राशि–परिवर्तन योग-जब कोई भी दो ग्रह एक दूसरे की राशि में स्थित हों तो इसे राशि–परिवर्तन योग कहते हैं
राशि परिवर्तन योग को मुख्य रूप से तीन स्थितियों में बाटा गया है
महायोग-जब कुंडली में शुभ भावों का आपस में राशि परिवर्तन होता है तो इसे महायोग कहते हैं.महायोग को बहुत शुभ फल देने वाला माना गया है इससे कुंडली का बल और साकारात्मक परिणाम बढ़ते हैं महायोग में जिन दो भावों के स्वामियों में राशि परिवर्तन होता है उन दोनों भावों का बल बहुत बढ़ जाता है जिससे उस भाव से सम्बंधित कारक तत्वों की जीवन में अच्छी प्राप्ति होती है
दैन्य योग –यदि कुंडली पाप या दुःख भावों के स्वामियों का शुभ भावों के स्वामियों के साथ रशिपरिवर्तन हो तो इसे दैन्य योग कहते हैं!दैन्य योग को अच्छा नहीं माना गया है इससे संघर्ष की उत्पत्ति होती है कुंडली में दैन्य योग बनने पर शुभ भाव का स्वामी पाप भाव में होने और पाप भाव का स्वामी शुभ भाव में होने से वह शुभ भाव और उसका स्वामी पीड़ित हो जाते हैं जिससे शुभ भाव से सम्बंधित कारक तत्वों में हानि होती है और संघर्ष का सामना करना पड़ता है
खल-योग –कुंडली में जब तीसरे भाव के स्वामी का किसी भी शुभ भाव के स्वामी के साथ राशि परिवर्तन हो तो इसे खल योग कहते हैं !खल योग का परिणाम दैन्य योग की तरह अति नकारात्मक तो नहीं होता पर दैन्य योग को भी अच्छा नहीं माना गया है इसमें तृतियेश का जिस शुभ भाव के स्वामी से राशि परिवर्तन होता है उस भाव के कारक तत्वों की प्राप्ति में संघर्ष या अधिक पुरुषार्थ करना पड़ता है
Wednesday, 12 December 2018
राशि परिवर्तन योग
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