Wednesday, 11 September 2024

गीता श्लोक

श्लोक 41 
 योगसंन्यस्तकर्माणं ज्ञानसञ्छिन्नसंशयम्।,आत्मवन्तं न कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय ॥41॥ 
 Description: 
 हे अर्जुन। कर्म उन लोगों को बंधन में नहीं डाल सकते जिन्होंने योग की अग्नि में कर्मों को विनष्ट कर दिया है और ज्ञान द्वारा जिनके समस्त संशय दूर हो चुके हैं वे वास्तव में आत्मज्ञान में स्थित हो जाते हैं।