Monday, 20 November 2023

आंवला नवमी आज******************

आंवला नवमी आज
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धार्मिक मान्यता के अनुसार, आंवला नवमी से ही द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। आंवला नवमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होती है। आंवला नवमी के दिन व्रत रखकर आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी से आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक उसमें श्रीहरि का वास रहता है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी और कूष्मांड नवमी भी कहते हैं। आंवला नवमी के दिन व्रत और पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, इसलिए यह अक्षय नवमी कहलाती है।

आंवला नवमी की तिथि
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वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 नवंबर दिन मंगलवार को तड़के 03 बजकर 16 एएम पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 22 नवंबर दिन बुधवार को 01 बजकर 09 एएम पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस साल आंवला नवमी 21 नवंबर को मनाई जाएगी।

आंवला नवमी का पूजा मुहूर्त
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21 नवंबर को आंवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक है। इस दिन पूजा के लिए आपको 05 घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा। उस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक है।

आंवला नवमी के दिन रवि योग और पंचक
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इस बार आंवला नवमी वाले दिन रवि योग बन रहा है। रवि योग रात में 08 बजकर 01 मिनट से बन रहा है, जो अगले दिन सुबह 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। वहीं पूरे दिन पंचक लगा है।

आंवला नवमी के 4 महत्व
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1. आंवला नवमी से आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है, इस वजह से आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं और आंवले का भोग लगाते हैं। आंवले को ही प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं। विष्णु कृपा से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

2. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें टपकती हैं, इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने की परंपरा है। ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है।

3. आंवला नवमी को भगवान विष्णु ने कूष्मांड राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे कूष्मांड नवमी कहते हैं। आंवला नवमी पर कूष्मांड यानि कद्दू का दान करते हैं।

4. धार्मिक मान्यता के अनुसार, आंवला नवमी से ही द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था।

कैसे करें आंवला नवमी की पूजा
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इस बार अक्षय नवमी 21 नवंबर मंगलवार को होगी। इस दिन प्रातःकाल जागने के बाद स्नानादि से निवृत्त होकर आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजन करके पेड़ की जड़ में दूध की धारा गिरा कर तने में चारो तरफ सूत लपेटना चाहिए। इसके बाद कपूर या घी की बाती से आरती करके 108 परिक्रमाएं करना चाहिए। आंवला नवमी के पूजन में जल, रोली, अक्षत, गुड़, बताशा, आंवला और दीपक घर से लेकर ही जाना चाहिए। ब्राह्मण और ब्राह्मणी को भोजन कराकर वस्त्र तथा दक्षिणा आदि दान देकर स्वयं भोजन करना चाहिए। एक बात जरूर ध्यान रखें कि इस दिन के भोजन में आंवला अवश्य ही होना चाहिए। इस दिन आंवले का दान करने का भी विशेष महत्व है।

आंवला नवमी व्रत की कथा
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किसी समय में एक साहूकार था। वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराता और सोने का दान करता था। उसके लड़कों को यह सब करना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि उन्हें लगता था कि वह धन लुटा रहे हैं। तंग आकर साहूकार दूसरे गांव में जाकर एक दुकान करने लगा। दुकान के आगे आंवले का पेड़ लगाया और उसे सींच कर बड़ा करने लगा। उसकी दुकान खूब चलने लगी और बेटों का कारोबार बंदी की स्थिति में पहुंच गया। वह सब भागकर अपने पिता के पास पहुंचे और क्षमा मांगी। तो पिता ने उन्हें क्षमा कर आंवले के वृक्ष की पूजा करने का कहा। उनका काम धंधा पहले की तरह चलने लगा।



Friday, 10 November 2023

धनतेरस से शुरू कर दिपावली तक अपनी राशि अनुसार करे लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने का उपाय*

*धनतेरस से शुरू कर दिपावली  तक अपनी राशि अनुसार करे लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने का उपाय* 

*(1) मेष राशि  
गणेशजी को बूंदी के लड्डू चढ़ाएं। रंगीन कंबल या गर्म कपड़े दान करें। कुत्तों को इमरती खिलाएं। नैऋत्य कोण में सरसों का दीपक रातभर जलाएं। दीपावली की रात लाल चंदन और केसर घिसकर उससे रंगा हुआ सफेद कपड़ा अपने गल्ले अथवा तिजोरी में रखें। रंगीन कम्बल या गर्म कपड़े दान करें। कुत्तों को इमरती खिलाएं। 
 
*(2) वृषभ राशि 
हनुमानजी को गुड़-चना चढ़ाएं। बच्चों को रेवड़ियां बांटें। दक्षिण दिशा में तिल के तेल का दीपक जलाएं। दीपावली पर कमल के फूल की पूजा करें और इसे लाल कपड़े में बांधकर अपने धन स्थान यानी तिजोरी या लॉकर में रखें।बच्चों को रेवड़ियां बांटें। दक्षिण दिशा में तिल के तेल का दीपक जलाएं। 

*(3) मिथुन राशि  
पानी वाला नारियल तथा बादाम दुर्गाजी को या काली मंदिर में दक्षिणा सहित चढ़ाएं (रात्रि में)। पक्षियों को दाना चुगाएं। घर के बड़ों-बुजुर्गों को वस्त्रादि भेंट करें। घर के नैऋत्य कोण में सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दक्षिणावर्ती शंख की भी पूजा करें और इसे अपना पूजा स्थान पर रखकर प्रतिदिन इसके दर्शन करें।
 
*(4) कर्क राशि  
हनुमानजी को बेसन के लड्डू चढ़ाएं। काली उड़द दान करें। तेल लगी रोटी कु्तों को खिलाएं। पश्चिम दिशा में घी का दीपक लगाएं। दिवाली की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे तेल का पंचमुखी दीपक जलाएं।
 
*(5) सिंह राशि 
सप्तधान दान करें। उड़द का सामान बांटें। घर के नैऋत्य कोण में सरसों के तेल का दीपक लगाएं। दीपावली की रात घर के मेन गेट पर गाय के घी का दीपक जलाये। 
 
*(6) कन्या राशि 
शनि मंदिर में तेल का दीपक लगाकर तेल दान करें। गरीबों को भोजन दान करें। नैऋत्य कोण में सरसों के तेल का दीपक लगाएं। दीपावली कमलगट्टे की दो माला माता लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें और दीपावली से शुरू प्रत्येक अमावस्या पर मीठे चावल कौओं को खिलाएं।
 
*(7) तुला राशि 
पीपल में मीठा जल चढ़ाकर तेल का दीपक लगाएं रात्रि में। घर के पश्चिम में घी का दीपक तथा नैऋत्य में तेल का दीपक लगाएं। दीपावली पर बड़ के पेड़ के पत्ते पर सिंदूर व घी से ऊं श्रीं श्रियै नम: मंत्र लिखें और इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
 
*(8) वृश्चिक राशि:
रंगीन कंबल दान करें। घर के ब्रह्मस्थल पर घी का दीपक रातभर जलाएं। हनुमानजी को लड्डू का नैवेद्य लगाएं।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का जाप 18 बार करें।दीपावली के मौके पर पर अपने घर के बगीचे या आस-पास कहीं केले के दो पेड़ लगाएं तथा इनकी देखभाल करें। इसके फल स्वयं न खाएं, दूसरों को दान करें।

*(9) धनु राशि 
गणेशजी को लड्डू चढ़ाएं। गाय को रोटी पर घी तथा गुड़ रखकर खिलाएं। शिवजी को जल में काले तिल मिलाकर चढ़ाएं। घर के नैऋत्य कोण में तेल का दीपक लगाएं। श्रीसूक्त का पाठ अवश्य करें।पान के पत्ते पर कुमकुम से ‘श्रीं’ लिख कर अपने पूजा स्थान पर रखें तथा रोज इसकी पूजा करें। जब ये पत्ता खराब हो जाए तो पुन: दूसरा बना लें।
 
*(10) मकर राशि 
साबुत मसूर दान करें। घर के बड़ों को भेंट दें। घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल का दीपक लगाएं। दीपावली की रात आक की रुई का दीपक घर के ईशान कोण में जलाएं।
 
*(11) कुंभ राशि 
दुर्गाजी को नारियल चढ़ाएं। पक्षियों को दाना चुगाएं। घर के नैऋत्य कोण में सरसों के तेल का दीपक लगाएं। सुगंधित जल से रुद्राभिषेक करें।कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप करें- ऊं ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं।
 
*(12) मीन राशि 
शनि मंदिर में दीपक, तेल तथा काली उड़द दान करें। तेल लगी रोटी कुत्तों को खिलाएं। पश्चिम दिशा में घी का दीपक लगाएं। दीपावली पर किसी लक्ष्मी मंदिर में जाकर कमल के फूल, नारियल अर्पित करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
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धनतेरस पर वास्तु के 10 टिप्स, जानिए किस द्वार पर दीपक में* *क्या डालें*

*धनतेरस पर वास्तु के 10 टिप्स, जानिए किस द्वार पर दीपक में* 
*क्या डालें*
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*आपका घर या मकान किस दिशा में है और उसका मुख्य द्वार किस दिशा में है यह जानकर आप क्या खरीदे और द्वार पर कौनसा दीपक जलाएं इसके लिए आप जानिए सामान्य वास्तु टिप्स जिससे आपका धनतेरस पर लाभ मिल सकता है। निम्नलिखित टिप्स मान्यता पर आधारित हैं।*
 
*1.* यदि आपके घर का मुख्‍य द्वार आग्नेय कोण में है तो आप चांदी का सामान जरूर खरीदें। क्षमता है तो हीरा भी खरीद सकते हैं और फिर द्वार पर दीपक जलाएं तो उसमें कौड़ी जरूर डालें।
 
*2.* यदि आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है तो सोने या तांबे से बना सामान खरीदें। मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं तो उसमें राईं अवश्य डालें।

*3.* यदि आपके घर का मुख्‍य द्वार नैऋत्य दिशा में है तो चांदी या तांबे से बनी वस्तु खरीदें और द्वार पर दीपक जलाएं तो उसमें लौंग जरूर डालें।

*4.* यदि आपके घर का मुख्‍य द्वार पश्चिम दिशा में है तो आप चांदी की वस्तुएं खरीदें और घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं तो उनमें एक किशमिश जरूर डालें।
 
*5.* यदि आपके घर का मुख्‍य द्वार वायव्य कोण की दिशा में है तो चांदी या मोती खरीदें और दीपक में थोड़ी मिश्री जरूर डालें।
 
*6.* यदि आपके घर का मुख्‍य द्वार उत्तर दिशा में है तो सोना खरीदें, पीतल खरीदें या लक्ष्मी की तस्वीर जरूर खरीदें और अपने मुख्य द्वार पर जब दीपक जलाएं तो उनमें एक इलायची जरूर डालें।

*7.* यदि आपके घर का मुख्‍य द्वार ईशान दिशा में है तो सोना, पीतल खरीदें या लक्ष्मी की प्रतिमा जरूर खरीदें और जब भी मुख्‍य द्वार पर दीपक जलाएं तो उनमें एक चुटकी हल्दी जरूर डाल दें।
 
*8.* यदि आपके घर का मुख्‍य द्वार पूर्व दिशा में है तो आपको सोना या तांबा खरीदना चाहिए और मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं तो उनमें थोड़ा कुमुकुम जरूर डाल दें।
 
*9.* इसके अलावा इस दिन नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें। यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करें। शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गादी बिछाएं अथवा पुरानी गादी को ही साफ कर पुनः स्थापित करें। पश्चात नवीन वस्त्र बिछाएं। 
 
*10.* इसके अलावा मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं। तेरस के सायंकाल किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें। सायंकाल पश्चात तेरह दीपक प्रज्वलित कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करें।

Wednesday, 8 November 2023

लगन के अनुसार भाग्य उदय

कुंडली में 12 भाव होते हैं। इन भावों के नाम 12 राशियों के नाम पर ही हैं। ये 12 राशियां हैं मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला , वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन। कुंडली का प्रथम यानी पहला भाव जिस राशि का होता है उसी राशि के अनुसार कुंडली का लग्न निर्धारित होता है। लग्न के आधार पर कुंडलियां भी बारह प्रकार की होती हैं। इस आधार पर मेष लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय सामान्यत: 16, 22, 28, 32 और 36 वर्ष की आयु में, वृष लग्न की कुंडली का भाग्योदय 25, 28, 36 और 42 वर्ष की आयु में, मिथुन लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 22, 32, 35, 36, 42 वर्ष की आयु में, कर्क लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 24, 25, 28 या 32 वर्ष की आयु में और  सिंह लग्न की कुंडली का भाग्योदय 16, 22, 24, 26, 28 या 32 वर्ष की आयु में हो सकता है। जबकि कन्या लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 25, 32, 33, 34 एवं 36 आयु वर्ष में और जिनकी कुंडली तुला लग्न की है, उनका भाग्योदय 24, 25, 32, 33, 35 वर्ष की आयु में हो सकता है।

वृश्चिक लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 22, 24, 28 और 32 वर्ष की आयु में तो धनु  लग्न की कुंडली का भाग्योदय 16, 22 या 32 वर्ष की आयु में हो सकता है। इसी तरह मकर लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 25, 33, 35 या 36 वर्ष की आयु में, कुंभ लग्न की कुंडली का भाग्योदय 25, 28, 36 या 42 वर्ष की आयु में और मीन लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 28 या 33 वर्ष की आयु में हो सकता है। 

Tuesday, 24 October 2023

कार्तिक मास में दीपदान से करें ग्रहों को प्रसन्न

कार्तिक मास में दीपदान से करें ग्रहों को प्रसन्न

सूर्य: सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए हर रविवार तथा सप्तमी तिथि को तांबे का दीपक जलाए सरसों के तेल का प्रयोग करें। 

चंद्र: चंद्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए हर सोमवार चांदी का दीपक जलाएं । घी का प्रयोग करें। 

मंगल: मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए तांबे का दीपक जलाना चाहिए। इसके अतिरिक्त चुकंदर को दीपक के आकार में बनाकर उसमें घी, बत्ती डालकर जलाने से मंगल ग्रह शांत होता है। 

बुध: बुध ग्रह पूजन के लिए मिट्टी का दीपक जलाना चाहिए। घी का प्रयोग करें। 

गुरु: गुरु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए पीतल का दीपक जलाना चाहिए (सोने का दीपक भी जला सकते हैं) । गाय घी का प्रयोग करें।

शुक्र: शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए चावल के आटे का दीपक तथा नारियल के सख्त छिलके में शुद्ध घी व बत्ती डालकर दीप जलाना अत्यंत कल्याणकारी होता है। इससे शुक्र ग्रह की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। 

शनि: शनि ग्रह की शांति के लिए लोहे का दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है। तिल के तेल का प्रयोग करें।

राहु-केतु: राहु के लिए लोहे तथा केतु के लिए मिश्रित धातु का दिया जलाना चाहिए। अलसी के तेल का प्रयोग करें।

Tuesday, 19 September 2023

Line between Rahu and Ketu in Your Chart.

Draw a Line between Rahu and Ketu in Your Chart. Now observe the following:-

1) If Mars is on one side and Venus on the other side of this Nodal Axis, the natives MARRIED Life would not be smooth and harmonious. If they are on same side, then harmonious.
2) If Saturn and Jupiter are on opposite sides of this Rahu Ketu axis, then native is employed far away from his native place and has to struggle for positional status in Life.
3) If Saturn Mars conjunction on one side and Venus Jupiter conjunction on the other side, then native will suffer from great Calamity in his 49th year.
4) If this axis falls between Mercury and Jupiter, then native will often have disagreements with his own children.
5) If the axis falls between the Moon and Saturn, then disagreement with ones mother.
6) If the axis falls between the Sun and Saturn then disagreement with Father.

Other Important Points about Rahu and Ketu :-

1) Whenever Rahu in transit, touches the Natal positions of any Planet degrecally, good results would come to pass.
2) Whenever Ketu in transit, touches the Natal positions of any Planet degrecally, bad results would come to pass.
3) If Venus or the lord of the 7th house are in conjunction with, or trine to ketu in the Birth Chart, there is potential problem in the married Life. (If Spouse has Venus or Lord of 7th house in trine or in conjunction to Rahu, then this Dosha will be nullified).

The SUN-MERCURY-VENUS Arc

We all know that the Planets Mercury and Venus canot stay away from the Sun more than 28 degrees and 48 degrees respectively. So within an area (Arc) of maximum 76 degrees you will find these three planets together. Now whenever this point of the zodiac (Arc) is transited by Rahu in your Birth chart, then you will experience highly beneficial results in terms of profession and earnings, promotions in service etc. After 9 Years and 3 1/2 months when Ketu will transit through this same arc, be ready to face setbacks in professional field and earnings therefrom, and troubles in service.

Tuesday, 12 September 2023

मंगल काँटा

मंगल काँटा मछली से प्राप्त होता है, अगर कोई मांगलिक हैं जिससे शादी में परेशानी हैं, मंगल की दशा और शनि की साढ़ेसाती, ढईया, दशा के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। बार बार एक्सीडेंट होता हो तो ।

कब धारण करे मंगल कांटा –

1. जिनका व्यापार ना चलता हो।
2. पैसे रुक गये हो।
3. लोगों से अनबन, मनमुटाव हो।
4. कोर्ट कचहरी से बचना हो।
5. दाम्पत्य जीवन से अनबन, मनमुटाव दूर करना हो।
6. प्रेम संबंध को मजबूत करना हो।
7. काला जादू (ब्लेक मेजिक) बुरी नजर से छुटकारा पाना हो।
8. दूसरों के लिए करके भी बुराई मिलती हो।
9. पढाई में मन लगता ना हो।
10. रातों को नींद नहीं आती हो तो।

धारण विधि –

मंगलवार के दिन विधिवत कच्ची दूध एवं गंगाजल से शुद्ध कर पंचोपचार पूजन करें उसके उपरांत मंगल कांटा को धारण करें।

Sunday, 9 July 2023

पति पत्नी में #कलेश दूर करने के लिए

पति पत्नी में #कलेश दूर करने के लिए

👉 श्री #गणेश जी और शक्ति की उपासना करे |
👉सोते समय  साउथ की तरफ सिरहाना होना चाहिए |

👉चींटियों को शक्कर डालना चाहिए |
ASTROSHALIINI.WORDPRESS.COM astroshaliini.blogspot.com 
👉यदि पत्नी हमेशा अपने हाथ में पीली चूड़ी पहेंन के रखे तो दाम्पत्या जीवन सुखी रहेगा|

👉 यदि विवाहिता प्रतिदिन #दुर्गा चालीसा का पाठ करें तो उस स्त्री का परिवार खुशहाल व दाम्पत्या प्रेम अटूट ब्ना रहेगा|
#remedialpathmakinglifeeeasy #astroshaliini 
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Monday, 19 June 2023

10 maha vidya

Worshipping Goddess Matangi is beneficial to strengthen weak sun, afflicted sun or sun-Rahu, sun- ketu, sun-saturn combination in the birth chart.
For mental peace, happiness, concentration, sound sleep and to improve weak moon (moon conjunct with or aspected by malefic like sun, mars, saturn, rahu,  ketu) one should worship Goddess Bhuvaneshwari.
By worshipping Goddess Kali one can reduce the malefic effects of planet Saturn.
People born with badly placed mercury in the birth chart should worship Goddess Shodashi or Tripurasundari.
Goddess Tara controls planet Jupiter. By worshipping her one can enhance the good effects of Jupiter.
To gain all comforts, luxuries, and material pleasure in life, one should worship Goddess Kamala as she controls planet Venus.
People born with debilitated mars or mars-saturn, mars-rahu combination in the birth chart should worship Goddess Bagalamukhi to reduce the bad effects of planet Mars.
To pacify planet Rahu and to attain material success one can worship Goddess Chinnamasta.
Goddess Dhumavati controls planet Ketu. By worshipping her one can attain moksha or salvation.
People born with weak Lagna (ascendant) that is Lagna lord debilitated, rahu placed in Lagna or Lagna lord in the eighth or twelfth house of the birth chart should worship Goddess Bhairavi to strengthen their Lagna.

Thursday, 18 May 2023

ज्येष्ठ अमावस्या आज

ज्येष्ठ अमावस्या आज
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ज्येष्ठ माह में आने वाली 30वीं तिथि “ज्येष्ठ अमावस्या” कहलाती है। इस अमावस्या तिथि के दौरान पूजा पाठ और स्नान दान का विशेष आयोजन किया जाता है। हिन्दू पंचांग में अमावस्या तिथि को लेकर कई प्रकार के मत प्रचलित हैं ओर साथ ही इस तिथि में किए जाने वाले विशेष कार्यों को करने की बात भी की जाती है। ज्येष्ठ अमावस्या को जेठ अमावस्या, दर्श अमावस्या, भावुका अमावस्या इत्यादि नामों से पुकारा जाता है।

ज्येष्ठ अमावस्या का पूजा मुहूर्त
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इस वर्ष 19 मई 2023 को शुक्रवार के दिन ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी। ज्येष्ठ अमावस के दौरान चंद्रमा की शक्ति निर्बल होती है। अंधकार की स्थिति अधिक होती है। इस वातावरण में नकारात्मकता का प्रभाव भी अधिक होता है। इसलिए इस समय पर तंत्र से संबंधित कार्य भी किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है तांत्रिकों के लिए ये रात खास होती है, जब वे अपनी सिद्धियों से विभिन्न शक्तियों को जाग्रत करते हैं।

ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान का महत्व
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किसी भी अमावस्या के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने की महत्ता अत्यंत ही प्राचीन काल से चली आ रही है। पूर्णिमा के समान ही अमावस्या पर भी पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है। इस दिन स्नान करने पर शरीर में मौजूद नकारात्मक तत्व दूर होते है। मानसिक बल मिल मिलता है और विचारों में शुद्धता आती है। शरीर निरोगी बनता है वहीं बुरी शक्तियां भी दूर रहती हैं। स्नान करने से विशेष ग्रह नक्षत्रों का भी लाभ प्राप्त होता है।

ज्येष्ठ अमावस्या पर क्या नहीं करना चाहिए
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व्यक्ति को मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
धन उधार नहीं लेना चाहिए।
कोई नई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।

ज्येष्ठ अमावस्या का प्रभाव माह के अनुसार और ग्रह नक्षत्रों के द्वारा विभिन्न राशियों के लोगों पर भी पड़ता है। इसलिए इस दिन गलत कार्यों से दूरी रखनी चाहिए और व्रत-उपासना इष्ट देव की आराधना करनी चाहिए।

ज्येष्ठ अमावस्या पर दान पुण्य का फल
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निर्णय सिंधु जैसे ग्रथों में ज्येष्ठ अमावस्या के दिन दान की महत्ता के विषय में कहा गया है। इस दिन असमर्थ एवं गरीबों को दान करने। ब्राह्मणों को भोजन करवाने से सहस्त्र गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है। अमावस्या के दिन दूध से बनी वस्तुओं अथावा श्वेत वस्तुओं का दान करना चंद्र ग्रह के शुभ फल देने वाला होता है।

ज्येष्ठ अमावस्या के उपाय
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अमावस्या के अवसर पर सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है पितरों के निम्मित दान। इस समय पर पितृ शांति के कार्य किये जाते हैं। इस तिथि के समय पर प्रात:काल समय पितरों के लिए सभी कार्यों को किया जाना चाहिये। इस दान को करने से नवग्रह दोषों का नाश होता है। ग्रहों की शांति होती है, कष्ट दूर होते हैं।

ज्येष्ठ अमावस्या में क्या करें
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ज्येष्ठ अमावस्या पर गाय, कुते और कौओं को खाना खिलाना चाहिए।
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पीपल और बड़ के वृक्ष का पूजन करना चाहिए।
पितरों के लिए तर्पण के कार्य करने चाहिए।
पीपल पर सूत बांधना चाहिये, कच्चा दूध चढ़ाना चाहिये।
काले तिल का दान करना चाहिए।
दीपक भी जलाना चाहिये।

ज्येष्ठ अमावस्या के लाभ
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इस दिन उपासना से हर तरह के संकटों का नाश होता है।
संतान प्राप्ति और संतान सम्बन्धी समस्याओं का निवारण होता है।
अपयश और बदनामी के योग दूर होते हैं।
हर प्रकार के कार्यों की बाधा दूर होती है।
कर्ज सम्बन्धी परेशानियां दूर होती हैं।

ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयन्ती
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ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही शनि जयंती भी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन ही शनि देव का जन्म हुआ था। ऎसे में इस दिन शनि जयंती होने कारण शनि देव का पूजन होता है। इस दिन शनि के मंत्रों व स्तोत्रों को पढ़ा जाता है। ज्योतिष दृष्टि में नौ मुख्य ग्रहों में से एक शनि देव को न्यायकर्ता के रुप में स्थान प्राप्त है। मनुष्य के जीवन के सभी अच्छे ओर बुरे कर्मों का फल शनि देव ही करते हैं। इस दिन शनि पूजन करने पर पाप प्रभाव कम होते हैं और शनि से मिलने वाले कष्ट भी दूर होते हैं।

शनि जयंती पर उनकी पूजा - आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं। इस अमावस्या के अवसर पर शनिदेव के निमित्त विधि-विधान से पूजा पाठ, व्रत व दान पूण्य करने से शनि संबंधी सभी कष्ट दूर होते हैं ओर शुभ कर्मों की प्राप्ति होती है। शनिदेव पूजा के लिए प्रात:काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर शनिदेव के निमित्त सरसों या तिल के तेल का दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे जलाना चाहिए। साथ ही शनि मंत्र "ॐ शनिश्चराय नम:" का जाप करना चाहिए। शनिदेव से संबंधित वस्तुओं तिल , उड़द, काला कंबल, लोहा,वस्त्र, तेल इत्यादि का दान करना चाहिए।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन होता है वट सावित्री व्रत
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ज्येष्ठ अमावस्या के दिन “वट सावित्र” एक अन्य महत्वपूर्ण दिवस भी आता है। वट सावित्री व्रत स्त्रीयों द्वारा अखंड सौभाग्य एवं पति की लम्बी आयु के लिए रखा जाता है। इस दिन स्त्यवान और सावित्री की कथा सुनी जाती है और पीपल के वृक्ष का पूजन होता है। ज्येष्ठ अमावस्या पर विशेष तौर पर शिव-पार्वती के पूजन करने से भगवान की सदैव कृपा बनी रहती है। इस व्रत को करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। कुंवारी कन्याएं इस दिन पूजा करके मनचाहा वर पाती हैं और सुहागन महिलाओं को सुखी दांपत्य जीवन और अपने पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शाम के समय नदी के किनारे या मंदिर में दीप दान करने का भी विधान है। इसी के साथ पीपल के वृक्ष का पूजन उस पर दीप जलाना ओर उसकी प्रदक्षिणा करना अत्यंत आवश्यक होता है और शुभ लाभ मिलता है। इस दिन प्रातः उठकर अपने इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। शास्त्रों में इस दिन पीपल लगाने और पूजा का विधान बताया गया है। जिसको संतान नहीं है, उसके लिए पीपल वृक्ष को लगाना और उसका पूजन करना अत्यंत चमत्कारिक होता है। पीपल में ब्रह्मा, विष्णु व शिव अर्थात त्रिदेवों का वास होता है। पुराणों में कहा गया है कि पीपल का वृक्ष लगाने से सैंकड़ों यज्ञ करने के समान फल मिलता है और पुण्य कर्मों की वृद्धि होती है। पीपल के दर्शन से पापों का नाश, छुने से धन-धान्य की प्राप्ति एवं उसकी परिक्रमा करने से आयु में वृद्धि होती है।


Tuesday, 25 April 2023

यह रत्न कभी भी एक साथ धारण नहीं करना चाहिए*

*यह रत्न कभी भी एक साथ धारण नहीं करना चाहिए*
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*✍🏻१:-माणिक्य के साथ-* नीलम, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है। 
*२:-मोती के साथ-* हीरा, पन्ना, नीलम, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है। 
*३:-मूंगा के साथ-* पन्ना, हीरा, गोमेद, लहसुनिया वर्जित है। 
*४:-पन्ना के साथ-* मूंगा, मोती वर्जित है। 
*५:-पुखराज के साथ-* हीरा, नीलम, गोमेद वर्जित है। 
*६:-हीरे के साथ-* माणिक्य, मोती, मूंगा, पुखराज वर्जित है। 
*७:-नीलम के साथ-* माणिक्य, मोती, पुखराज वर्जित है। 
*८:- गोमेद के साथ-* माणिक्य, मूंगा, पुखराज वर्जित है। 
*९:-लहसुनिया के साथ-* माणिक्य, मूंगा, पुखराज, मोती वर्जित है।

Saturday, 22 April 2023

केदार योग

*केदार योग क्या है : 500 साल बाद 23 अप्रैल को बन रहा यह खास योग, कैसा है आपके लिए*
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*ज्योतिष में कई दुर्लभ योग के बारे में बताया गया है। उन्हीं में से एक है केदार योग। 23 अप्रैल को केदार योग का निर्माण हो रहा है। यह योग बहुत ही दुर्लभ माना गया है क्योंकि यह वर्षों में बनता है। इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। आओ जानते हैं कि क्या है केदार योग, कैसे बनता है यह योग और किन राशियों को मिलेगा इससे फायदा।* 
 
*🚩केदार योग क्या है और कैसे बनता है :-* जब कुण्डली में सातों ग्रह किन्हीं चार राशियों में हों तो केदार योग बनता है। 23 अप्रैल 2023 को यह योग बन रहा है। मेष राशि में बुध, सूर्य, गुरु और राहु विराजमान रहेंगे, वृषभ में चंद्र और शुक्र, कुंभ में शनि और मिथुन में मंगल विराजमान रहेंगे।
 
*🚩इस योग में जन्म लेने वाले जातक :-* इस योग में जन्म लेने वाला जातक भूमि और भवन से युक्त होता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार से संपत्ति की कोई कमी नहीं रहती है। अपनी मेहनत के बल पर वह संपत्ति में वृद्धि करता जाता है। इस योग में जन्मा जातक तेज बुद्धि, पराक्रमी, शत्रुहन्ता और राज पक्ष से प्रशंसा प्राप्त करके मान सम्मान और प्रसिद्धि अर्जित कर लेता है।
 
*⚛️मेष राशि :-* आपकी कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य, बुध, गुरु और राहु की युति बन रही है। शनि 11वें, मंगल 3रे और शुक्र दूसरे भाव में विराजमान होकर राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इससे आकस्मिक धन की प्राप्ति होगी। मान सम्मान में वृद्धि होगी। सभी कार्यों में सफलता मिलेगी। नया कार्य शुरु कर सकते हैं।

*⚛️सिंह राशि :-* आपके लिए केदार योग नौकरी में पदोन्नति देगा। व्यापार में अचानक से मुनाफा बढ़ा देगा। जीवनसाथी के साथ संबंधों में सुधार होगा। साझेदारी के व्यापार है तो उसमें भी लाभ होगा। कुल मिलाकर यह समय आपके लिए बहुत ही शुभ साबित होगा।
 
*⚛️धनु राशि :-* आपके लिए केदार योग कुंडली के तीसरे, पांचवें, छठे और सातवें भाव में शुभ फल देने वाला है। यानी आपकी आय में वृद्धि होगी। जीवनसाथी से संबध मजबूत होंगे। कोर्ट कचहरी के मामले सुलझ जाएंगे। सेहत में सुधार होगा। शुत्र परास्त्र होंगे। नौकरी करियर और शिक्षा में उन्नति होगी। निवेश से लाभ होगा। बैंकिंग, फाइनेंस, शेयर मार्केट, इंवेस्टमेंट आदि से जुड़े लोगों को सफलता मिलेगी।
 
*⚛️मकर राशि :-* आपकी राशि के लिए यह केदार योग सुख लेकर आया है। भूमि, भवन या वाहन खरीदने के योग बनेंगे। कोर्ट कचहरी के मामले में सफलता मिलेगी। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। संतान पक्ष की ओर से शुभ समाचार मिलेगा। वाणी में मधुरता आएगी। आय में बढ़ोतरी होगी।
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पितृदोष

प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में पितृदोष सबसे बड़ा दोष माना गया है. इससे पीड़ित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है. जिस जातक की कुंडली में यह दोष होता है उसे धन अभाव से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है. पितृदोष से पीड़ित जातक की उन्नति में बाधा रहती है. आमतौर पर पितृदोष के लिए खर्चीले उपाय बताए जाते हैं लेकिन यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष बन रहा है और वह महंगे उपाय करने में असमर्थ है तो भी परेशान होने की कोई बात नहीं.
पितृदोष का प्रभाव कम करने के लिए ऐसे कई आसान, सस्ते व सरल उपाय भी हैं जिनसे इसका प्रभाव कम हो सकता है.
कोई भी उपाय करने से पहले सर्वप्रथम और महत्वपूर्ण उपाय यह है कि हर इंसान अपने जीवित माता - पिता को आदर- सम्मान देवें और यथाशक्ति उन्हें सुख - सुविधा प्रदान कराएं.
पितृ दोष कही न कही अनेको दोषों को उत्पन्न करने वाला होता है जैसे की वंश न बढ़ने का दोष, असफलता मिलने का दोष, बाधा दोष और भी बहुत कुछ. पितृ पक्ष में की गयी पूजा और तर्पण अगर विधि विधान और मन लगाकर किया जाए तो अच्छे फल देने वाली सिद्ध होती है.
घर में पितृ दोष होगा तो संतान की शिक्षा, दिमाग, व्यवहार पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता.
जिन जातकों को पितृ दोष होता है उनके बहुत से कारण होते है की हमारे अपने पितरों से सम्बन्ध अच्छे नहीं हो पाते, कारण, आपके जीवन में रुकावटें, परेशानियाँ और क्या नहीं होता.
बालो पर सबसे पहले प्रभाव पड़ता है, जैसे समय से पहले बालों का सफ़ेद हो जाना, सिर के बीच के हिस्से से बालों का कम होना, हर कार्य में नाकामी हाथ लगाना, घर में हमेशा कलह रहना, बीमारी घर के सदस्यों को चाहे छोटी हो या बड़ी घेरे रखती है, यह सब लक्षण होने से घर मे पितृ दोष है. अगर घर में पितृ दोष है तो किसी भी सदस्य को सफलता आसानी से हाथ नहीं लगती.

पितृ दोष कुंडली में होने से कुंडली के अच्छे ग्रह उतना अच्छा फल जितना उन्हें देना चाहिए.
घर के सभी लोग आपस में झगड़ते है, घर के बच्चों के विवाह देरी से होते है, विवाह करने में बहुत दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है.
अगर पितृ दोष हावी होने से घर में धन नहीं रुकेगा. संचित धन भी बीमारी या क़र्ज़ देने, चुकाने में चला जायेगा. पुरानी चीजे ठीक कराने में धन निकल जायेगा पर रुकेगा नहीं.
परिवार की मान और प्रतिष्ठा में गिरावट आती है, पितृ दोष के कारण घर में पेड़-पौधे या फिर जानवर नहीं पनप पाते. घर में शाम आते आते अजीब सा सूनापन हो जायेगा जैसे की उदासी भरा माहौल, घर का कोई हिसा बनते बनते रह जायेगा या फिर बने हुए हिस्से में टूट-फुट होगी, उस हिस्से में दरारे आ जाती है.
घर का मुखिया बीमार रहता है, रसोई घर के आस पास वाली दीवारों में दरार आ जाते है. जिस घर में पितृ दोष हावी होता है उस घर से कभी भी मेहमान संतुष्ट होकर नहीं जायेंगे चाहे आप कुछ भी क्यूँ न कर ले या फिर कितनी ही खातिरदारी कर ले, मेहमान हमेशा नुक्स निकाल कर रख देंगे यानी की मोटे तौर पर आपकी इज्ज़त नहीं करेंगे.
घर में चीजे और साधन होते हुए भी घर के लोग खुश नहीं रहते. जब पैसे की जरुरत पड़ती है तो पैसा मिल नहीं पाता. ऐसे घर के बच्चों को उनकी नौकरी या फिर कारोबार में स्थायित्व लम्बे समय बाद ही हो पाता है, बच्चा तेज़ होते हुए भी कुछ जल्दी से हासिल नहीं कर पायेगा ऐसी परिस्थितियाँ हो जायेंगी.
जिस घर में पितृ दोष होता है उस घर में भाई-बहन में मन-मुटाव रहता ही रहता है. कभी कभी तो परिस्थितियाँ ऐसी हो जाती है की कोई एक दूसरे की शकल तक देखना पसंद नहीं करता. जिस घर में पितृ दोष हो पति- पत्नी में बिना बात के झगडा होना भी ऐसे घर में स्वाभाविक है.
ऐसे घर के लोग जब एक दूसरे के साथ रहेंगे तो हमेशा कलेश करके रखेंगे परन्तु जैसे ही एक दुसरे से दूर जायेंगे तो प्रेम से बात करेंगे.
घर में स्त्रियों के साथ दुराचार करना, उन्हें नीचा दिखाना, उनका सम्मान न करने से शुक्र ग्रह बहुत बुरा फल देता है जिसका असर आने वाली चार पीड़ियों तक रहता है. 
जिस घर में जानवरों के साथ बुरा सुलूक किया जाता है उस घर में पितृ दोष आना स्वाभाविक है. और जो जानवरों के साथ बुरा सुलूक करते है वह ही नहीं अपितु उनका पूरा परिवार और उनकी संतान पर पितृ दोष के बुरे प्रभाव के हिस्सेदार जाने-अनजाने में बन जाते है.
जिस घर में विनम्र रहने वाले व्यक्ति का अपमान होता है वह घर पितृ दोष से पीड़ित होगा, साथ में जो लोग कमजोर व्यक्ति का अपमान करेंगे वह भी पितृ दोष से प्रभावित होंगे.

👉जमीन हथियाने से, हत्या करने से पित्र दोष लगता है.

👉जो लोग समाज-विरॊधि काम काम करते हैं उनका बृहस्पति खराब होकर उनकी कई पीढ़ियों तक पितृ दोष देता रहता है.

👉बुजुर्गों का अपमान जहा हुआ वह समझिये पितृ दोष आया ही आया.

👉सीढ़ियों के निचे रसोई या फिर सामान इक्कठा करने का स्टोर बनाने से पितृ दोष लगता है.

👉मित्र या प्रेमी को धोखा देने से पितृ दोष लगता है, शेर-मुखी घर में रहने वाले लोगो को पितृ दोष के दुष्प्रभाव झेलने पड़ते है. {शेर-मुखी ऐसा घर होता है जो शुरू शुरू में चौड़ा होता है परन्तु जैसे जैसे आप घर के अंदर जाते जायेंगे वह पतला होता चला जाता है.

👉जन्मकुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तो व्यक्ति को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए. उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है.

👉अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए. भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं.

👉अगर हो सके तो अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है.

👉पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें.

👉शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें. इससे भी पितृ दोष की शांति होती है.

👉सोमवार प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें. 21 सोमवार करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है.

👉प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है.

👉जन्मकुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है.

👉ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान, गर्मी में पानी पिलाने के लिए कुंए खुदवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है.

👉पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं. विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है.

👉पितरों के नाम पर गरीब विद्यार्थियों की मदद करने तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है.

पित्र दोष निवारण मन्त्र
मन्त्र 1 -- ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः ।
मन्त्र २-- ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः ।।
एक माला रोज अगर घर का मुखिया या अन्य सदस्य करें तो बहुत लाभ होता है।
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9910057645 9971553732 

Sunday, 8 January 2023

माँ छिन्नमस्ता स्तोत्र



माँ छिन्नमस्ता स्तोत्र 


श्रीगणेशाय नमः ।

आनन्दयित्रि परमेश्वरि वेदगर्भे मातः पुरन्दरपुरान्तरलब्धनेत्रे ।

लक्ष्मीमशेषजगतां परिभावयन्तः सन्तो भजन्ति भवतीं धनदेशलब्ध्यै ॥ १॥

लज्जानुगां विमलविद्रुमकान्तिकान्तां कान्तानुरागरसिकाः परमेश्वरि त्वाम् ।

ये भावयन्ति मनसा मनुजास्त एते सीमन्तिनीभिरनिशं परिभाव्यमानाः ॥ २॥

मायामयीं निखिलपातककोटिकूटविद्राविणीं भृशमसंशयिनो भजन्ति ।

त्वां पद्मसुन्दरतनुं तरुणारुणास्यां पाशाङ्कुशाभयवराद्यकरां वरास्त्रैः ॥ ३

ते तर्ककर्कशधियः श्रुतिशास्त्रशिल्पैश्छन्दोऽ- भिशोभितमुखाः ।

सर्वज्ञलब्धविभवाः कुमुदेन्दुवर्णां ये वाग्भवे च भवतीं परिभावयन्ति ॥ ४॥

वज्रपणुन्नहृदया समयद्रुहस्ते वैरोचने मदनमन्दिरगास्यमातः ।

मायाद्वयानुगतविग्रहभूषिताऽसि दिव्यास्त्रवह्निवनितानुगताऽसि धन्ये ॥ ५॥

वृत्तत्रयाष्टदलवह्निपुरःसरस्य मार्तण्डमण्डलगतां परिभावयन्ति ।

ये वह्निकूटसदृशीं मणिपूरकान्तस्ते कालकण्टकविडम्बनचञ्चवः स्युः ॥ ६

कालागरुभ्रमरचन्दनकुण्डगोल- खण्डैरनङ्गमदनोद्भवमादनीभिः ।

सिन्दूरकुङ्कुमपटीरहिमैर्विधाय सन्मण्डलं तदुपरीह यजेन्मृडानीम् ॥ ७॥

चञ्चत्तडिन्मिहिरकोटिकरां विचेला- मुद्यत्कबन्धरुधिरां द्विभुजां त्रिनेत्राम् ।

वामे विकीर्णकचशीर्षकरे परे तामीडे परं परमकर्त्रिकया समेताम् ॥ ८॥

कामेश्वराङ्गनिलयां कलया सुधांशोर्विभ्राजमानहृदयामपरे स्मरन्ति 

सुप्ताहिराजसदृशीं परमेश्वरस्थां त्वामाद्रिराजतनये च समानमानाः ॥ ९

लिङ्गत्रयोपरिगतामपि वह्निचक्र- पीठानुगां सरसिजासनसन्निविष्टाम् ।

सुप्तां प्रबोध्य भवतीं मनुजा गुरूक्तहूँकारवायुवशिभिर्मनसा भजन्ति ॥ १०॥

शुभ्रासि शान्तिककथासु तथैव पीता स्तम्भे रिपोरथ च शुभ्रतरासि मातः 

उच्चाटनेऽप्यसितकर्मसुकर्मणि त्वं संसेव्यसे स्फटिककान्तिरनन्तचारे ॥ ११॥

त्वामुत्पलैर्मधुयुतैर्मधुनोपनीतैर्गव्यैः पयोविलुलितैः शतमेव कुण्डे ।

साज्यैश्च तोषयति यः पुरुषस्त्रिसन्ध्यं षण्मासतो भवति शक्रसमो हि भूमौ ॥ १२॥

जाग्रत्स्वपन्नपि शिवे तव मन्त्रराजमेवं विचिन्तयति यो मनसा विधिज्ञः ।

संसारसागरसमृद्धरणे वहित्रं चित्रं न भूतजननेऽपि जगत्सु पुंसः ॥ १३॥

इयं विद्या वन्द्या हरिहरविरिञ्चिप्रभृतिभिः पुरारातेरन्तः पुरमिदमगम्यं पशुजनैः.।

सुधामन्दानन्दैः पशुपतिसमानव्यसनिभिः सुधासेव्यैः सद्भिर्गुरुचरणसंसारचतुरैः ॥ १४॥

कुण्डे वा मण्डले वा शुचिरथ मनुना भावयत्येव मन्त्री संस्थाप्योच्चैर्जुहोति प्रसवसुफलदैः पद्मपालाशकानाम् ।

हैमं क्षीरैस्तिलैर्वां समधुककुसुमैर्मालतीबन्धुजातीश्वेतैरब्धं सकानामपि वरसमिधा सम्पदे सर्वसिद्ध्यै ॥ १५॥

अन्धः साज्यं समांसं दधियुतमथवा योऽन्वहं यामिनीनां मध्ये देव्यै ददाति प्रभवति गृहगा श्रीरमुष्यावखण्डा ।

आज्यं मांसं सरक्तं तिलयुतमथवा तण्डुलं पायसं वा हुत्वा मांसं त्रिसन्ध्यं स भवति मनुजो भूतिभिर्भूतनाथः ॥ १६॥

इदं देव्याः स्तोत्रं पठति मनुजो यस्त्रिसमयं शुचिर्भूत्वा विश्वे भवति धनदो वासवसमः ।

वशा भूपाः कान्ता निखिलरिपुहन्तुः सुरगणा भवन्त्युच्चैर्वाचो यदिह ननु मासैस्त्रिभिरपि ॥ १७॥

॥ इति श्रीशङ्कराचार्यविरचितः प्रचण्डचण्डिकास्तवराजः समाप्तः ॥