अग्नि पुराण का अध्याय 322, पाशुपतास्त्र-मन्त्र द्वारा शान्ति और पूजा का वर्णन करता है। इसमें महादेव (शिव) द्वारा स्कन्द को पाशुपतास्त्र-मन्त्र के उपयोग से शांति प्राप्त करने की विधि बताई गई है, जिसमें जप और हवन शामिल हैं। अध्याय 322 में, पाशुपतास्त्र-मन्त्र के जप और हवन के माध्यम से शांति प्राप्त करने की प्रक्रिया का वर्णन है। मुख्य बातें:
- पाशुपतास्त्र-मन्त्र:यह एक शक्तिशाली मंत्र है जिसका उपयोग शांति और सुरक्षा के लिए किया जाता है।
- जप और हवन:अध्याय में जप और हवन की विधि बताई गई है, जिसमें मंत्रों का पाठ और घी और गुग्गुल से आहुति देना शामिल है।
- पूर्वकृत पुण्य का नाश:अध्याय में यह भी बताया गया है कि इस मन्त्र के आंशिक पाठ से पूर्वकृत पुण्य का नाश हो सकता है, लेकिन फडन्त सम्पूर्ण मन्त्र का जप आपत्ति आदि का नाश करता है।
- असाध्य कार्यों की सिद्धि:घी और गुग्गुल से हवन करने से असाध्य कार्य भी पूरे किए जा सकते हैं। यह अध्याय अग्नि पुराण के महत्वपूर्ण भागों में से एक है जो शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए पाशुपतास्त्र-मन्त्र के उपयोग पर प्रकाश डालता है।
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