*राहु का प्रभाव और उसे दूर करने के उपाय*
*प्रथम भाव में राहु-*
*प्रथम भाव में राहु सिंहासन पर बिराजमान राजा के समक्ष चिंघाड़ते हुए हाथी की तरह है। यह एक कुशल प्रशासक है। ४२ वर्ष बाद राहु का अनिष्ट प्रभाव दूर होता है।*
*अनिष्ट प्रभाव और कारण-*
*१. जातक को अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा संबध हो।*
*२. दुश्मन उनसे डरते हैं।*
*३. वे अपना कार्य अच्छी तरह पूरा नहीं कर सकते, बारंबार नौकरी बदला करते हैं।*
*४. यदि सातवें भाव में शुक्र हो तो जातक के धनवान होने की संभावना है, परंतु उसकी पत्नी को सहन करना पड़ता है।*
*उपाय-*
*१. गेहूँ, गुड़ और ताम्रपात्र का दान करना, तांबे के पात्र में गेहूँ तथा गुड़ भर कर रविवार बहते पानी में प्रवाहित कर दें।*
*२. ब्लू रंग के कपड़े न पहनें ।*
*३. गले में चाँदी की सिकड़ी पहनें ।*
*४. बहते जल में नारियल प्रवाहित करें।*
*दूसरे भाव में राहु-*
*यह राहु धन और परिवार के लिए प्रतिकूल है। किसी शस्त्र द्वारा व्यक्ति की मृत्यु होती है।*
*अनिष्ट प्रभाव और कारण-*
*१. धार्मिक संस्थाओं की तरफ से मिलनेवाली वस्तुओं पर उसका जीवन नीर्वाह होता है।*
*२. उसका पारिवारिक जीवन सुखी होता है। उसकी आर्थिक परिस्थिति का आधार कुंडली में गुरु के बैठने के स्थान पर आधारित है कि वह किस स्थान पर बैठा है।*
*३. वार्षिक कुंडली में यदि शनि प्रथम भाव में हो और गुरु अनुकूल हो तो सबकुछ सरलता से चलता है। परंतु शनि यदि नीच का हो तो उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।*
*उपाय-*
*१. चाँदी का एक छोटा सा ठोस गोला पास में रखें।*
*२. ससुराल से विद्युत उपकरण न स्वीकार करें।*
*३. माता के साथ अच्छा सम्बंध रखने से लाभ होगा।*
*४. सोने का ठोस गोला पास में रखें अथवा चाँदी की डिबिया में केसर रखने से लाभदायक रहेगा।*
*तीसरे भाव में राहु-*
*जातक समाज में अच्छा मान- सम्मानवाला होगा। बहुत जल्दी उसकी बराबरी में कोई खड़ा रहनेवाला नहीं होगा। वह स्वयं अच्छा होगा, परंतु अपने बाइयों के लिए बहुत लाभदायक साबित नहीं होता। उसके स्वप्न साकार होते हैं और जोरदार दूरदर्शिता रखता है। तलवार से भी अधिक उसकी कलम धारदार होती है। वह दीर्धजीवी और धनवान होता है।*
*अनिष्ट प्रभाव और कारण-*
*१. बाईस वर्ष की आयु में उसका भाग्योदय होता है। उसके बालक सुखी और समृद्ध होते हैं।*
*२. जातक एक प्रबल लेखक होने की क्षमता रखता है।*
*३. चंद्र यदि नीच का हो तो जातक के लिए कष्टदायक परिस्थिति निर्मित होती है।*
*४. शुक्र यदि शुभ स्थान में बैठा हो तो ससुराल पक्ष में धन संपत्ति में वृद्धि होती हुई देखी जा सकती है।*
*उपाय-*
*१. शरीर पर चाँदी का कोई आभूषण पहनने की सलाह है।*
*२. ४०० ग्राम हरा धनिया बहते जल में प्रवाहित करें।*
*३. ४०० ग्राम बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।*
*चौथे भाव में राहु-*
*यह स्थान चंद्र का है, जो राहु का दुश्मन है। इस भाव में यदि राहु शुभ हो तो जातक बुद्धिमान, श्रीमंत तथा शुभ कार्यों के पीछे धन खर्च करेगा। तीर्थयात्रा उसके लिए लाभदायक साबित होगी। यदि गुरु भी शुभ हो तो विवाह के बाद जातक का ससुराल पक्ष धनवान बनता है। यदि चंद्र उच्च का हो तो जातक अत्यंत समृद्धशाली बनता है और उसे पारा के साथ जुड़े किसी काम या व्यवसाय से लाभ होता है। यदि राहु अशुभ हो और चंद्र भी कमजोर हो तो पैसे के मामले में सहना पड़ता है। कोयला इकट्ठा करना, शौचालय मरम्मतकार्य, घर पर छप्पर बदलना और चून्हे बनाने जैसे कार्य उसके लिए अशुभ रहते हैं।*
*उपाय-*
*१. चाँदी के आभूषण पहनें।*
*२. बहते जल में ४०० ग्राम हरा धनिया या बादाम अथवा दोनों जल में प्रवाहित करें।*
*पाँचवे भाव में राहु-*
*पाँचवाँ स्थान सूर्य का है और वह पुत्र संतान का सूचक है। यदि राहु शुभ हो तो जातक श्रीमंत, बुद्धिमान और तंदुरुस्त होता है। उसकी आय बहुत अच्छी होगी और प्रगति भी अच्छी करता है। ऐसे जातक चिंतक या दार्शनिक होते हैं। यदि राहु अशुभ हो तो स्त्री को गर्भवती होने की संभावना रहती है। पुत्र जन्म के पश्चात बारह वर्ष तक पत्नी की तबीयत खराब रहती है। यदि गुरु भी पाँचवाँ भाव हो तो जातक का पिता कठिनाई में पड़ता है।*
*उपाय-*
*१. चाँदी की हाथी साथ में रखें।*
*२. शराब, मांसाहार और व्यभिचार से दूर रहें।*
*३. पत्नी के साथ पुनः विवाह करें।*
*छठा भाव में राहु-*
*इस भाव में बुध अथवा केतु का प्रभाव पड़ता है। यहाँ राहु उच्च का बनता है और बहुत अच्छा परिणाम देता है। जातक कपड़ों के पीछे अधिक पैसे खर्च करता है। वह बुद्धिमान होते हैं और प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त करता है। राहु यदि अशुभ हो तो जातक के भाई या मित्रों केलिए हानिकारक साबित होता है। बुध या मंगल जब बारहवें भाव में होता है तब राहु खराब फल देता है। जातक विविध बीमारियों से पीड़ित होता है और धन का व्यय होता है। किसी काम के लिए बाहर निकलते समय छींक आना अच्छे शकुन नहीं है।*
*उपाय-*
*१. काला कुत्ता साथ में रखें।*
*२. जेब में शीशे की कील रखें।*
*३. किसी के भाई- बहन को नुकसान न पहुँचाएँ।*
*सातवें भाव में राहु-*
*जातक धनवान होगा, परंतु पत्नी की तबीयत अच्छी नहीं रहेगी। अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करेगा। २१ वर्ष पहले यदि विवाह होगा तो अशुभ साबित होता है। जातक का सरकार के साथ अच्छे सम्बंध होने की संभावना है। परंतु यदि वह इलेक्ट्रीक उपकरण जैसे राहु के साथ जुड़े बिजनेस में पड़ेगा। तो नुकसान होगा। जातक को सिर दर्द रहेगा और यदि बुध, शुक्र अथवा केतु ११ वें भाव में हों तो बहन, पत्नी अतवा पुत्र द्वारा उस जातक का नाश होता है।*
*उपाय-*
*१. २१ वर्ष से पहले विवाह न करें।*
*२. नदी में छः नारियल प्रवाहित करें।*
*आठवाँ भाव में राहु-*
*आठवाँ भाव शनि और मंगल के साथ जुड़ा है, इसलिए इस भाव में राहु अशुभ फल देता है। जातक कोर्ट के केसों के पीछे विपुल पैसा खर्च करता है। पारिवारिक जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि कुंडली में मंगल शुभ हो और पहले या आठवे भाव में बैठा हो अथवा शनि आठवें भाव में बैठा हो तो जातक के अत्यंत समृद्धशाली होने की संभावना है।*
*उपाय-*
*१. चाँदी का एक चौरस टुकड़ा साथ रखें।*
*२. सोते समय तकिया के नीचे सौंफ रखें।*
*३. विद्युत विभाग में काम न करें।*
*नौवें भाव में राहु-*
*नौवें भाव पर गुरु का प्रभाव है। यदि जातक का उसके संतानों के साथ अच्छा सम्बंध हो तो वह फलदायक है, अन्यथा वह जातक पर विपरीत प्रभाव डालता है। यदि जातक धार्मिक विचार न रखता हो तो उसके बच्चे उसके लिए निरर्थक साबित होंगे। यदि गुरु पाँचवें या ग्यारहवें भाव में हो तो वह निरर्थक है। नौवें भाव में राहु अशुभ हो तो पुत्र संतान कम होता है। विशेष रूप से जातक रक्त सम्बंध रखनेवाले किसी व्यक्ति के विरुद्ध अदालत में मुकदमा करता है। नौवे भाव में राहु हो और प्रथम भाव में कोई भी ग्रह न हो तो स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता । उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिक होती है और मानसिक समस्याएँ भी संभव बनती है।*
*उपाय-*
*१. नित्य केसर का तिलक करें।*
*२. सोने का आभूषण पहनें।*
*३. कुत्ते को हमेशा साथ में रखें।*
*४. ससुराल के साथ अच्छे सम्बंध रखना।*
*दसवें भाव में राहु-*
*राहु के अच्छे या बुरे फल का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि शनि कहाँ बैठा है। यदि शनि शुभ हो तो जातक साहसी, दीर्धायु और श्रीमंत होगा और सभी क्षेत्रों में उसे मान- सम्मान प्राप्त होगा। दसवें भाव का राहु यदि चंद्र के साथ हो तो वह राजयोग करता है। यह जातक अपने पिता के लिए भाग्यशाली होता है। दसवें भाव में स्थित राहु अशुभ हो तो वह जातक की माता के लिए प्रतिकूल साबित होता है। चौथे भाव में चंद्र अकेला हो तो जातक की आँख के लिए नुकसानदायक होता है। उसे सिरदर्द अथवा संपत्ति का नुकसान होने की संभावना है।*
*उपाय-*
*१. नीले अथवा काले रंग की टोपी पहनें ।*
*२. सिर खुला न रखें।*
*३. मंदिर में ४ कि.ग्रा अथवा ४०० ग्राम मिश्री चढ़ाएँ अथवा नदी में प्रवाहित करें।*
*४. अंधजनों को भोजन कराएँ।*
*ग्यारहवें भाव में राहु-*
*इस भाव पर गुरु और शनि दोनों का प्रभाव है। जबतक जातक का पिता जीवित होगा तबतक वह धनवान रहता है। पैसे से सुखी रहता है। जातक के मित्र दुष्ट होंगे। उनकी आय के स्रोत हल्की जाति के लोगों तक होगा। पिता की मृत्यु के पश्चात जातक को गले में सोने का कोई आभूषण पहनना चाहिए। जातक की जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में अशुभ मंगल यदि राहु के साथ हो तो जातक का पिता के साथ अच्छा सम्बंध नहीं होगा। अथवा ऐसा भी हो सकता है कि जातक के हाथ से पिता की हत्या हो। दूसरे भाव में रहा ग्रह शत्रु के रूप में काम करेगा। यदि गुरु या शनि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हो तो शरीर पर लोहे की कोई वस्तु धारण करें और चाँद के ग्लास में पानी पीएँ। यदि पाँचवें भाव में केतु हो तो वह खराब फल देगा। जातक को कान, रीढ़ और किडनी सम्बंधी समस्याएँ पैदा होंगी। बिजनेस में हानि होने की भी संभावना है।*
*उपाय-*
*१. शरीर पर लोहे की कोई वस्तु पहनें चाँदी के गिलास में पानी पीएँ।*
*२. भेंट के रूप में विद्युत उपकरण न स्वीकार करें।*
*३. अपने पास नीलम, हाथीदाँत अथवा हाथी के आकार का कोई खिलौना नहीं रखना चाहिए।*
*बारहवें भाव में राहु-*
*बारहवें भाव पर गुरु का आधिपत्य है। वह शयनखंड सूचित करता है। इस स्थान में राहु होने से मानसिक तकलीफ देता है। इसके अतिरिक्त अनिद्रा की समस्या पैदा होती है। बहन और पुत्रियों के पीछे विपुल धन खर्च होगा। यदि इस भाव में राहु शत्रु ग्रह से घिरा हो तो तनतोड़ परिश्रम करने पर भी जातक को दोनों किनारे मिलाने में कठिनाई पड़े। इस हद तक वह आर्थिक तंगी वह अनुभव करता है। जातक पर गलत आरोप लगाए जाते हैं। मानसिक यातनाएँ असह्य बन जाने पर जातक आत्महत्या करने पर भी उतारन हो सकता है। वह झूठ बोलता है और दूसरों को ठगता है। यदि कोई नया कार्य शुरू करने जा रहे हों और यदि कोई छींके तो अशुभ फल देता है। चोरी अनेक रोग अथवा गलत आक्षेपों का शिकार बनता है। बारहवें स्थान में राहु के साथ यदि मंगल हो तो वह शुभ परिणाम देता है।*
*उपाय-*
*१. रसोई घर में ही बैठकर भोजन करें।*
*२. शांतिपूर्वक नींद आने के लिए तकिये के नीचे सौंफ और मिश्री रख।