Tuesday, 25 November 2025

हनुमानजी को सिंदूर का चोला चढ़वाएं

हनुमानजी को सिंदूर का चोला चढ़वाएं

हनुमानजी को सिंदूर और तेल अर्पित करें। जिस प्रकार विवाहित स्त्रियां अपने पति या स्वामी की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं, ठीक उसी प्रकार हनुमानजी भी अपने स्वामी श्रीराम के लिए पूरे शरीर पर सिंदूर लगाते हैं। जो भी व्यक्ति शनिवार को हनुमानजी को सिंदूर अर्पित करता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।
अपनी श्रद्धा के अनुसार किसी हनुमान मंदिर में बजरंग बली की प्रतिमा पर चोला चढ़वाएं। ऐसा करने पर आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।

चौमुखा दीपक का उपाय

हनुमानजी के सामने शनिवार की रात को चौमुखा दीपक लगाएं। यह एक बहुत ही छोटा लेकिन चमत्कारी उपाय है। ऐसा नियमित रूप से करने पर आपके घर-परिवार की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।

पीपल के नीचे करें ये उपाय

– किसी पीपल पेड़ को जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें। इसके बाद पीपल के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।

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tara chakra

1 जन्म तारा - चन्द्रमा जिस नक्षत्र मै है वह जन्म तारा नक्षत्र है इस तारा नक्षत्र मै इंसान को अपने कर्मो का फल महादशा अंतर दशा मै मिलता है, जो भी अच्छा बुरा करोगे उस का फल मिलेगा

2 सम्पत तारा - चन्द्रमा के बाद जिस ग्रह का  दूसरा नक्षत्र होता है वह सम्पत तारा नक्षत्र मै आता है इस नक्षत्र की महादशा ओर अंतर दशा मै धन ओर समृद्धि मिलती है

3 विपत् तारा - चन्द्रमा के बाद जिस ग्रह का  तीसरा नक्षत्र होता है वह विपत  तारा नक्षत्र मै आता है  इस नक्षत्र मै बैठे ग्रह की महादशा ओर अंतर दशा मै खतरे मुसीबत दुर्घटना आपदाए आ सकती है

4 शैम् तारा - चन्द्रमा के बाद जिस ग्रह का चौथा नक्षत्र होता है वह शेम तारा नक्षत्र मै आता है  इस नक्षत्र मै बैठे ग्रह की महादशा ओर अंतर दशा अच्छी ओर शुभ कामों मै जाति हे


5 प्रत्यारी तारा -  चन्द्रमा के बाद जिस ग्रह का पांचवा नक्षत्र होता है वह प्रत्यारी तारा नक्षत्र मै आता है  इस नक्षत्र मै बैठे ग्रह की महादशा ओर अंतर दशा मै बाधा ओर विफलता आती है

6 साधक तारा -  चन्द्रमा के बाद जिस ग्रह का छता नक्षत्र होता है वह प्रत्यारी तारा नक्षत्र मै आता है  इस नक्षत्र मै बैठे ग्रह की महादशा ओर अंतर दशा मै उपलब्धिया सफलता जीवन मै वृद्धि स्थिति मै सुधार आता है

7  वध तारा -  चन्द्रमा के बाद जिस ग्रह का सातवां नक्षत्र होता है वह वध तारा नक्षत्र मै आता है  इस नक्षत्र मै बैठे ग्रह की महादशा ओर अंतर दशा मै मृत्यु गंभीर कष्ट बीमारी मुसीबत ओर दुर्भाग्य का खतरा रहता है

8  मित्र तारा -  चन्द्रमा के बाद जिस ग्रह का आठव नक्षत्र होता है वह मित्र तारा नक्षत्र मै आता है  इस नक्षत्र मै बैठे ग्रह की महादशा ओर अंतर दशा मै उपलब्धिया सफलता जीवन मै वृद्धि सहायता दोस्ती खुशी ओर चिंता सै छुटकारा मिलता है

9  अति मित्र तारा -  चन्द्रमा के बाद जिस ग्रह का नवमा नक्षत्र होता है वह अतिमित्र तारा नक्षत्र मै आता है  इस नक्षत्र मै बैठे ग्रह की महादशा ओर अंतर दशा मै उपलब्धिया सफलता आसानी सै जीवन जीना, आराम दायक जिंदगी होती है हर तरफ सफलता मिलती है

राहु के लिए :

राहु के लिए : 
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समय रात्रिकाल 

भैरव पूजन या शिव पूजन करें। काल भैरव अष्टक का पाठ करें। 

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राहु के मूल मंत्र का जप रात्रि में 18,000 बार 40 दिन में करें। 

मंत्र : 'ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:'। 

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दान-द्रव्य : गोमेद, सोना, सीसा, तिल, सरसों का तेल, नीला कपड़ा, काला फूल, तलवार, कंबल । 

शनिवार का व्रत करना चाहिए। भैरव, शिव या चंडी की पूजा करें। 

8 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

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Sunday, 23 November 2025

कैसे करे जप माला से ये जाने

कैसे करे जप माला से ये जाने :- 
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 🌹🌹जप करने वाले व्यक्ति को एक बार में 108 जाप पूरे करने चाहिए। इसके बाद सुमेरु से माला पलटकर पुनः जाप आरंभ करना चाहिए।

* किसी भी स्थिति में माला का सुमेरु लांघना नहीं चाहिए।माला को अंगूठे और अनामिका से दबाकर रखना चाहिए और मध्यमा उंगली से एक मंत्र जपकर एक दाना हथेली के अंदर खींच लेना चाहिए।

* तर्जनी उंगली से माला का छूना वर्जित माना गया है।

* माला के दाने कभी-कभी 54 भी होते हैं। ऐसे में माला फेर कर सुमेरु से पुनः लौटकर एक बार फिर एक माला अर्थात् 54 जप पूरे कर लेना चाहिए।

* मानसिक रूप से पवित्र होने के बाद किसी भी सरल मुद्रा में बैठें जिससे गर्दन और सिर एक सीधी रेखा में रहे।

* मंत्र जप पूरे करने के बाद अंत में माला का सुमेरु माथे से छुआकर माला को किसी पवित्र स्थान में रख देना चाहिए।

* मंत्र जप में कर-माला का प्रयोग भी किया जाता है।

* जिनके पास कोई माला नहीं है वह कर-माला से विधि पूर्वक जप करें। कर-माला से मंत्र जप करने से भी माला के बराबर जप का फल मिलता है।

भगवान सूर्य के लिए :
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माणिक्य, गारनेट, बिल की लकड़ी की माला का उपयोग करे |www.astroshaliini.com

भगवान शिव शंकर के लिए :
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इनके लिए रुद्राक्ष की माला काम में ले |पढ़े : रुद्राक्ष की उत्पति की कहानी

माँ दुर्गा के लिए :
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माँ शेरोवाली के लिए लाल चन्दन की माला से जप करे |

माँ लक्ष्मी के लिए :
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कमलट्टे की माला माँ लक्ष्मी की की गयी आराधना जल्दी सफल होती है |

भगवान हरि विष्णु के लिए :
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तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग करे |

माँ अम्बिका की पूजा में :
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स्फटिक माला काम में ले |

माँ काली के मंत्र जप :
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नील कमल या काली हल्दी की माला से मंत्र जाप करे |
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बगलामुखी :
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पीली हल्दी की माला माँ बगलामुखी को प्रिय है |

9 zones vastu sidhanta :-

9 zones vastu sidhanta :-

9 zones vastu sidhanta divides the plot/property in nine zones.
They are East, Southeast, South, Southwest, West, Northwest, North and East .The central part is called Space or Bhrahmasthana.

Theoretically main directions (E, S, W, N) effect more but practically the sub-directions (Se, Sw, Nw, Ne) affect more.

Significance of directions are as follows:-

East (E):-The energy generated by East Zone facilitates the Social Connectivity. It is the ideal Zone for a Drawing Room.

South-East (SE):- Also known as the Fire Zone, it is the Zone of Money.

South-West (SW):- It is the Zone of Skill, Marriage, Family Harmony, Bonding, Stability in life and Relationships.

West 
The energy of this Zone ensures that no action or effort made by you goes waste.

North-West (NW):- The North-West Zone generates the energy that attracts Supportive and Helpful people for any cause you pursue.

North (N):- As North Zone represents Money or Treasure, its energy helps you to generate New Opportunities to earn money
.
North-East (NE):-It is the Zone of Wisdom, Meditation and Inspiration. In Vastu, this Zone is ideal for Meditation.

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