||#विवाह_सुख_कैसा_होगा?|| कुंडली का सातवा भाव वैवाहिक जीवन और जीवनसाथी का है।यह भाव और इस भाव का स्वामी +लड़के की कुंडली में शुक्र और लड़की की कुंडली में गुरु विवाह का सुख है या नही इसकी पूरी तरह जानकारी दे देते है।सबसे पहले कुंडली का सातवा भाव और इस भाव का स्वामी देखेंगे यदि सप्तम भाव पर या सप्तमेश पर कम से कम दो या दो से ज्यादा पाप/क्रूर ग्रहो शनि मंगल राहु केतु ग्रहो का प्रभाव है और विवाह कारक शुक्र गुरु भी इन्ही पाप/क्रूर ग्रहो की चपेट में है तब विवाह सुख नही मिलता शादी होने के बाद भी उसमे दिक्कते होगी या पति-पत्नी अलग-अलग रहेंगे।यदि सप्तम भाव सप्तमेश पाप ग्रहो के प्रभाव में है लेकिन सप्तम भाव गुरु से द्रष्ट है तब पति-पत्नि दोनों अलग न हो लेकिन वैवाहिक जीवन सही नह चलेगा।सप्तमेश अस्त, नीच राशि या पाप ग्रहो से युक्त होकर अशुभ स्थिति में होगा तब वैवाहिक जीवन सही नही रहेगा।इसके विपरीत सप्तमेश और सप्तम भाव में जितना ज्यादा गुरु शुक्र बुध का प्रभाव होगा उतना ही वैवाहिक जीवन बढ़िया रहेगा।सप्तम भाव सप्तमेश जितने ज्यादा पाप ग्रहो से बचे होंगे गुरु शुक्र बली होंगे लड़की-लड़के की कुंडली में उतना ही वैवाहिक जीवन मधुर और सुखमय होगा।विवाह संबंधी ग्रह सप्तमेश केंद्र त्रिकोण में कारक गुरु शुक्र भी केंद्र त्रिकोण में या लग्न अनुसार अपने शुभ भाव में होंगे उतना ही वैवाहिक जीवन बढ़िया रहेगा।इसके आलावा नवमांश कुंडली का लग्न लग्नेश+सप्तम भाव सप्तमेश और वही कारक लड़के के लिए शुक्र+लड़की के लिए गुरु बली होंगे और नवमांश कुंडली का सप्तम भाव, नवमांश लग्न, लग्नेश इन्ही ग्रहो से युक्त होगा उतना ही वैवाहिक जीवन सुख रहेगा, पाप ग्रहो के प्रभाव में होंगे से शुभ ग्रहो के प्रभाव में न होंने से वैवाहिक जीवन में दिक्कते रहेगी।लग्न कुंडली और नवमांश कुंडली दोनों में ही शादी की स्थिति बढ़िया होने से सोने पर सुहागा जैसे फल मिलेंगे यदि लग्न और नवमांश दोनों में ही शादी की स्थिति ख़राब होगी तो लाख कोशिश करने के बाद भी विवाह सुख नही मिलेगा।यदि लग्न और नवमांश दोनों कुंडलियो में से एक भी शादी के लिए अनुकूल है तब शादी सामान्य ठीक ही रहेगी।इसके आलावा कुंडली का दूसरा भाव, चौथा भाव और बारहवां भाव भी वैवाहिक जीवन के सुख वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दूसरा भाव परिवार वृद्धि का है, परिवारिक सुख है, चौथा भाव घर गृहस्थी है तो बारहवा भाव शैय्या सुख है यह भाव और सभी सुख वैवाहिक जीवन के सहयोगी भाव और वैवाहिक सुख के अंग है यदि इन चीजो में भी कमी है तब वैवाहिक जीवन में तनाब या सुख में कमी होना अनिवार्य हो जाता है।केवल सप्तम भाव और सप्तमेश शुभ है लेकिन यह भावेश शुभ स्थिति में नही होंगे तो शादी तो चलेगी लेकिन किसी न किसी कारण से परिवार सुख(द्वितीय भाव) घर-गृहस्थी(चतुर्थ भाव), शैय्या सुख(द्वादश भाव)में कमी रहेगी।इस तरह वैवाहिक जीवन की पूरी जीवनी कैसी रहेगी यह जातक की कुंडली में बनने वाली भाव और ग्रहो की स्थिति पर निर्भर करता है।
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