Tuesday, 22 February 2022

मोरपंख का महत्त्व

*मोरपंख का महत्त्व*
ज्योतिष में मोरपंख को सभी नौ ग्रहों का प्रतिनिधि माना गया है, विशेष तौर पर मोरपंख के कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें किसी शुभ मुहूर्त में करने से सभी समस्याओं से तुरंत छुटकारा मिल जाता है।

श्रीकृष्ण का श्रृंगार मोर पंख के बिना अधूरा ही लगता है। वे अपने मुकुट में मोर पंख भी विशेष रूप से धारण करते हैं। 

मोर पंख का संबंध केवल श्रीकृष्ण से नहीं, बल्कि अन्य देवी-देवताओं से भी है। शास्त्रों के अनुसार मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास होता है। 

प्राचीन काल में एक मोर के माध्यम से देवताओं ने संध्या नाम के असुर का वध किया था। पक्षी शास्त्र में मोर और गरुड़ के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है।

आइये जानते हैं मोर पंख आपके जीवन को किस तरह सुख- समृद्धि से भर देता है-
* मोर का शत्रु सर्प है. अत: ज्योतिष में जिन लोगों को राहू की स्थिति शुभ नहीं हो उन्हें मोर पंख सदैव अपने साथ रखना चाहिए।

* आयुर्वेद में मोर पंख से तपेदिक, दमा, लकवा, नजला और बांझपन जैसे दुसाध्य रोगों में सफलता पूर्वक चिकित्सा बताई गई है।

* जीवन में मोर पंख से कई तरह के संकट दूर किये जा सकते हैं. अचानक कष्ट या विपत्ति आने पर घर अथवा शयनकक्ष के अग्नि कोण में मोर पंख लगाना चाहिए. थोड़े ही समय में सकारात्मक असर होगा।

* धन-वैभव में वृद्धि की कामना से निवेदन पूर्वक नित्य पूजित मन्दिर में श्रीराधा-कृष्ण के मुकुट में मोर पंख की स्थापना करके/करवाकर 40वें दिन उस मोर पंख को लाकर अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें. धन-संपत्ति में वृद्धि होना प्रारम्भ हो जायेगी। सभी प्रकार के रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग से बन जाते हैं।

* जिन लोगों की कुण्डली में राहू-केतु कालसर्प योग का निर्माण कर रहे हों उन्हें अपने तकिये के खोल में 7 मोर पंख सोमवार की रात्रि में डालकर उस तकिये का उपयोग करना चाहिए साथ ही शयनकक्ष की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोर पंखों का पंखा जिसमें कम से कम 11 मोर पंख लगे हों लगा देना चाहिए।

 इससे कुण्डली में अच्छे ग्रह अपनी शुभ प्रभाव देने लगेंगे और राहू-केतु का अशुभत्व कम हो जायेगा।

* अगर बच्चा जिद्दी होता जा रहा हो तो उसे नित्य मोर पंखों से बने पंखे से हवा करनी चाहिए या अपने सीलिंग फैन पर ही मोर पंख पंखुड़ियों पर चिपका देना चाहिए।

* नवजात शिशु के सिरहाने चांदी के तावीज में एक मोर पंख भरकर रखने शिशु को डर नहीं लगेगा नजर इत्यादि का डर भी नहीं रहेगा।

* कोई शत्रु ज्यादा तंग कर रहा हो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से मंगलवार या शनिवार रात्रि में उस शत्रु का नाम लिखकर के अपने घर के मन्दिर में रात भर रखें।

 प्रात:काल उठकर बिना नहाये-धोये बहते पानी में बहा देने से शत्रु-शत्रुता छोड़कर मित्रवत् व्यवहार करने लगता है. इस तरह मोर पंख से हम अपने जीवन के अमंगलों को हटाकर मंगलमय स्थिति को ला सकते हैं।

Sunday, 20 February 2022

सात दिन के सात लकी कलर

सात दिन के सात लकी कलर
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रंग व्यक्तित्व को निखारते हैं। खुशी का अहसास कराते हैं। रंगों का अपना एक विशेष महत्व है। मन की भावनाएं भी दर्शाते हैं तो क्या रंग हमारे भाग्य को तय करने में भी कोई भूमिका निभाते हैं? कुछ रंगों से हमारा अच्छा तालमेल होता है, जो हमें 'पॉजीटिव एनर्जी' देते हैं। इसलिए कुछ खास रंग हमें ज्यादा आकर्षित करते हैं। लेकिन ज्योतिष पर यकीन करने वाले भी दिन के लिहाज से रंगों का चयन करने लगे हैं।

रविवार -इस दिन गुलाबी, सुनहरे और संतरी रंग का विशेष महत्व है। लेकिन खिले-खिले रंगों के पुराने परिधानों को रविवार के दिन पहनने से सप्ताह भर की थकान दूर हो जाती है।
इस दिन नए कपड़े नहीं पहनने की सलाह दी जाती है।

सोमवार - सोमवार यानी चंद्रमा का दिन । इसलिए इस दिन का रंग है सफेद, चमकीला या सिल्वर कलर। इस दिन क्रीम, आसमानी और हल्का पीला भी पहना जा सकता है। लेकिन निर्विवाद रूप से सफेद पहनना शुभ होता है। दिन को खुशनुमा व शांतिपूर्ण चाहते हैं तो सफेद के सिवा कोई दूसरा रंग मत सोचिए।

मंगलवार - मंगलवार हनुमान जी का दिन है। इसलिए इस दिन का विशेष रंग है भगवा, जिसे ऑरेंज कलर कहते हैं। इस दिन के ग्रह 'मंगल' के हिसाब से चैरी रेड या लाल के मिलते-जुलते शेड्स भी सौभाग्य के द्वार खोल सकते हैं।

बुधवार - बुधवार देव गणपति का, जिन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है दूर्वा। इसलिए इस दिन हरे कलर का महत्व है। बुध ग्रह स्वयं भी हरे रंग का होता है। अत: जिन लोगों की वाणी में अवरोध हो या जिनकी वाणी कर्कश हो उन्हें हल्का हरा रंग सूट करेगा। लेकिन जो लोग उग्र वाणी के हैं उन्हें श्वेत रंग पहनना चाहिए।

गुरुवार - बृहस्पति देव और साईं बाबा का है। बृहस्पति देव स्वयं पीले हैं, तो इस दिन का रंग है पीला।इस दिन पीले के अलावा सुनहरा, गुलाबी, नारंगी और पर्पल भी ट्राय कर सकते हैं। लेकिन पीले के सभी शेड उत्तम है। दिन विजयी होगा।

शुक्रवार - मां का दिन होता है, जो सर्वव्यापी जगत जननी हैं।। इस दिन हमेशा साफ-सुथरे उजले कपड़े पहनना चाहिए। इसलिए यह दिन सभी रंगों का मिक्स या प्रिंटेड कपड़ों का होता है। इस दिन विशेष रूप से गुलाबी के सारे शेड्स और रंगबिरंगे फ्लोरल प्रिंटेड परिधान पहने जा सकते हैं। लंबी धारी वाले, चैक्स और छोटी प्रिंट के कपड़े इस दिन पहनिए और सफलता हासिल कीजिए

शनिवार - इस दिन नीला कलर पहना जाता है। यह रंग मन के उतार-चढ़ाव का होता है। आत्मविश्वास में वृद्धि के लिए जामुनी, बैंगनी, गहरा नीला और व्यवस्थित दिनचर्या के लिए नेवी ब्लू, स्काय ब्लू उचित रहेंगे। शनि अगर अनुकूल हो तो स्थिरता देते हैं। अत: इस दिन नीले के सारे शेड आपको सफलता देंगे।

जिन्न/आत्मा / खबिस/तांत्रिक क्रिया/किया-कराया आदि होने के लक्षण :-

जिन्न/आत्मा / खबिस/तांत्रिक क्रिया/किया-कराया आदि होने के लक्षण :-

1. रात को नीद नही आती होगी ।  
2.सुबह उठा नही जायेगा ।  
3.कमर और बदन मे दर्द रहेगा ।  
4.सीने पर भारीपन रहेगा ।  
5.गुस्सा बहुत तेज आयेगा ।  
6.थाई पे काले वा नीले निशान बन जाते होगे ।  
7.अपने साथ कुछ साया सा लगता होगा ।  
8अचानक से खुसबू / बदबू लगती होगी ।  
9.विपरीत लिंग से कम ही बनती होगी (पति पत्नी मे)।  
10.सपने गंदे आते होगे या डरावने आते होगे।  
11. सेहत दिन पे दिन गिर रही होगी ।
12. स्वास्थ्य खराब होने पर डॉक्टर की दवाई असर नहीं करती और जाँच भी नॉर्मल आती है।
13. अर्थिक स्थिति का अचानक खराब होना और घर के सभी सदस्यों में आपस में मतभेद होना।
14. बहुत ज्यादा चिड़चिड़ापन व मानसिक तनाव का होना।
15. सभी प्रकार के कार्यो में स्थायी रूप से रुकावट का होना और सभी कार्यो के रास्ते बंद होना।

ज्योतिष अनुसार सरकारी नौकरी के योग एवं उपाय

ज्योतिष अनुसार सरकारी नौकरी के योग एवं उपाय
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हमारे देश में कितने ही बेरोजगार व्यक्ति रोजगार की तलाश में इधर-भटक रहे हैं। युवावर्ग में अधिकांश युवा तो सरकारी नौकरी की कामना करते हैं और कामना इतनी तीव्र होती है, की हम भगवान् से भी केवल सरकारी नौकरी दिलवाने की प्रार्थना करते हैं। कुछ लोग तो इस हद तक पागल हो जाते हैं की टोटकों के चक्कर में भी फंस जाते हैं।

ऊपर वाले ने हमें दिमाग, एक स्वस्थ्य शरीर और साथ में इच्छा शक्ति दी है, तो अब क्या नौकरी दिलवाना भी इ।श्वर का ही कर्तव्य है? हम अपने दिमाग का केवल 13 प्रतिशत प्रयोग करते हैं और उसी से सारी जिन्दगी गुजार देते हैं, ऐसा नहीं है की हम इस प्रतिशत को बढ़ा नहीं सकते, अवश्य ही बढ़ा सकते हैं, पर उसके लिए दिमाग का प्रयोग करना पड़ता है।

कुंडली मे सरकारी नौकरी के योग
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व्यक्ति के जीवन में हो रहीं, छोटी या बड़ी हर प्रकार की घटनाओं के लिए कुंडली के ग्रहों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। व्यक्ति को परिणाम भी उसी प्रकार के प्राप्त होते हैं, जिस प्रकार के कुंडली में ग्रहों की स्थिति होती है। अनेक बार ऐसा भी देखा गया है कि अथक मेहनत और परिश्रम के बाद भी व्यक्ति को सरकारी नौकरी प्राप्ति में सफलता नहीं मिल पाती।  सरकारी नौकरी के निर्धारण में व्यक्ति की योग्यता, शिक्षा, अनुभव के साथ ही उसकी जन्मकुंडली में बैठे ग्रह योगों का हाथ भी होता है। आइये जानते हैं कि वह कौन-से ग्रह योग होते हैं जो सरकारी नौकरी प्राप्ति में सहायता करते हैं। –

ज्योतिषीय सिद्धांत के अनुसार, दसवें भाव के स्वामी की नवें भाव के स्वामी के साथ दृष्टि अथवा क्षेत्र और राशि स्थानांतर संबंध उसके लिए विशिष्ट राजयोग का निर्माण करते हैं।कुंडली में यदि केंद्र में चन्द्रमा, ब्रहस्पति एक साथ हैं तो उस स्थिति में भी सरकारी नौकरी के लिए शुभ योग बनता है। इसी प्रकार चन्द्रमा और मंगल भी अगर केंद्र में स्थित हैं तो सरकारी नौकरी की आशा बढ़ जाती हैं।यदि व्यक्ति का लग्न मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, वृष या तुला है तो ऐसे में शनि ग्रह और गुरु(ब्रहस्पति) का एक-दूसरे से केंद्र या त्रिकोण में होना, सरकारी नौकरी के लिए अच्छा योग बनाते हैं।कुंडली में दसवां स्थान को कार्यक्षेत्र के लिए जाना जाता है। सरकारी नौकरी के योग को जानने के लिए इसी घर का विश्लेषण किया जाता है। दसवें स्थान में यदि सूर्य, मंगल या ब्रहस्पति की दृष्टि पड़ रही होती है तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बनता है। अपवादस्वरूप यह भी देखने में आता है कि जातक की कुंडली में दसवें स्थान में तो यह ग्रह होते हैं किंतु फिर भी जातक को नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा होता है तो ऐसे में अगर सूर्य, मंगल या ब्रहस्पति पर किसी पाप ग्रह (अशुभ ग्रह) की दृष्टि पड़ रही होती है, तो जातक को सरकारी नौकरी प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

नौकरी प्राप्त करने के कुछ सरल उपाय 
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नियमित चालीस दिनों तक सुबह नंगे पैर हनुमान जी के मंदिर में जाकर उन्हें लाल गुलाब का फूल चढ़ाएं। यह अचूक वैदिक उपाय शीध्र ही अच्छी नौकरी दिलवाने में सहायक होता है।

प्रतिदिन चन्दन की माला से 11 बार ओम् वक्रतंण्डाय हूं मंत्र का जाप करें। इससे उपाय से भी सरकारी नौकरी मिलने में सहायता प्राप्त होती है।

प्रत्येक सोमवार के दिन शिवजी के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर एक थैली कच्चा दूध तथा साबुत चावल चढ़ाएं और सच्चे मन प्रार्थना करें। ऐसा करने से नौकरी मिलने में आ रही हर तरह की बाधा का नाश होता है।

रोजाना सुबह पक्षियों को दाना देने से रोजगार और नौकरी की संभावना बढ़ जाती है। आप बाजरा या सात प्रकार के अनाजों का मिश्रण भी पक्षियों को दे सकते हैं। ऐसा करने से मनचाही नौकरी प्राप्त होती है।

नौकरी के लिए इंटरव्यू देने से पहले सुबह स्नान करते समय बाल्टी या टब में हल्दी मिलाकर स्नान करें और प्रभु के सामने 11 अगरबत्ती जलाकर अपनी सफलता की कामना करें।

यदि आप सरकारी नौकरी ही चाहते हैं, तो हिंदी  महीने के प्रथम सोमवार के दिन सूर्य के ढ़लते समय सफेद कपड़े में काले चावल और कुछ दक्षिणा को बांध कर काली माता के मंदिर में चढ़ाएँ। 11 महिने तक लगातार ऐसा करने से आपको मनचाही नौकरी व सरकारी नौकरी के अवसर प्राप्त हो जाएगें।

सरकारी नौकरी और अच्छे कारोबार की प्राप्ति के लिए घर में उड़ते हुए हनुमान जी की फोटो लगाएं।

कोई भी उपाय करने से नौकरी न मिल रही हो तो शुक्ल पक्ष में लगातार 21 दिनों तक कुंए में दूध डालें। कुंआ खाली या सूखा हुआ नहीं होना चाहिए।

नौकरी के प्राप्त करने के लिए घर से निकलते समय एक नींबू पर चार लौंग वारकर चारों दिशाओं में गाड़ दें और 108  बार ‘‘ओम् श्री हनुमते नमः’’ का जाप करें। और उस नींबू को अपने साथ ले जाएं। आपको नौकरी मिलने की संभावना प्रबल हो जाएगी।

नौकरी पाने के लिए घर से निकलते समय चना और गुड़ खाकर निकलें और रास्ते में किसी गाय को भी अपने हाथों से गुड-चना खिला दें। आपका काम अवश्य बन जाएगा।

प्रत्येक शनिवार को 108 बारी ‘‘ओम् शं शनैश्चराय नमः’’ का मंत्र जाप करें। इस उपाय से नौकरी मिलने में आ रही बाधा दूर हो जाती है।

नौकरी के लिए इंटरव्यू देने के लिए घर से निकलते समय एक चम्मच दही और चम्मच चीनी मिलाकर और उसे खाकर घर से बाहर निकलें। ध्यान रहे कि घर से बाहर जाते समय सबसे पहले दायां पैर ही बाहर निकालें।

सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए गंगाजल को एक पीतल के लोटे में डालें और इसमें चांदी की धातु को डाल दें। फिर इस लोटे को अपने सिर के उपर से सात बार वार दें और इसे ईशान कोण में रख दें। इसके पश्चात 21 बार ओम् गंगाधराय नमः मंत्र का जाप करें।

यदि नौकरी की आशा धूमिल पड़ रही हो या नौकरी मिलते-मिलते रह जाती हो। तो किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष में गुड़ की 7 डलियां और 7 हल्दी की साबुत गांठे को एक रूपये के सिक्के के साथ किसी पीले वस्त्र यानि कपड़े में बांधकर सड़क या रेल लाइन के पार फेक दें। और मन में नौकरी की सच्ची प्रार्थना करें। इस उपाय से नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
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तुलसी

तुलसी जी , पौधा नहीं जीवन का अंग है

1. तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोडना चाहिए,।
2.सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए ।
3. रविवार को तुलसी पत्र नहीं
तोड़ने चाहिए ।
4. जो स्त्री तुलसी जी की पूजा करती है। उनका सौभाग्य अखण्ड रहता है । उनके घर
सुख शांति व समृद्धि का वास रहता है घर का आबोहवा हमेशा ठीक रहता है।
5. द्वादशी के दिन तुलसी को नहीं तोडना चाहिए ।
6. सांयकाल के बाद तुलसी जी लीला करने जाती है।
7. तुलसी जी वृक्ष नहीं है! साक्षात् राधा जी का स्वरूप  है ।
8. तुलसी के पत्तो को कभी  चबाना नहीं चाहिए।
तुलसी के पौधे का महत्व धर्मशास्त्रों में भी बखूबी बताया गया है. तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है.। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे से कई आध्यात्मिक बातें जुड़ी हैं.। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुसली अत्यधिक प्रिय है.। तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है. । क्योंकि भगवान विष्णु का प्रसाद बिना तुलसी दल के पूर्ण नहीं होता है. । तुलसी की प्रतिदिन का पूजा करना और पौधे में जल अर्पित करना हमारी प्राचीन परंपरा है.। मान्यता है कि जिस घर में प्रतिदिन तुलसी की पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि, सौभाग्य बना रहता है. कभी कोई कमी महसूस नहीं होती.।
- जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर की कलह और अशांति दूर हो जाती है. घर-परिवार पर मां की विशेष कृपा बनी रहती है.
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पत्तों के सेवन से भी देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है. जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी का सेवन करता है, उसका शरीर अनेक चंद्रायण व्रतों के फल के समान पवित्रता प्राप्त कर लेता है.
- तुलसी के पत्ते पानी में डालकर स्नान करना तीर्थों में स्नान कर पवित्र होने जैसा है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति ऐसा करता है वह सभी यज्ञों में बैठने का अधिकारी होता है.
- भगवान विष्णु का भोग तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है. इसका कारण यह बताया जाता है कि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं.
- कार्तिक महीने में तुलसी जी और शालीग्राम का विवाह किया जाता है. कार्तिक माह में तुलसी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 
 शास्त्रों में कहा गया है कि तुलसी पूजन और उसके पत्तों को तोड़ने के लिए नियमों का पालन करना अति आवश्यक है.
तुलसी पूजन के नियम
- तुलसी का पौधा हमेशा घर के आंगन में लगाना चाहिए. आज के दौर में में जगह का अभाव होने की वजह तुलसी का पौधा बालकनी में लगा सकते है.
- रोज सुबह स्वच्छ होकर तुलसी के पौधे में जल दें और एवं उसकी परिक्रमा करें.
- सांय काल में तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाएं, शुभ होता है.
- भगवान गणेश, मां दुर्गा और भगवान शिव को तुलसी न चढ़ाएं.
- आप कभी भी तुलसी का पौधा लगा सकते हैं लेकिन कार्तिक माह में तुलसी लगाना सबसे उत्तम होता है.
- तुलसी ऐसी जगह पर लगाएं जहां पूरी तरह से स्वच्छता हो.
- तुलसी के पौधे को कांटेदार पौधों के साथ न रखें
तुलसी की पत्तियां तोड़ने के भी कुछ विशेष नियम हैं-
- तुलसी की पत्तियों को सदैव सुबह के समय तोड़ना चाहिए. अगर आपको तुलसी का उपयोग करना है तो सुबह के समय ही पत्ते तोड़ कर रख लें, क्योंकि तुलसी के पत्ते कभी बासी नहीं होते हैं.
- बिना जरुरत के तुलसी को की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए, यह उसका अपमान होता है.

- तुलसी की पत्तियां तोड़ते समय स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें.

- तुलसी के पौधे को कभी गंदे हाथों से न छूएं.
- तुलसी की पत्तियां तोड़ने से पहले उसे प्रणाम करेना चाहिए और इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए- महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते.
- बिना जरुरत के तुलसी को की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए, यह उसका अपमान होता है.
- रविवार, चंद्रग्रहण और एकादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए.
"तुलसी वृक्ष ना जानिये।
गाय ना जानिये ढोर।।
गुरू मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर।।
अर्थात-
तुलसी को कभी पेड़ ना समझें
गाय को पशु समझने की गलती ना करें और गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें, क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप हैं।
   !!     ॐ नमः भगवते वासुदेवाय नमः  ।।

कोई काम न बन रहा हो

लाल क‍िताब के अनुसार

 अगर कोई काम न बन रहा हो तो सूरजमुखी के फूल का इस्‍तेमाल करना चाह‍िए।

 इसके ल‍िए सबसे पहले सूरजमुखी के फूल का रस ले लें। 

इसके बाद उसमें लाल चंदन मिलाकर चांदी के पतरा पर चमेली की कलम से अपना नाम लिखकर उसे लाल कपड़े में बांधकर अपनी पर्स में रख लें। 

मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से सारे कार्य पूर्ण हो जाते हैं। ब‍िगड़ते कार्य बनने लगते हैं।

शनि

लाल किताब के आसान उपाय…

पहले स्थान के खराब शनि के उपाय
1. काला सुरमा श्मशान की भूमि में दबाएं।
2. लोहे का सामान, पलंग, छाता आदि दान करें।
3. सरसों के तेल में अपनी छाया देखकर दान करें।
4. प्रत्येक शनिवार को भैरव महाराज के दर्शन करें।

दूसरे स्थान के खराब शनि के उपाय
1. आप जिस देवी या देवता को मानते हैं उसके मंदिर नंगे पैर जाएं। यह उपाय 43 दिन करें। 2. पत्नी के साथ प्रत्येक सोमवार शिवजी का अभिषेक करें।
3. गाय के दूध में चंदन घिसकर प्रतिदिन मस्तक पर तिलक लगाएं।
4. सरसों का तेल सिर में न लगाएं।

तीसरे स्थान के खराब शनि के उपाय
1. काले रंग का कुत्ता पालें और सेवा करें।
2. घर की दहलीज के दोनों ओर लोहे के कीले गाड़ें।
3. मांस, मदिरा, तामसिक पदार्थों का सेवन न करें।
4. नेत्र रोगियों की सेवा करें, उन्हें मुफ्त दवाइयां बांटें।

चौथे स्थान के खराब शनि के उपाय
1. कुएं या बोरवेल में प्रत्येक शनिवार को सवा पाव कच्चा दूध डालें।
2. विधवा स्त्रियों का सम्मान करें, उनकी सेवा करें।
3. परस्त्रियों पर बुरी दृष्टि न रखें।
4. कौवों को रोटी खिलाते रहें।

पांचवें स्थान के खराब शनि के उपाय
1. प्रत्येक शनिवार को काले कुत्ते को सरसों के तेल चुपड़ी रोटी खिलाएं।
2. अपनी संतान के जन्मदिन पर तेल से बनी चीजें बांटें।
3. शनिवार को गरीबों को नमकीन चावल बनाकर खिलाएं।
4. काले पत्थर के शिवलिंग का 43 दिनों तक अभिषेक करें।

छठे स्थान के खराब शनि के उपाय
1. गाय को हरी घास खिलाएं।
2. बहते पानी में बादाम बहाएं।
3. काली गाय की सेवा करें।
4. लोहे की चीजों का दान करें।

सातवें स्थान के खराब शनि के उपाय
1. मांस, मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन न करें।
2. अपने घर में प्रतिदिन झाड़ू-पोंछा, साफ-सफाई रखें।
3. शहद से भरा बर्तन एकांत स्थान में जमीन में दबा आएं।
4. बांस की टोकरी में मिश्री भरकर अमावस्या को श्मशान में जाकर दबा आएं।

आठवें स्थान के खराब शनि के उपाय
1. कच्ची जमीन पर बैठकर स्नान करें।
2. चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास हमेशा रखें।
3. 43 दिनों तक श्मशान से जल लाकर स्नान करें।
4. सवा किलो उड़द सरसों के तेल से मलकर नदी में बहाएं।

नवम स्थान के खराब शनि के उपाय
1. घर की छत को साफ-सुथरी रखें।
2. घर में कोई कचरा, अटाला न रखें।
3. शनिवार को बबूल के पेड़ की दातुन करें।
4. फटे कपड़े-फटे जूते-चप्पल न पहनें।

दसवें स्थान के खराब शनि के उपाय
1. शनिवार को धूम्र गणेश का ध्यान करें।
2. नेत्रहीनों की सेवा करें। शनिवार को उन्हें भोजन करवाएं।
3. शनिवार को शनिदेव को नीले पुष्प अर्पित करें।
4. कुष्ठ रोगियों की मदद करें।

11वें स्थान के खराब शनि के उपाय
1. संतरे खाएं, उसके छिलकों से दांत साफ करें।
2. 43 दिन तक भैरव अनुष्ठान अपने जीवनसाथी से करवाएं।
3. मांस-मदिरा का सेवन न करें।
4. अमावस्या पर सुनसान जगह पर शराब की बोतल दबाएं।

12वें स्थान के खराब शनि के उपाय
1. काले कपड़े में 12 बादाम बांधकर लोहे के बर्तन में रखकर अंधेरे कोने में दबा दें।
2. आटे में काले तिल मिलाकर गोलियां बनाएं, इसे मछलियों खिलाएं।
3. एक मिट्टी के पात्र में सरसों का तेल भरकर एकांत जमीन में दबा आएं।
4. परिवार के बजुर्गों की सेवा करें।

शुक्र

शुक्र कमजोर हो तो

यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर है या खराब असर दे रहा है, तो एक लौटा जल लेकर 2 बड़ी इलायची डालकर पानी के आधा होने तक उबालें। 

फिर इस पानी को अपने नहाने वाले पानी में मिला कर स्नान करें।

Blood pressure या depression

यदि आप ब्लड प्रेशर या डिप्रेशन से परेशान हैं तो :

इतवार की रात को सोते समय अपने सिरहाने की तरफ 325 ग्राम दूध रख कर सोंए ! सोमवार को सुबह उठ कर सबसे पहले इस दूध को किसी कीकर या पीपल के पेड को अर्पित कर दें ! यह उपाय 5 इतवार तक लगातार करें ! लाभ होगा

migraine

माईग्रेन या आधा सीसी का दर्द का उपाय : सुबह सूरज उगने के समय एक गुड का डला लेकर किसी चौराहे पर जाकर दक्षिण की ओर मुंह करके खडे हो जांय ! गुड को अपने दांतों से दो हिस्सों में काट दीजिए ! गुड के दोनो हिस्सों को वहीं चौराहे पर फेंक दें और वापिस आ जांय ! यह उपाय किसी भी मंगलवार से शुरू करें तथा 5 मंगलवार लगातार करें ! लेकिन....लेकिन ध्यान रहे यह उपाय करते समय आप किसी से भी बात न करें और न ही कोई आपको पुकारे न ही आप से कोई बात करे ! अवश्य लाभ होगा !

remedies for piles

Remedies for piles 

 This is very old and unknown remedy of Lal Kitab which is Practished By Old Astrologer. 
  Put "Geru" (1250G) in red clothes and Bury it at Riverside Banks. 
 If possible do this remedy when moon transit Through Mars/Ketu Nakshatra.
 After doing this remedy not only you get rid of the problem of Piles even your blood relatives whoever born in your family blood circle never get piles in future.

Geru represent mars & Venus this remedy can be used for other purpose also but way is different... talk about that later

 One thing remember "disease can be cured without medicine but death inevitable" this is what Lal Kitab says

  
Added - this remedy should be done only once time and during DaDaylight When Moon Transit Through Mars/Ketu Constellation ( after sunrise before sunset). Thanks with regards

राहु के प्रभाव और उपाय

*राहु का प्रभाव और उसे दूर करने के उपाय*

*प्रथम भाव में राहु-*

*प्रथम भाव में राहु सिंहासन पर बिराजमान राजा के समक्ष चिंघाड़ते हुए हाथी की तरह है। यह एक कुशल प्रशासक है। ४२ वर्ष बाद राहु का अनिष्ट प्रभाव दूर होता है।*

*अनिष्ट  प्रभाव और कारण-*

*१. जातक को अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा संबध हो।*

*२. दुश्मन उनसे डरते हैं।*

*३. वे अपना कार्य अच्छी तरह पूरा नहीं कर सकते, बारंबार नौकरी बदला करते हैं।*

*४. यदि सातवें भाव में शुक्र हो तो जातक के धनवान होने की संभावना है, परंतु उसकी पत्नी को सहन करना पड़ता है।*

*उपाय-*

*१. गेहूँ, गुड़ और ताम्रपात्र का दान करना, तांबे के पात्र में गेहूँ तथा गुड़ भर कर रविवार बहते पानी में प्रवाहित कर दें।*

*२. ब्लू रंग के कपड़े न पहनें ।*

*३. गले में चाँदी की सिकड़ी पहनें ।*

*४. बहते जल में नारियल प्रवाहित करें।*

*दूसरे भाव में राहु-*

*यह राहु धन और परिवार के लिए प्रतिकूल है। किसी शस्त्र द्वारा व्यक्ति की मृत्यु होती है।*

*अनिष्ट प्रभाव और कारण-*

*१. धार्मिक संस्थाओं की तरफ से मिलनेवाली वस्तुओं पर उसका जीवन नीर्वाह होता है।*

*२. उसका पारिवारिक जीवन सुखी होता है। उसकी आर्थिक परिस्थिति का आधार कुंडली में गुरु के बैठने के स्थान पर आधारित है कि वह किस स्थान पर बैठा है।*

*३. वार्षिक कुंडली में यदि शनि प्रथम भाव में हो और गुरु अनुकूल हो तो सबकुछ सरलता से चलता है। परंतु शनि यदि नीच का हो तो उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।*

*उपाय-*
*१. चाँदी का एक छोटा सा ठोस गोला पास में रखें।*

*२. ससुराल से विद्युत उपकरण न स्वीकार करें।*

*३. माता के साथ अच्छा सम्बंध रखने से लाभ होगा।*

*४. सोने का ठोस गोला पास में रखें अथवा चाँदी की डिबिया में केसर रखने से लाभदायक रहेगा।*

*तीसरे भाव में राहु-*

*जातक समाज में अच्छा मान- सम्मानवाला होगा। बहुत जल्दी उसकी बराबरी में कोई खड़ा रहनेवाला नहीं होगा। वह स्वयं अच्छा होगा, परंतु अपने बाइयों के लिए बहुत लाभदायक साबित नहीं होता। उसके स्वप्न साकार होते हैं और जोरदार दूरदर्शिता रखता है। तलवार से भी अधिक उसकी कलम धारदार होती है। वह दीर्धजीवी और धनवान होता है।*

*अनिष्ट प्रभाव और कारण-*

*१. बाईस वर्ष की आयु में उसका भाग्योदय होता है। उसके बालक सुखी और समृद्ध होते हैं।*

*२. जातक एक प्रबल लेखक होने की क्षमता रखता है।*

*३. चंद्र यदि नीच का हो तो जातक के लिए कष्टदायक परिस्थिति निर्मित होती है।*

*४. शुक्र यदि शुभ स्थान में बैठा हो तो ससुराल पक्ष में धन संपत्ति में वृद्धि होती हुई देखी जा सकती है।*

*उपाय-*
*१. शरीर पर चाँदी का कोई आभूषण पहनने की सलाह है।*

*२. ४०० ग्राम हरा धनिया बहते जल में प्रवाहित करें।*

*३. ४०० ग्राम बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।*

*चौथे भाव में राहु-*

*यह स्थान चंद्र का है, जो राहु का दुश्मन है। इस भाव में यदि राहु शुभ हो तो जातक बुद्धिमान, श्रीमंत तथा शुभ कार्यों के पीछे धन खर्च करेगा। तीर्थयात्रा उसके लिए लाभदायक साबित होगी। यदि गुरु भी शुभ हो तो विवाह के बाद जातक का ससुराल पक्ष धनवान बनता है। यदि चंद्र उच्च का हो तो जातक अत्यंत समृद्धशाली बनता है और उसे पारा के साथ जुड़े किसी काम या व्यवसाय से लाभ होता है। यदि राहु अशुभ हो और चंद्र भी कमजोर हो तो पैसे के मामले में सहना पड़ता है। कोयला इकट्ठा करना, शौचालय मरम्मतकार्य, घर पर छप्पर बदलना और चून्हे बनाने जैसे कार्य उसके लिए अशुभ रहते हैं।*

*उपाय-*
*१. चाँदी के आभूषण पहनें।*

*२. बहते जल में ४०० ग्राम हरा धनिया या बादाम अथवा दोनों जल में प्रवाहित करें।*

*पाँचवे भाव में राहु-*

*पाँचवाँ स्थान सूर्य का है और वह पुत्र संतान का सूचक है। यदि राहु शुभ हो तो जातक श्रीमंत, बुद्धिमान और तंदुरुस्त होता है। उसकी आय बहुत अच्छी होगी और प्रगति भी अच्छी करता है। ऐसे जातक चिंतक या दार्शनिक होते हैं। यदि राहु अशुभ हो तो स्त्री को गर्भवती होने की संभावना रहती है। पुत्र जन्म के पश्चात बारह वर्ष तक पत्नी की तबीयत खराब रहती है। यदि गुरु भी पाँचवाँ भाव हो तो जातक का पिता कठिनाई में पड़ता है।*

*उपाय-*
*१. चाँदी की हाथी साथ में रखें।*

*२. शराब, मांसाहार और व्यभिचार से दूर रहें।*

*३. पत्नी के साथ पुनः विवाह करें।*

*छठा भाव में राहु-*

*इस भाव में बुध अथवा केतु का प्रभाव पड़ता है। यहाँ राहु उच्च का बनता है और बहुत अच्छा परिणाम देता है। जातक कपड़ों के पीछे अधिक पैसे खर्च करता है। वह बुद्धिमान होते हैं और प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त करता है। राहु यदि अशुभ हो तो जातक के भाई या मित्रों केलिए हानिकारक साबित होता है। बुध या मंगल जब बारहवें भाव में होता है तब राहु खराब फल देता है। जातक विविध बीमारियों से पीड़ित होता है और धन का व्यय होता है। किसी काम के लिए बाहर निकलते समय छींक आना अच्छे शकुन नहीं है।*

*उपाय-*
*१. काला कुत्ता साथ में रखें।*

*२. जेब में शीशे की कील रखें।*

*३. किसी के भाई- बहन को नुकसान न पहुँचाएँ।*

*सातवें भाव में राहु-*

*जातक धनवान होगा, परंतु पत्नी की तबीयत अच्छी नहीं रहेगी। अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त करेगा। २१ वर्ष पहले यदि विवाह होगा तो अशुभ साबित होता है। जातक का सरकार के साथ अच्छे सम्बंध होने की संभावना है। परंतु यदि वह इलेक्ट्रीक उपकरण जैसे राहु के साथ जुड़े बिजनेस में पड़ेगा। तो नुकसान होगा। जातक को सिर दर्द रहेगा और यदि बुध, शुक्र अथवा केतु ११ वें भाव में हों तो बहन, पत्नी अतवा पुत्र द्वारा उस जातक का नाश होता है।*

*उपाय-*
*१. २१ वर्ष से पहले विवाह न करें।*

*२. नदी में छः नारियल प्रवाहित करें।*

*आठवाँ भाव में राहु-*

*आठवाँ भाव शनि और मंगल के साथ जुड़ा है, इसलिए इस भाव में राहु अशुभ फल देता है। जातक कोर्ट के केसों के पीछे विपुल पैसा खर्च करता है। पारिवारिक जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि कुंडली में मंगल शुभ हो और पहले या आठवे भाव में बैठा हो अथवा शनि आठवें भाव में बैठा हो तो जातक के अत्यंत समृद्धशाली होने की संभावना है।*

*उपाय-*
*१. चाँदी का एक चौरस टुकड़ा साथ रखें।*

*२. सोते समय तकिया के नीचे सौंफ रखें।*

*३. विद्युत विभाग में काम न करें।*

*नौवें भाव में राहु-*

*नौवें भाव पर गुरु का प्रभाव है। यदि जातक का उसके संतानों के साथ अच्छा सम्बंध हो तो वह फलदायक है, अन्यथा वह जातक पर विपरीत प्रभाव डालता है। यदि जातक धार्मिक विचार न रखता हो तो उसके बच्चे उसके लिए निरर्थक साबित होंगे। यदि गुरु पाँचवें या ग्यारहवें भाव में हो तो वह निरर्थक है। नौवें भाव में राहु अशुभ हो तो पुत्र संतान कम होता है। विशेष रूप से जातक रक्त सम्बंध रखनेवाले किसी व्यक्ति के विरुद्ध अदालत में मुकदमा करता है। नौवे भाव में राहु हो और प्रथम भाव में कोई भी ग्रह न हो तो स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता । उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिक होती है और मानसिक समस्याएँ भी संभव बनती है।*

*उपाय-*
*१. नित्य केसर का तिलक करें।*

*२. सोने का आभूषण पहनें।*

*३. कुत्ते को हमेशा साथ में रखें।*

*४. ससुराल के साथ अच्छे सम्बंध रखना।*

*दसवें भाव में राहु-*

*राहु के अच्छे या बुरे फल का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि शनि कहाँ बैठा है। यदि शनि शुभ हो तो जातक साहसी, दीर्धायु और श्रीमंत होगा और सभी क्षेत्रों में उसे मान- सम्मान प्राप्त होगा। दसवें भाव का राहु यदि चंद्र के साथ हो तो वह राजयोग करता है। यह जातक अपने पिता के लिए भाग्यशाली होता है। दसवें भाव में स्थित राहु अशुभ हो तो वह जातक की माता के लिए प्रतिकूल साबित होता है। चौथे भाव में चंद्र अकेला हो तो जातक की आँख के लिए नुकसानदायक होता है। उसे सिरदर्द अथवा संपत्ति का नुकसान होने की संभावना है।*

*उपाय-*
*१. नीले अथवा काले रंग की टोपी पहनें ।*

*२. सिर खुला न रखें।*

*३. मंदिर में ४ कि.ग्रा अथवा ४०० ग्राम मिश्री चढ़ाएँ अथवा नदी में प्रवाहित करें।*

*४. अंधजनों को भोजन कराएँ।*

*ग्यारहवें भाव में राहु-*

*इस भाव पर गुरु और शनि दोनों का प्रभाव है। जबतक जातक का पिता जीवित होगा तबतक वह धनवान रहता है। पैसे से सुखी रहता है। जातक के मित्र दुष्ट होंगे। उनकी आय के स्रोत हल्की जाति के लोगों तक होगा। पिता की मृत्यु के पश्चात जातक को गले में सोने का कोई आभूषण पहनना चाहिए। जातक की जन्म कुंडली के ग्यारहवें भाव में अशुभ मंगल यदि राहु के साथ हो तो जातक का पिता के साथ अच्छा सम्बंध नहीं होगा। अथवा ऐसा भी हो सकता है कि जातक के हाथ से पिता की हत्या हो। दूसरे भाव में रहा ग्रह शत्रु के रूप में काम करेगा। यदि गुरु या शनि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हो तो शरीर पर लोहे की कोई वस्तु धारण करें और चाँद के ग्लास में पानी पीएँ। यदि पाँचवें भाव में केतु हो तो वह खराब फल देगा। जातक को कान, रीढ़ और किडनी सम्बंधी समस्याएँ पैदा होंगी। बिजनेस में हानि होने की भी संभावना है।*

*उपाय-*

*१. शरीर पर लोहे की कोई वस्तु पहनें चाँदी के गिलास में पानी पीएँ।*

*२. भेंट के रूप में विद्युत उपकरण न स्वीकार करें।*

*३. अपने पास नीलम, हाथीदाँत अथवा हाथी के आकार का कोई खिलौना नहीं रखना चाहिए।*

*बारहवें भाव में राहु-*

*बारहवें भाव पर गुरु का आधिपत्य है। वह शयनखंड सूचित करता है। इस स्थान में राहु होने से मानसिक तकलीफ देता है। इसके अतिरिक्त अनिद्रा की समस्या पैदा होती है। बहन और पुत्रियों के पीछे विपुल धन खर्च होगा। यदि इस भाव में राहु शत्रु ग्रह से घिरा हो तो तनतोड़ परिश्रम करने पर भी जातक को दोनों किनारे मिलाने में कठिनाई पड़े। इस हद तक वह आर्थिक तंगी वह अनुभव करता है। जातक पर गलत आरोप लगाए जाते हैं। मानसिक यातनाएँ असह्य बन जाने पर जातक आत्महत्या करने पर भी उतारन हो सकता है। वह झूठ बोलता है और दूसरों को ठगता है। यदि कोई नया कार्य शुरू करने जा रहे हों और यदि कोई छींके तो अशुभ फल देता है। चोरी अनेक रोग अथवा गलत आक्षेपों का शिकार बनता है। बारहवें स्थान में राहु के साथ यदि मंगल हो तो वह शुभ परिणाम देता है।*

*उपाय-*
*१. रसोई घर में ही बैठकर भोजन करें।*

*२. शांतिपूर्वक नींद आने के लिए तकिये के नीचे सौंफ और मिश्री रख।

क्या आप अस्थमा पेशेंट हैं तो यह करके भी देखें.

क्या आप अस्थमा पेशेंट हैं तो यह करके भी देखें.

सांस की बीमारी (दमा या अस्थमा) एक आम रोग है। वर्तमान समय में अधिकांश लोग इससे पीडि़त हैं। आमतौर पर यह रोग अनुवांशिक होता है तो कुछ लोगों को मौसम के कारण हो जाता है। इसके कारण रोगी कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाते और जल्दी थक जाते हैं। मेडिकल साइंस द्वारा इस रोग का संपूर्ण उपचार संभव है। साथ ही यदि नीचे लिखे उपायों को भी किया जाए तो इस रोग में जल्दी आराम मिलता है।

1- शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से लगातार तीन सोमवार तक एक सफेद रूमाल में मिश्री एवं चांदी का एक चौकोर टुकड़ा बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें तथा शिवजी को चावल के आटे का दीपक कपूर मिश्रित घी के साथ अर्पित करें। श्वास रोग दूर हो जाएंगे।

2- रविवार को एक बर्तन में जल भरकर उसमें चांदी की अंगूठी डालकर सोमवार को खाली पेट उस जल का सेवन करें। दमा रोग दूर हो जाएगा।

3- किसी भी मास के प्रथम सोमवार को विधि-विधानपूर्वक चमेली की जड़ को अभिमंत्रित करके सफेद रेशमी धागे में बांधकर गले में धारण करें और प्रत्येक सोमवार को बार-बार आइने में अपना चेहरा देंखे। सांस की सभी बीमारियां दूर हो जाएंगी।

4- सांस की नली में सूजन, सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों में सूजन के कारण कफ जमने अथवा खांसी से मुक्ति पाने के लिए किसी शुभ समय में केसर की स्याही और तुलसी की कलम द्वारा भोजपत्र पर चंद्र यंत्र का निर्माण करवाकर गले में धारण करें। श्वास संबंधी सभी रोग दूर हो जाएंगे।

Saturday And saturn

From Eating Brinjal To Buying Iron Items, Avoid Purchasing These Common Items On A Saturday, For It May Bring Shani Related Problem & Money Loss
Indian and western astrologers believe that the nine planets of solar system affect a peson's life in different ways owing to the radiations they emit. These radiations are associated with different colours and influencing specific body parts.
So if you have heard an astrologer say that Saturn or Shani is bringing trouble in your horoscope, then you would like to do some remedies for it. And those who have experienced Shani's blessings, you can strengthen it even more.
There are certain items related to Shani Dev or planet Saturn, which according to astrology, a person should not bring home or buy on a Saturday. Otherwise it may lead to bad health or financial losses.
Brinjal
Refrain from both buying and consuming brinjal on Saturday. Also avoid buying black pepper on this day to keep Shani's wrath at bay.Yes! You may not know but astrologers say that buying salt on a Saturday attracts financial trouble. You should donate salt on this day to a temple or any place of worship.This metal is realted to Shani. Don't buy iron items, even a new vehicle on a Saturday. Chances of accidents would be reduced, claim astrologers.This is one of the major things related to Lord Shani. Don't consume this daal on a Saturday. Rather cook and donate it to the poor. You may also feed the raw cereal grains to a crow.Black may be your favourite colour, but avoid buying black clothes on Saturday if your Shani is malefic. It may attract bad luck.Do not buy mustard oil this day. Rather donate it to the poor. Also, pour some of it on Shani's idol. This brings auspicious results.If you are buying a wooden furniture, don't make its delivery on a Saturday.

Saturday, 19 February 2022

प्रमुख 9 श्राप (दोष) जिसके कारण नहीं होती संतान की प्राप्ति*

*प्रमुख 9 श्राप (दोष) जिसके कारण नहीं होती संतान की प्राप्ति*
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*ज्योतिष मान्यता के अनुसार वैसे तो कई तरह के श्राप या योग बताए गए हैं जिसके चलते पहले तो संतान नहीं होती है, संतान हो जाती है तो संतान को कष्ट होता है या संतान की मृत्यु भी हो सकती है। पराशर संहिता में भी कुछ इसी तरह के शापों का वर्णन किया गया है।*
 
*⚜️1. सर्प शाप :–* इस शाप के प्रमुख आठ योग या प्रकार बताए गए हैं। यह योग राहु के कारण बनता है। इसके लिए नाग प्रतिमा बनाकर विधिपूर्वक पूजा की जाए और अंत में हवन कर दान किया जाए तो इस शाप का प्रभाव नष्ट हो जाता है। इससे नागराज प्रसन्न होकर कुल की वृद्धि करते हैं।
 
*⚜️2. पितृ शाप :–* कहते हैं कि यदि किसी जातक ने गतजन्म में अपने पिता के प्रति कोई अपराध किया है तो उसे इस जन्म संतान कष्ट होता है। यह कुल मिलाकर 11 योग या दोष है। यह दोष या योग सूर्य से संबंधित है। इसके अलावा अष्टम स्थान में राहु या अष्टमेश राहु से पापाक्रांत हो तो इसको पितृ दोष या पितर शाप भी कहा गया है। इसके उपाय हेतु पितृश्राद्ध करना चाहिए।
 
*⚜️3. मातृ शाप :–* ज्योतिष मान्यता अनुसार पंचमेश और चंद्रमा के संबंधों पर आधारित यह योग बनता है। मंगल, शनि और राहु से बनने वाले ये कुल 13 प्रकार के योग है। गत जन्म में किसी जातक ने यदि माता को किसी भी प्रकार से कष्ट दिया है तो यह योग बनता है। इसके उपाय के लिए माता की सेवा करना जरूरी है। इसके अलावा उक्त ग्रहों की शांति कराएं।

*⚜️4. भ्रातृ शाप :–* यह योग भी कुल 13 प्रकार का है जो कि पंचम भाव, मंगल और राहु के चलते बनता है। यदि किसी जातक ने गतजन्म में अपने भाई के प्रति कोई अपराध किया है तो यह शाप बनता है। इसके उपाय हेतु हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें, हरिवंश पुराण का श्रवण करें, चान्द्रायण व्रत करें, पवित्र नदियों के किनारे शालिग्राम के सामने पीपल वृक्ष लगाएं तथा पूजन करें।
 
*⚜️5. मामा का शाप :–* यह योग पंचम भाव में बुध, गुरु, मंगल एवं राहु और लग्न में शनि के चलते बनता है। इस योग में शनि-बुध का विशेष योगदान होता है। कहते हैं कि‍ पिछले जन्म में जातक ने अपने मामा को किसी भी प्रकार से घोर कष्ट दिया होगा तो यह कुंडली में योग बना। इसके उपाय हेतु तालाब, बावड़ी, कुआं आदि बनवाने का विधान है। उसे बनवाकर वहां भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें। 
 
*⚜️6. ब्रह्म शाप :–* यह योग या दोष कुल 7 प्रकार का होता है। नवें भाव में गुरु, राहु या पाप ग्रहों से यह योग बनता हैं। कहते हैं कि गत जन्म में किसी भी जातक ने यदि किसी ब्राह्मण को घोर कष्ट दिया है तो यह शाप बनता है। इसकी शांति हेतु पितृ शांति करें और फिर प्रायश्चित स्वरूप ब्राह्मणों को भोज कराकर उन्हें दक्षिणा दें।

*⚜️7. पत्नी का शाप :–* यह कुल 11 प्रकार का दोष या योग है जो सप्तम भाव में पाप ग्रहों के चलते बनता है। कहते हैं कि यदि किसी जातक ने गत जन्म में अपनी पत्नी को मृत्यु तुल्य कष्ट दिया होगा तो ही यह योग बना। इसके उपाय हेतु कन्याओं को भोज कराएं और किसी कन्या का विवाह कराएं। इसका उपाय किसी ज्योतिष से पूछें।
 
*⚜️8. प्रेत शाप :–* यह कुल 9 योग बताए गए हैं। खासकर यह दोष सूर्य और नवें भाव से संबंधित हैं। कहते हैं कि जो जातक अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करता है वह अगले जन्म में अपुत्र हो जाता है। इस दोष की निवृत्ति के लिए पितृश्राद्ध करें।
 
*⚜️9. ग्रह दोष :–* यह योग कई प्रकार का होता है। यदि बुध और शुक्र के दोष में संतान हानि हो रही है तो इसके लिए भगवान शंकर का पूजन, गुरु और चंद्र के दोष में संतान गोपाल का पाठ, यंत्र और औषधि का सेवन, राहु के दोष से कन्या दान, सूर्य के दोष से भगवान विष्णु की आराधना, मंगल और शनि के दोष से षडंग शतरुद्रीय जप कराने चाहिए।
 
*⚜️संतान में रुकावट के कारण :–* जब पंचम भाव का स्वामी सप्तम में तथा सप्तमेश सभी क्रूर ग्रह से युक्त हो तो वह स्त्री मां नहीं बन पाती। पंचम भाव यदि बुध से पीड़ित हो या स्त्री का सप्तम भाव में शत्रु राशि या नीच का बुध हो, तो स्त्री संतान उत्पन्न नहीं कर पाती। पंचम भाव में राहु हो और उस पर शनि की दृष्टि हो तो, सप्तम भाव पर मंगल और केतु की नजर हो, तथा शुक्र अष्टमेश हो तो संतान पैदा करने में समस्या उत्पन्न होती हैं। सप्तम भाव में सूर्य नीच का हो अथवा शनि नीच का हो तो संतानोत्पत्ति में समस्या आती है।