Monday, 27 February 2017

दैनिक राशिफल 28-02-2017

दैनिक राशिफल 28-02-2017

राशि फलादेश मेष
दिया हुआ धन वापस आ सकता है। अस्वस्थता हो सकती है। यात्रा लाभदायक हो सकती है। विवाद से बचें। कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हो सकती है।

राशि फलादेश वृष
शत्रु परास्त होंगे। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उद्योग-धंधे से लाभ होगा। जोखिम के कार्य सावधानी से करें। व्यक्तिगत समृद्धि होगी।

राशि फलादेश मिथुन
धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। सरकारी कार्य पूर्ण होंगे। व्यापार-निवेश लाभदायक होंगे। यात्रा में सावधानी रखें। पराक्रम से विरोधी को परास्त कर सकते हैं।

astroshaliini.wordpress.comes
राशि फलादेश कर्क
हानि-दुर्घटना के योग हैं, सावधानी रखें। व्यापार-व्यवसाय निवेश में जोखिम न लें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। संतान संबंधी निर्णय सोच-समझकर लें।

राशि फलादेश सिंह
जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय निवेश लाभदायक रहेंगे। नौकरी आदि में इनाम-प्रमोशन मिल सकता है। लाभ होने से हर्ष होगा।

राशि फलादेश कन्या
अस्वस्थता हो सकती है। उद्योग-निवेश लाभदायक होगा। यात्रा में सावधानी रखें। शत्रु शांत रहेंगे। समाज में मान-प्रतिष्ठा एवं लोकप्रियता बढ़ेगी।

www.astroshaliini.com
राशि फलादेश तुला
अचानक हानि-दुर्घटना के योग हैं। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। संतान पक्ष से शुभ समा‍चार मिल सकता है। अभीष्ट कार्य की सिद्धि होगी। यश, प्रसिद्धि मिलेगी।

राशि फलादेश वृश्चिक
चारों तरफ से अच्‍छी खबरें नहीं आएंगी। आवश्यक ऋण लेना पड़ सकता है। जोखिम के कार्य न करें। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा।

astroshaliini.blogspot.com
राशि फलादेश धनु
पराक्रम से लाभ बढ़ेगा। संपत्ति के कार्यों में सफलता मिलेगी। व्यापार निवेश लाभ देंगे। यात्रा लाभदायक होगी। स्वाध्याय में रुचि बढ़ेगी। आलस्य न करें।

राशि फलादेश मकर
शुभ समाचार मिलेंगे। जोखिम वाले कार्यों में सावधानी रखें। शत्रु परेशान करेंगे। यात्रा लाभदायक होगी। जीवनसाथी से मतभेद हो सकते हैं।

www.astroshaliini.com
राशि फलादेश कुंभ
दुष्ट जन परेशान करेंगे। व्यापार-निवेश से लाभ होगा। यात्रा में सावधानी रखें। शत्रु परेशान करेंगे। जोखिम न उठाएं। पुरुषार्थ का प्रतिफल मिलेगा।

राशि फलादेश मीन
चोरी-दुर्घटना से हानि हो सकती है। व्यापार निवेश में जोखिम न उठाएं। मूल्यवान वस्तु गुम हो सकती है। अपनी योजनाएं गोपनीय रखें।

ASTRO SHALIINI
9910057645

Sunday, 26 February 2017

दैनिक राशिफल 27-02-2017

दैनिक राशिफल 27-02-2017

राशि फलादेश मेष
नए कार्यों में रुचि बढ़ेगी। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय निवेश लाभदायक रहेंगे। नौकरी में प्रशंसा होगी।
www.facebook.com/astroshaliini

राशि फलादेश वृष
धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। सरकारी कार्यों में सहयोग मिलेगा। शत्रु परास्त होंगे। यात्रा लाभदायक हो सकती है। आवास संबंधी समस्या रह सकती है।

राशि फलादेश मिथुन
वाहन-मशीनरी का प्रयोग सावधानी से करें। वाद-विवाद से दूर रहें। कुसंगति कष्ट दे सकती है। वृद्ध व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
www.facebook.com/astroshaliini

राशि फलादेश कर्क
मातृपक्ष की चिंता होगी। चोरी-दुर्घटना से हानि हो सकती है। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। व्यापार में आशातीत सफलता मिलेगी।

राशि फलादेश सिंह
व्यापार-व्यवसाय निवेश, नौकरी में लाभ। यात्रा लाभदायक होगी। वाहन-मशीनरी का प्रयोग सावधानी से करें। प्रयत्न करने पर रुका पैसा मिलेगा।
www.facebook.com/astroshaliini

राशि फलादेश कन्या
विद्यार्थियों को ज्ञानलब्धि हो सकती है। शुभ समाचार मिल सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश ठीक रहेगा। वाणी संयम जरूरी है।

राशि फलादेश तुला
घर-बाहर अशांत‍ि रह सकती है। मूल्यवान वस्तु गुम हो सकती है। वाहन-मशीनरी तथा जो‍खिम वाले कार्य में सावधानी बरतें।

www.facebook.com/astroshaliini

राशि फलादेश वृश्चिक
विरोधी सक्रिय होंगे। पराक्रम से लाभ होगा। मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। निवेश में सावधानी बरतें। कार्यक्षेत्र में आशानुकूल सफलता नहीं मिल पाएगी।

राशि फलादेश धनु
व्यापार-व्यवसाय निवेश लाभ देंगे। नौकरीपेशा को प्रमोशन मिल सकता है। शत्रु शांत रहेंगे। यात्रा शुभ रहेगी। कार्य विस्तार व अनुकूल स्थिति बनेगी।

राशि फलादेश मकर
विरोधी सक्रिय होंगे। व्यापार, उद्योग-धंधे से लाभ तथा निवेश में जोखिम हो सकता है। परिवार में सुख-शांति रहेगी। यात्रा लाभदायक हो सकती है।

राशि फलादेश कुंभ
यात्रा में सावधानी रखें। शत्रुओं पर विजय मिलेगी। मूल्यवान वस्तु गुम हो सकती है। व्यय बढ़ेगा। यात्रा में सावधानी रखें। अध्ययन में रुचि बढ़ेगी।

राशि फलादेश मीन
पुराना रोग उभर सकता है। नए कार्यों में रुचि बढ़ेगी। व्यापार-व्यवसाय-निवेश लाभदायक रहेंगे। व्यापार में नई योजनाओं का शुभारंभ होगा।

www.facebook.com/astroshaliini
Astro shaliini
9910057645

Wednesday, 22 February 2017

बिल्वाष्टकम

बिल्वाष्टक बोलते हुए तीन पत्ती वाला बिल्व पत्र शिवलिंग पर इस तरह समर्पित करें की चिकना भाग नीचे रह कर शिवलिंग को स्पर्श करे।

बिल्वाष्टकम

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्
त्रिजन्मपाप संहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्र्च अच्छिद्रै: कोमलैः शुभैः
शिवपूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
अखण्ड बिल्व पात्रेण पूजिते नन्दिकेश्र्वरे
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
शालिग्राम शिलामेकां विप्राणां जातु चार्पयेत्
सोमयज्ञ महापुण्यं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
दन्तिकोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च
कोटि कन्या महादानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
लक्ष्म्या स्तनुत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्
अघोरपापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम्
प्रयागमाधवं दृष्ट्वा एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे
अग्रतः शिवरूपाय एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥
बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ
सर्वपाप विनिर्मुक्तः शिवलोकमवाप्नुयात् ॥
इति श्री बिल्वाष्टकम संपूर्णम्

Thursday, 16 February 2017

राहू की प्रसन्नता के उपाय

राहू की प्रसन्नता के उपाय 1. माता सरस्वती का पाठ-पूजन करना चाहिए। 2. रसोई में बने हुए भोजन का प्रातः जलपान करें। 3. पूर्णतया शाकाहारी रहना चाहिए। 4. किसी भी प्रकार का बिजली का सामान इकट्ठा न होने दें तथा बिजली का सामान मुफ्त में न लें। 5. नानाजी से संबंध रखें। 6. अश्लील पुस्तक बिल्कुल न पढ़ें।

बीज मन्त्रों के रहस्य

बीज मन्त्रों के रहस्य
💐 🍃🍃 💐 🍃🍃💐
शास्त्रों में अनेकों बीज मन्त्र कहे हैं, आइये बीज मन्त्रों का रहस्य जाने

१👉 "क्रीं" इसमें चार वर्ण हैं! [क,र,ई,अनुसार] क--काली, र--ब्रह्मा, ईकार--दुःखहरण।
अर्थ👉 ब्रह्म-शक्ति-संपन्न महामाया काली मेरे दुखों का हरण करे।

२👉 "श्रीं" चार स्वर व्यंजन [श, र, ई, अनुसार]=श--महालक्ष्मी, र-धन-ऐश्वर्य, ई- तुष्टि, अनुस्वार-- दुःखहरण।
अर्थ👉 धन- ऐश्वर्य सम्पति, तुष्टि-पुष्टि की अधिष्ठात्री देवी लाष्मी  मेरे दुखों का नाश कर।

३👉 "ह्रौं" [ह्र, औ, अनुसार]  ह्र-शिव, औ-सदाशिव, अनुस्वार--दुःख हरण।
अर्थ👉 शिव तथा सदाशिव कृपा कर मेरे दुखों का हरण करें।

४👉 "दूँ" [ द, ऊ, अनुस्वार]--द- दुर्गा, ऊ--रक्षा, अनुस्वार करना।
अर्थ👉 माँ दुर्गे मेरी रक्षा करो, यह दुर्गा बीज है।

५👉 "ह्रीं" यह शक्ति बीज अथवा माया बीज है।
[ह,र,ई,नाद, बिंदु,] ह-शिव, र-प्रकृति,ई-महामाया, नाद-विश्वमाता, बिंदु-दुःख हर्ता।
अर्थ👉 शिवयुक्त विश्वमाता मेरे दुखों का हरण करे।

६👉 "ऐं" [ऐ, अनुस्वार]-- ऐ- सरस्वती, अनुस्वार-दुःखहरण।
अर्थ👉 हे सरस्वती मेरे दुखों का अर्थात अविद्या का नाश कर।

७👉 "क्लीं" इसे काम बीज कहते हैं![क, ल,ई अनुस्वार]-क-कृष्ण अथवा काम,ल-इंद्र,ई-तुष्टि भाव, अनुस्वार-सुख दाता।

अर्थ👉 कामदेव रूप श्री कृष्ण मुझे सुख-सौभाग्य दें।

८👉 "गं" यह गणपति बीज है। [ग, अनुस्वार] ग-गणेश, अनुस्वार-दुःखहरता।
अर्थ👉 श्री गणेश मेरे विघ्नों को दुखों को दूर करें।

९👉 "हूँ" [ ह, ऊ, अनुस्वार]--ह--शिव, ऊ-- भैरव, अनुस्वार-- दुःखहरता] यह कूर्च बीज है।
अर्थ👉 असुर-सहारक शिव मेरे दुखों का नाश करें।

१०👉 "ग्लौं" [ग,ल,औ,बिंदु]-ग-गणेश, ल-व्यापक रूप, आय-तेज, बिंदु-दुखहरण।
अर्थात👉 व्यापक रूप विघ्नहर्ता  गणेश अपने तेज से मेरे दुखों का नाश करें।

११👉 "स्त्रीं" [स,त,र,ई,बिंदु]-स-दुर्गा, त-तारण, र-मुक्ति, ई-महामाया, बिंदु-दुःखहरण।
अर्थात👉 दुर्गा मुक्तिदाता, दुःखहर्ता,, भवसागर-तारिणी महामाया मेरे दुखों का नाश करें।

१२👉 "क्षौं" [क्ष,र,औ,बिंदु] क्ष-नरीसिंह, र-ब्रह्मा, औ-ऊर्ध्व, बिंदु-दुःख-हरण।
अर्थात👉 ऊर्ध्व केशी ब्रह्मस्वरूप नरसिंह भगवान मेरे दुखों कू दूर कर।

१३👉 "वं" [व्, बिंदु]-व्-अमृत, बिंदु- दुःखहरत।
[इसी प्रकार के कई बीज मन्त्र हैं]  [शं-शंकर, फरौं--हनुमत, दं-विष्णु बीज, हं-आकाश बीज,यं अग्नि बीज, रं-जल बीज, लं- पृथ्वी बीज, ज्ञं--ज्ञान बीज, भ्रं भैरव बीज।
अर्थात👉 हे अमृतसागर, मेरे दुखों का हरण कर।

१४👉 कालिका का महासेतु👉 "क्रीं",
त्रिपुर सुंदरी का महासेतु👉 "ह्रीं",
तारा का👉  "हूँ",
षोडशी का👉  "स्त्रीं",
अन्नपूर्णा का👉 "श्रं",
लक्ष्मी का "श्रीं" 

१५👉 मुखशोधन मन्त्र निम्न हैं।
गणेश👉 ॐ गं
त्रिपुर सुन्दरी👉 श्रीं ॐ श्रीं ॐ श्रीं ॐ।
तारा👉 ह्रीं ह्रूं ह्रीं।
स्यामा👉 क्रीं क्रीं क्रीं ॐ ॐ ॐ क्रीं क्रीं क्रीं।
दुर्गा👉 ऐं ऐं ऐं।
बगलामुखी👉 ऐं ह्रीं ऐं।
मातंगी👉 ऐं ॐ ऐं।
लक्ष्मी👉 श्रीं।
💐  🍃🍃  💐  🍃🍃  💐  🍃🍃  💐  🍃🍃  💐

रुद्राक्ष विज्ञान

रुद्राक्ष विज्ञान
रुद्राक्ष के प्रकार और उनके गुण
एक मुखी रुद्राक्ष :
इस रुद्राक्ष को धारण करने से शिव तत्व की प्राप्ति होती है। रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। असली एक मुखी रुद्राक्ष बहुत दुर्लभ है। इसका मूल्य विशेषतः अत्यधिक होता है। यह अभय लक्ष्मी दिलाता है। इसके धारण करने पर सूर्य जनित दोषों का निवारण होता है। नेत्र संबंधी रोग, सिर दर्द, हृदय का दौरा, पेट तथा हड्डी संबंधित रोगों के निवारण हेतु इसको धारण करना चाहिए। यह यश और शक्ति प्रदान करता है। इसे धारण करने से आध्यात्मिक उन्नति, एकाग्रता, सांसारिक, शारीरिक, मानसिक तथा दैविक कष्टों से छुटकारा, मनोबल में वृद्धि होती है। कर्क, सिंह और मेष राशि वाले इसे माला रूप में धारण अवश्य करें। एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र: ऊँ एं हे औं ऐं ऊँ। इस मंत्र का जाप 108 बार (एक माला) करना चाहिए तथा इसको सोमवार के दिन धारण करें।

दो मुखी रुद्राक्ष :
दो मुखी रुद्राक्ष को शिव शक्ति का स्वरूप माना जाता है। यह चंद्रमा के कारण उत्पन्न प्रतिकूलता के लिए धारण किया जाता है। हृदय, फेफड़ों, मस्तिष्क, गुर्दों तथा नेत्र रोगों में इसे धारण करने पर लाभ पहुंचता है। यह ध्यान लगाने में सहायक है। इसे धारण करने से सौहार्द्र लक्ष्मी का वास रहता है। इससे भगवान अर्द्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं। उसकी ऊर्जा से सांसारिक बाधाएं दूर होती हैं तथा दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है। इसे स्त्रियों के लिए उपयोगी माना गया है। संतान जन्म, गर्भ रक्षा तथा मिर्गी रोग के लिए उपयोगी माना गया है।
धनु व कन्या राशि वाले तथा कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न वालों के लिए इसे धारण करना लाभप्रद होता है। दो मुखी रुद्राक्ष धारण का मंत्र: ऊँ ह्रीं क्षौं श्रीं ऊँ।

तीन मुखी रुद्राक्ष :
तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि का रूप कहा गया है। मंगल इसका अधिपति ग्रह है। मंगल ग्रह की प्रतिकूलता के निवारण हेतु इसे धारण किया जाता है। यह मूंगे से भी अधिक प्रभावशाली है। मंगल को लाल रक्त कण, गुर्दा, ग्रीवा, जननेन्द्रियों का कारक ग्रह माना गया है। अतः तीन मुखी रुद्राक्ष को ब्लडप्रेशर, चेचक, बवासीर, रक्ताल्पता, हैजा, मासिक धर्म संबंधित रोगों के निवारण हेतु धारण करना चाहिए। इसके धारण करने से श्री, तेज एवं आत्मबल मिलता है। यह सेहत व उच्च शिक्षा के लिए शुभ फल देने वाला है। इसे धारण करने से दरिद्रता दूर होती है तथा पढ़ाई व व्यापार संबंधित प्रतिस्पर्धा में सफलता मिलती है। अग्नि स्वरूप होने के कारण इसे धारण करने से अग्नि देव प्रसन्न होते हैं, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा शरीर स्वस्थ रहता है। मेष, सिंह, धनु राशि वाले तथा मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु तथा मीन लग्न के जातकों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से सर्वपाप नाश होते हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र - ऊँ रं हैं ह्रीं औं। इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार यथावत पढ़ें।

चार मुखी रुद्राक्ष :
चार मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्म स्वरूप माना जाता है। बुध ग्रह की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए इसे धारण करना चाहिए। मानसिक रोग, पक्षाघात, पीत ज्वर, दमा तथा नासिका संबंधित रोगों के निदान हेतु इसे धारण करना चाहिए। चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से वाणी में मधुरता, आरोग्य तथा तेजस्विता की प्राप्ति होती है। इसमें पन्ना रत्न के समान गुण हैं। सेहत, ज्ञान, बुद्धि तथा खुशियों की प्राप्ति में सहायक है। इसे चारों वेदों का रूप माना गया है तथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चतुर्वर्ग फल देने वाला है। इसे धारण करने से सांसारिक दुःखों, शारीरिक, मानसिक, दैविक कष्टों तथा ग्रहों के कारण उत्पन्न बाधाओं से छुटकारा मिलता है। वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुंभ लग्न के जातकों को इसे धारण करना चाहिए। चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र - ऊँ बां क्रां तां हां ईं। सोमवार को यह मंत्र 108 बार जपकर धारण करें।

पांच मुखी रुद्राक्ष :
इस रुद्राक्ष को रुद्र का स्वरूप कहा गया है। बृहस्पति ग्रह की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए इसको धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से निर्धनता, दाम्पत्य सुख में कमी, जांघ व कान के रोग, मधुमेह जैसे रोगों का निवारण होता है। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने वालों को सुख, शांति व प्रसिद्धि प्राप्त होते हैं। इसमें पुखराज के समान गुण होते हैं। यह हृदय रोगियों के लिए उत्तम है। इससे आत्मिक विश्वास, मनोबल तथा ईश्वर के प्रति आसक्ति बढ़ती है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन वाले जातक इसे धारण कर सकते हैं। पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ऊँ ह्रां क्रां वां हां। सोमवार की सुबह मंत्र एक माला जप कर, इसे काले धागे में विधि पूर्वक धारण करना चाहिए।

छः मुखी रुद्राक्ष :
छः मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का स्वरूप है। शुक्र ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे अवश्य धारण करना चाहिए। नेत्र रोग, गुप्तेन्द्रियों, पुरुषार्थ, काम-वासना संबंधित व्याधियों में यह अनुकूल फल प्रदान करता है। इसके गुणों की तुलना हीरे से होती है। यह दाईं भुजा में धारण किया जाता है। इसे प्राण प्रतिष्ठित कर धारण करना चाहिए तथा धारण के समय ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए। इसे हर राशि के बच्चे, वृद्ध, स्त्री, पुरुष कोई भी धारण कर सकते हैं। गले में इसकी माला पहनना अति उत्तम है। कार्तिकेय तथा गणेश का स्वरूप होने के कारण इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। इसे धारण करने वाले पर माँ पार्वती की कृपा होती है।
आरोग्यता तथा दीर्घायु प्राप्ति के लिए वृष व तुला राशि तथा मिथुन, कन्या, मकर व कुंभ लग्न वाले जातक इसे धारण कर लाभ उठा सकते हैं। छः मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रीं क्लीं सौं ऐं’। इसे धारण करने के पश्चात् प्रतिदिन ‘ऊँ ह्रीं हु्रं नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।

सात मुखी रुद्राक्ष :
इस रुद्राक्ष के देवता सात माताएं व हनुमानजी हैं। यह शनि ग्रह द्वारा संचालित है। इसे धारण करने पर शनि जैसे ग्रह की प्रतिकूलता दूर होती है तथा नपुंसकता, वायु, स्नायु दुर्बलता, विकलांगता, हड्डी व मांस पेशियों का दर्द, पक्षाघात, सामाजिक चिंता, क्षय व मिर्गी आदि रोगों में यह लाभकारी है। इसे धारण करने से कालसर्प योग की शांति में सहायता मिलती है। यह नीलम से अधिक लाभकारी है तथा किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं देता है। इसे गले व दाईं भुजा में धारण करना चाहिए। इसे धारण करने वाले की दरिद्रता दूर होती है तथा यह आंतरिक ज्ञान व सम्मान में वृद्धि करता है। इसे धारण करने वाला उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर चलता है तथा कीर्तिवान होता है। मकर व कुंभ राशि वाले, इसे धारण कर लाभ ले सकते हैं। सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रं क्रीं ह्रीं सौं’। इसे सोमवार के दिन काले धागे में धारण करें।

आठ मुखी रुद्राक्ष :
आठ मुखी रुद्राक्ष में कार्तिकेय, गणेश और गंगा का अधिवास माना जाता है। राहु ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे धारण करना चाहिए। मोतियाविंद, फेफड़े के रोग, पैरों में कष्ट, चर्म रोग आदि रोगों तथा राहु की पीड़ा से यह छुटकारा दिलाने में सहायक है। इसकी तुलना गोमेद से की जाती है। आठ मुखी रुद्राक्ष अष्ट भुजा देवी का स्वरूप है। यह हर प्रकार के विघ्नों को दूर करता है। इसे धारण करने वाले को अरिष्ट से मुक्ति मिलती है। इसे सिद्ध कर धारण करने से पितृदोष दूर होता है। मकर और कुंभ राशि वालों के लिए यह अनुकूल है। मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, कुंभ व मीन लग्न वाले इससे जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रां ग्रीं लं आं श्रीं’। सोमवार के दिन इसे खरीदकर काले धागे में धारण करें।

नौ मुखी रुद्राक्ष :
नौ मुखी रुद्राक्ष को नव-दुर्गा स्वरूप माना गया है। केतु ग्रह की प्रतिकूलता होने पर इसे धारण करना चाहिए। ज्वर, नेत्र, उदर, फोड़े, फुंसी आदि रोगों में इसे धारण करने से अनुकूल लाभ मिलता है। इसे धारण करने स केतु जनित दोष कम होते हैं। यह लहसुनिया से अधिक प्रभावकारी है। ऐश्वर्य, धन-धान्य, खुशहाली को प्रदान करता है। धर्म-कर्म, अध्यात्म में रुचि बढ़ाता है। मकर एवं कुंभ राशि वालों को इसे धारण करना चाहिए। नौमुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रीं बं यं रं लं’। सोमवार को इसका पूजन कर काले धागे में धारण करना चाहिए।

दस मुखी रुद्राक्ष :
दस मुखी रुद्राक्ष में भगवान विष्णु तथा दसमहाविद्या का निवास माना गया है। इसे धारण करने पर प्रत्येक ग्रह की प्रतिकूलता दूर होती है। यह एक शक्तिशाली रुद्राक्ष है तथा इसमें नवरत्न मुद्रिका के समान गुण पाये जाते हैं। यह सभी कामनाओं को पूर्ण करने में सक्षम है। जादू-टोने के प्रभाव से यह बचाव करता है। ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने से पूर्व इसे प्राण-प्रतिष्ठित अवश्य कर लेना चाहिए। मानसिक शांति, भाग्योदय तथा स्वास्थ्य का यह अनमोल खजाना है। सर्वग्रह इसके प्रभाव से शांत रहते हैं। मकर तथा कुंभ राशि वाले जातकों को इसे प्राण-प्रतिषिठत कर धारण करना चाहिए। दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं ऊँ’। काले धागे में सोमवार के दिन धारण करें।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष :
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष भगवान इंद्र का प्रतीक है। यह ग्यारह रुद्रों का प्रतीक है। इसे शिखा में बांधकर धारण करने से हजार अश्वमेध यज्ञ तथा ग्रहण में दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इसे धारण करने से समस्त सुखों में वृद्धि होती है। यह विजय दिलाने वाला तथा आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने वाला है। दीर्घायु व वैवाहिक जीवन में सुख-शांति प्रदान करता है। विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगों तथा विकारों में यह लाभकारी है तथा जिस स्त्री को संतान प्राप्ति नहीं होती है इसे विश्वास पूर्वक धारण करने से बंध्या स्त्री को भी संतान प्राप्त हो सकती है। इसे धारण करने से बल व तेज में वृद्धि होती है। मकर व कुंभ राशि के व्यक्ति इसे धारण कर जीवन-पर्यंत लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ रूं मूं औं’। विधि विधान से पूजन अर्चना कर काले धागे में सोमवार के दिन इसे धारण करना चाहिए।

बारह मुखी रुद्राक्ष :
बारह मुखी रुद्राक्ष को विष्णु स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से सर्वपाप नाश होते हैं। इसे धारण करने से दोनों लोकों का सुख प्राप्त होता है तथा व्यक्ति भाग्यवान होता है। यह नेत्र ज्योति में वृद्धि करता है। यह बुद्धि तथा स्वास्थ्य प्रदान करता है। यह समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान दिलाता है। दरिद्रता का नाश होता है। मनोबल बढ़ता है। सांसारिक बाधाएं दूर होती हैं तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैेे तथा असीम तेज एवं बल की प्राप्ति होती है। बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ ह्रीं क्षौंत्र घुणंः श्रीं’। मंत्रोच्चारण के साथ प्रातः काले धागे में सोमवार को पूजन अर्चन कर इसे धारण करें।

तेरह मुखी रुद्राक्ष :
यह रुद्राक्ष साक्षात् इंद्र का स्वरूप है। यह समस्त कामनाओं एवं सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। निः संतान को संतान तथा सभी कार्यों में सफलता मिलती है अतुल सम्पत्ति की प्राप्ति होती है तथा भाग्योदय होता है। यह समस्त शक्ति तथा ऋद्धि-सिद्धि का दाता है। यह कार्य सिद्धि प्रदायक तथा मंगलदायी है। सिंह राशि वालों के लिए यह उत्तम है। तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ इं यां.. आप  प्रातः काल स्नान कर आसन पर भगवान के समक्ष बैठकर विधि-विधान से पूजन कर काले धागे में सोमवार को इसे धारण करना चाहिए। ‘ऊँ ह्रीं नमः’। मंत्र का भी उच्चारण किया जा सकता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष :
यह भगवान शंकर का सबसे प्रिय रुद्राक्ष है। यह हनुमान जी का स्वरूप है। धारण करने वाले को परमपद प्राप्त होता है। इसे धारण करने से शनि व मंगल दोष की शांति होती है। दैविक औषधि के रूप में यह शक्ति बनकर शरीर को स्वस्थ रखता है। सिंह राशि वाले इसको धारण करें, तो उत्तम रहेगा।
चैदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र: ‘ऊँ औं हस्फ्रे खत्फैं हस्त्रौं हसत्फ्रैं’। सोमवार के दिन स्नानादि कर पूजन-अर्चन कर काले धागे में इसे धारण करे