ रही हो, वे एक माला मकर संक्रांति से नित्य करें।

मंत्र- ॐ नमो भास्कराय त्रिलोकात्मने।
महपति वश्यं कुरु-कुरु स्वाहा। ।

महा वशीकरण मन्त्र :-



महा वशीकरण मन्त्र :-

ॐ पुरुष-क्षोभनी सर्व-शत्रु विद्रान्वी ॐ आम् क्रौम् ह्रीं जो ही मोह्य मोह्य क्षोभय क्षोभय अमुकी वशी कुरु वशी कुरु स्वाहा ||

प्रयोग करने से पहले मन्त्र का शुभ रात्रि में एकांत में नग्न होकर 3008 बार मन्त्र जप करके सिद्ध करे | फिर बाद में इसी विधि से रोज मन्त्र का इतनी ही मात्रा में नाम जोडकर जप करे जब तक की आपका काम न हो जाए | जल्द ही आपका कार्य पूरा होगा |

स्तम्भन मंत्र:-



स्तम्भन मंत्र:-

सिद्धि करने के बिधि :-
माला :-रुद्राक्ष (साधारण तरीके से संकरित )
दिशा:- पश्चिम
आसान /बस्त्र:- लाल
दिन :- अमाबस्या के मध्यरात्रि से सुरु
21 माला जाप से मंत्र सिद्धि होगा
सामान्य गुरु, गणेश पूजन करके गुरु मंत्र का एक माला और गणेश मंत्र का एक माला जाप करें फिर मूल मंत्र का जाप सुरु करें
घी का दिया और धुपबत्ती जलाके जाप करें
1 रात मे जाप पूरा करें
सात्विक भोजन और ब्राह्मचार्य का पालन करें

मंत्र :-
ॐ वं वं बं ह हं हं घ्रां ठः ठः।

इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद ही इसका प्रयोग करें। निगोही के बीज को 21 बार अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति पर भी फेंका जाए, वह स्तम्भित हो जाता है। यदि इसका प्रयोग रविवार या मंगलवार को किया जाए तो इसका प्रभाव अधिक दिखाई देता है।