Sunday, 1 December 2024

रसोईघर का तवा-

*रसोईघर का तवा-*
आप ध्यान से विचार करेंगे तो आप देखेंगे कि आपकी रसोईघर में ही आपकी किस्मत के राज़ छुपे हुवे हैं। घर की वृद्ध महिलाएं आज भी इन बातों का विशेष ध्यान रखती हैं। रसोई का तवा भी घर के वास्तु में विशेष स्थान रखता है। जानिये इस बारे में, और अपनाईये भी-
1. तवा हमेशा छुपा कर रखें, ताकि इस पर बाहरी व्यक्ति की नजर न पडे़, इसे अशुभ माना जाता है।
2. तवा हमेशा साफ-सुथरा रखें, ये अन्नपूर्णा का ही एक सदस्य है। 
3. तवा कभी भी उल्टा न रखें अन्यथा आपके घर में अचानक होने वाली अशुभ घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।
4. गर्म तवे पर कभी भी पानी न डालें, क्योंकि इससें निकलने वाली आवाज़ जीवन में परेशानियां लाती है और घर की शादियों में मूसलाधार बारिश होती है।
5. तवे पर पहली रोटी बनाने से पहले, तवे पर थोड़ा नमक छिडकें, इससे कभी भी अन्न व धन की कमीं नहीं रहेगी।
6. पहली रोटी 2-3 इंच व्यास से अधिक न बनायें और उसे ऐसे स्थान पर रखें कि उसे आसानी से चींटियां या पक्षी खा सकें।
7. दूसरी रोटी हमेशा गाय को बनाकर खिलायें तो आपके घर-परिवार पर सदैव एक अदृश्य आशीर्वाद की छाया पड़ती रहेगी।
 Acharya Shalini Malhotra

Monday, 25 November 2024

रविवार को पीपल पूजा नहीं करने की पौराणिक मान्यता*

*रविवार को पीपल पूजा नहीं करने की पौराणिक मान्यता*
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पीपल की पूजा के लिए शनिवार का दिन उत्तम होता है, वहीं रविवार के दिन इसकी पूजा करना अशुभ माना जाता है. जानिए आखिर रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा क्यों नहीं की जाती है.

पीपल के पेड़ की पूजा के नियम
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सनातन धर्म में देवी-देवताओं के साथ-साथ कई पेड़-पौधों को भी देवतुल्य माना गया है. कई ऐसे कई पेड़-पौधे, नदियां और पर्वत हैं जिनसे कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. इन्हीं में से एक है पीपल का वृक्ष. शास्त्रों में पीपल की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ पर देवी-देवताओं के साथ-साथ प्रेत-आत्माओं और पितरों का भी वास होता है. माना जाता है शनिवार के दिन पीपल के सामने दीया जलाकर शनि दोष से मुक्ति पाई जा सकती है. पीपल की पूजा के लिए शनिवार का दिन उत्तम होता है, वहीं रविवार के दिन इसकी पूजा करना अशुभ माना जाता है. जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता।

रविवार के दिन नहीं करनी चाहिए पीपल की पूजा
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पीपल की पूजा से जुड़े कुछ खास नियम हैं. रविवार के दिन पीपल की पूजा करना अशुभ माना जाता है. रविवार के दिन इसकी पूजा करने से आर्थिक स्थिति खराब होने के साथ-साथ शारीरिक कष्टों का भी सामना करना पड़ता है. रविवार को पीपल की पूजा न करने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. इसके अनुसार समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी और उनकी बहन अलक्ष्मी दोनों ही बाहर निकलीं थीं. दोनों बहनों ने विष्णु जी से प्रार्थना कर अपने लिए रहने का स्थान मांगा.

पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी और उनकी बहन दरिद्रा दोनों को ही पीपल के वृक्ष में वास करने का स्थान दिया. इस तरह से दोनों बहनें पीपल के वृक्ष में निवास करने लगीं. एक बार जब भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से विवाह का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने पहले अपनी बहन दरिद्रा के विवाह का आग्रह किया. अलक्ष्मी की इच्छा थी कि उनका विवाह किसी ऐसे व्यक्ति से हो जो पूजा पाठ न करता हो. 

दरिद्रा की इच्छा के अनुसार भगवान विष्णु ने उनका विवाह एक ऐसे ही ऋषि से करा दिया. विवाह के बाद भगवान विष्णु ने दरिद्रा और उसके पति ऋषि को अपने निवास स्थान पीपल में रविवार के दिन निवास करने का स्थान दे दिया. तभी से ऐसा माना जाने लगा कि रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर दरिद्रा यानी अलक्ष्मी का वास होता है. रविवार को पीपल की पूजा करने से अलक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और घर में दरिद्रता आती है. इसलिए रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करनी चाहिए।
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व्यक्ति के चरित्र और स्वभाव पर वारो एवं जन्मतिथि का प्रभाव ----------


व्यक्ति के चरित्र और स्वभाव पर वारो एवं जन्मतिथि का प्रभाव 
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वारो का जातक के स्वभाव पर प्रभाव 
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सप्ताह में कुल सात दिन या सात वार होते है। हम सभी लोगों का जन्म इन सातों वारों में से किसी एक वार को हुआ है। ज्योतिषशास्त्र कहता हैं, वार का हमारे व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हमारा जन्म जिस वार में होता है उस वार के प्रभाव से हमारा व्यवहार और चरित्र भी प्रभावित होता है। आइये देखें कि किस वार में जन्म लेने पर व्यक्ति का स्वभाव कैसा होता है।

1👉 रविवार को पैदा हुये जातक 
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रविवार सप्ताह का प्रथम दिन होता है. इसे सूर्य का दिन माना जाता है. इस दिन जिस व्यक्ति का जन्म होता है वे व्यक्ति तेजस्वी, गर्वीले और पित्त प्रकृति के होते है . इनके स्वभाव में क्रोध और ओज भरा होता है. ये चतुर और गुणवान होते हैं. इस तिथि के जातक उत्साही और दानी होते हैं. अगर संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाए तो उसमें पूरी तकत लगा देते हैं. 

2👉 सोमवार को पैदा हुये जातक
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सोमवार यानी सप्ताह का दूसरा दिन, इस वार को जन्म लेने वाला व्यक्ति बुद्धिमान होता है . इनकी प्रकृति यानी इनका स्वभाव शांत होता है. इनकी वाणी मधुर और मोहित करने वाली होती है. ये स्थिर स्वभाव वाले होते हैं सुख हो या दु:ख सभी स्थिति में ये समान रहते हैं. धन के मामले में भी ये भाग्यशाली होते हैं. इन्हें सरकार व समाज से मान सम्मान मिलता है 

3👉 मंगलवार को पैदा हुये जातक 
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मंगलवार को जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह व्यक्ति जटिल बुद्धि वाला होता है, ये किस भी बातको आसानी से नहीं मानते हैं और सभी बातों में इन्हें कुछ न कुछ खोट दिखाई देता है. ये युद्ध प्रेमी और पराक्रमी होते हैं. ये अपनी बातो पर कायम रहने वाले होते हैं. जरूरत पड़ने पर इस तिथि के जातक हिंसा पर भी उतर आते हैं. इनके स्वभाव की एक बड़ी विशेषता है कि ये अपने कुटुम्बों का पूरा ख्याल रखते हैं. 

4👉 बुध को पैदा हुये जातक 
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बुधवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति मधुर वचन बोलने वाले होते हैं . इस तिथि के जातक पठन पाठन में रूचि लेते हैं और ज्ञानी होते हैं. ये लेखन में रूचि लेते हैं और अधिकांशत: इसे अपनी जीवका बनाते हैं. ये अपने विषय के अच्छे जानकार होते हैं. इनके पास सम्पत्ति होती है परंतु ये धोखा देने में भी आगे होते हैं.

5👉 बृहस्पतिवार को पैदा हुये जातक 
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बृहस्पतिवार सप्ताह का पांचवा दिन होता है. इसे गुरूवार भी कहा जाता है. इस तिथि को जिनका जन्म होता है, वे विद्या एवं धन से युक्त होता है अर्थात ये ज्ञानी और धनवान होते हैं. ये विवेकशील होते हैं और शिक्षण को अपना पेशा बनाना पसंद करते हैं. ये लोगों के सम्मुख आदर और सम्मान के साथ प्रस्तुत होते हैं. ये सलाहकार भी उच्च स्तर के होते हैं. 

6👉 शुक्रवार को पैदा हुये जातक 
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जिस व्यक्ति का जन्म शुक्रवार को होता है वह व्यक्ति चंचल स्वभाव का होता है . ये सांसारिक सुखों में लिप्त रहने वाले होते हैं. ये तर्क करने में निपुण और नैतिकता में बढ़ चढ कर होते हैं. ये धनवान और कामदेव के गुणों से प्रभावित रहते हैं . इनकी बुद्धि तीक्ष्ण होती है. ये ईश्वर की सत्ता में अंधविश्वास नहीं रखते हैं. 

7👉 शनिवार को पैदा हुये जातक 
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जिस व्यक्ति का जन्म शनिवार को होता है उस व्यक्ति का स्वभाव कठोर होता है . ये पराक्रमी व परिश्रमी होते हैं. अगर इनके ऊपर दु:ख भी आये तो ये उसे भी सहना जानते हैं. ये न्यायी एवं गंभीर स्वभाव के होते हैं. सेवा करना इन्हें काफी पसंद होता है।

जन्मतिथि का प्रभाव 
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प्रतिपदा से लेकर अमावस तक तिथियों का एक चक्र होता है जैसे अंग्रेजी तिथि में 1 से 30 या 31 तारीख का चक्र होता है। ज्योतिषशास्त्र में सभी तिथियों का अपना महत्व है। सभी तिथि अपने आप में विशिष्ट होती है। हमारे स्वभाव और व्यवहार पर तिथियों का काफी प्रभाव पड़ता है ऐसा ज्योतिषशास्त्री मानते हैं। हमारा जन्म जिस तिथि में होता है उसके अनुसार हमारा स्वभाव होता है। आइये तिथिवार व्यक्ति के स्वभाव के विषय में जानकारी प्राप्त करें।

1.प्रतिपदा:
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म प्रतिपदा तिथि में होता है वह व्यक्ति अनैतिक तथा कानून के विरूद्ध जाकर काम करने वाला होता है इन्हें मांस मदिरा काफी पसंद होता है, यानी ये तामसी भोजन के शौकीन होते हैं। आम तौर पर इनकी दोस्ती ऐसे लोगों से रहती है जिन्हें समाज में सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता अर्थात बदमाश और ग़लत काम करने वाले लोग।

2.द्वितीया तिथि:
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ज्योतिषशास्त्र कहता है, द्वितीया तिथि में जिस व्यक्ति का जन्म होता है, उस व्यक्ति का हृदय साफ नहीं होता है। इस तिथि के जातक का मन किसी की खुशी को देखकर आमतौर पर खुश नहीं होता, बल्कि उनके प्रति ग़लत विचार रखता है। इनके मन में कपट और छल का घर होता है, ये अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए किसी को भी धोखा दे सकते हैं। इनकी बातें बनावटी और सत्य से दूर होती हैं। इनके हृदय में दया की भावना बहुत ही कम रहती है, यह किसी की भलाई तभी करते हैं जबकि उससे अपना भी लाभ हो। ये परायी स्त्री से लगाव रखते हैं जिससे इन्हें अपमानित भी होना पड़ता है। 

3.तृतीया तिथि:
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तृतीया तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर होता है अर्थात उनकी बुद्धि भ्रमित होती है। इस तिथि का जातक आलसी और मेहनत से जी चुराने वाला होता है। ये दूसरे व्यक्ति से जल्दी घुलते मिलते नहीं हैं बल्कि लोगों के प्रति इनके मन में द्वेष की भावना रहती है। इनके जीवन में धन की कमी रहती है, इन्हें धन कमाने के लिए काफी मेहनत और परिश्रम करना होता है। 

4.चतुर्थी तिथि:
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ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म चतुर्थी तिथि को होता है वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। इस तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति बुद्धिमान एवं अच्छे संस्कारों वाला होता है। ये मित्रों के प्रति प्रेम भाव रखते हैं। इनकी संतान अच्छी होती है। इन्हें धन की कमी का सामना नहीं करना होता है और ये सांसारिक सुखों का पूर्ण उपभोग करते हैं। 

5.पंचमी तिथि:
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पंचमी तिथि बहुत ही शुभ होती है। इस तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति गुणवान होता है। इस तिथि में जिस व्यक्ति का जन्म होता है वह माता पिता की सेवा को धर्म समझता है, इनके व्यवहार में सामाजिक व्यक्ति की झलक दिखाई देती है। इनके स्वभाव में उदारता और दानशीलता स्पष्ट दिखाई देती है। ये हर प्रकार के सांसारिक भोग का आनन्द लेते हैं और धन धान्य से परिपूर्ण जीवन का मज़ा प्राप्त करते हैं।

6.षष्टी तिथि:
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षष्टी तिथि को जन्म लेने वाला व्यक्ति सैर सपाटा पसंद करने वाला होता है। इन्हें देश-विदेश घुमने का शौक होता है अत: ये काफी यात्राएं करते हैं। इनकी यात्राएं मनोरंजन और व्यवसाय दोनों से ही प्रेरित होती हैं। इनका स्वभाव कुछ रूखा होता है और छोटी छोटी बातों पर लड़ने को तैयार हो जाता हैं।

7.सप्तमी:
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म सप्तमी तिथि को होता है वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। इस तिथि का जातक गुणवान और प्रतिभाशाली होता है, ये अपने मोहक व्यक्तित्व से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की योग्यता रखते हैं। इनके बच्चे गुणवान और योग्य होते हैं। धन धान्य के मामले में भी यह काफी भाग्यशाली होते हैं। ये संतोषी स्वभाव के होते हैं इन्हें जितना मिलता है उतने से ही संतुष्ट रहते हैं।

8.अष्टमी:
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अष्टमी तिथि को जिनका जन्म होता है वह व्यक्ति धर्मात्मा होता है। मनुष्यों पर दया करने वाला तथा गुणवान होता है। ये कठिन से कठिन कार्य को भी अपनी निपुणता से पूरा कर लेते हैं। इस तिथि के जातक सत्य का पालन करने वाले होते हैं यानी सदा सच बोलने की चेष्टा करते हैं। इनके मुख से असत्य तभी निकलता है जबकि किसी मज़बूर को लाभ मिले।

9.नवमी:
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नवमी तिथि को जन्म लेने वाला व्यक्ति भाग्यशाली एवं धर्मात्मा होता है। इस तिथि का जातक धर्मशास्त्रों का अध्ययन कर शास्त्रों में विद्वता हासिल करता है। ये ईश्वर में पूर्ण भक्ति एवं श्रद्धा रखते हैं। धनी स्त्रियों से इनकी संगत रहती है इनके पुत्र गुणवान होते हैं।

10.दशमी:
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देशभक्ति तथा परोपकार के मामले में दशमी तिथि के जातक श्रेष्ठ होते हैं। देश व दूसरों के हितों मे लिए ये सर्वस्व न्यौछावर करने हेतु तत्पर रहते हैं। इस तिथि के जातक धर-अधर्म के बीच अंतर को अच्छी तरह समझते हैं और हमेशा धर्म पर चलने वाले होते हैं।

11.एकादशी:
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एकादशी तिथि को जन्म लेने वाला व्यक्ति धार्मिक तथा सौभाग्यशाली होता है। मन, बुद्धि और हृदय से ये पवित्र होते हैं। इनकी बुद्धि तीक्ष्ण होती और लोगों में बुद्धिमानी के लिए जाने जाते है। इनकी संतान गुणवान और अच्छे संस्कारों वाली होती है, इन्हें अपने बच्चों से सुख व सहयोग मिलता है। समाज के प्रतिष्ठित लोगों से इन्हें मान सम्मान मिलता है।

12.द्वादशी:
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द्वादशी तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति का स्वभाव अस्थिर होता है। इनका मन किसी भी विषय में केन्द्रित नहीं हो पाता है बल्कि हर पल इनका मन चंचल रहता है। इस तिथि के जातक का शरीर पतला व कमज़ोर होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से इनकी स्थिति अच्छी नहीं रहती है। ये यात्रा के शौकीन होते हैं और सैर सपाटे का आनन्द लेते हैं।

13.त्रयोदशी:
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त्रयोदशी तिथि ज्योतिषशास्त्र में अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। इस तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति महापुरूष होता है। इस तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति बुद्धिमान होता है और अनेक विषयों में अच्छी जानकारी रखता है। ये काफी विद्वान होते हैं। ये मनुष्यों के प्रति दया भाव रखते हैं तथा किसी की भलाई करने हेतु तत्पर रहते हैं। इस तिथि के जातक समाज में काफी प्रसिद्धि हासिल करते हैं।

14.चतुर्दशी:
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जिस व्यक्ति का जन्म चतुर्दशी तिथि को होता है वह व्यक्ति नेक हृदय का एवं धार्मिक विचारों वाला होता है। इस तिथि का जातक श्रेष्ठ आचरण करने वाला होता है अर्थात धर्म के रास्ते पर चलने वाला होता है। इनकी संगति भी उच्च विचारधारा रखने वाले लोगों से होती है। ये बड़ों की बातों का पालन करते हें। आर्थिक रूप से ये सम्पन्न होते हैं। देश व समाज में इन्हें मान प्रतिष्ठा मिलती है।

15.पूर्णिमा:
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जिस व्यक्ति का जन्म पूर्णिमा तिथि को होता है वह व्यक्ति पूर्ण चन्द्र की तरह आकर्षक और मोहक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। इनकी बुद्धि उच्च स्तर की होती है। ये अच्छे खान पान के शौकीन होते हैं। ये सदा अपने कर्म में जुटे रहते हैं। ये परिश्रमी होते हैं और धनवान होते हैं। ये परायी स्त्रियो पर मोहित रहते हैं।

16.अमावस:
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अमावस्या तिथि को जन्म लेने वाला व्यक्ति चतुर और कुटिल होता है। इनके मन में दया की भावना बहुत ही कम रहती है। इनके स्वभाव में ईर्ष्या अर्थात दूसरों से जलने की प्रवृति होती है। इनके व्यवहार व आचरण में कठोरता दिखाई देती है। ये दीर्घसूत्री अर्थात किसी भी कार्य को पूरा करने में काफी समय लेने वाले होते हैं। ये झगड़ा करने में भी आगे रहते हैं।
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नौ ग्रहों के दोष दूर करना हो तो ये हैं शिवलिंग के खास उपाय🕉️*

*🕉️नौ ग्रहों के दोष दूर करना हो तो ये हैं शिवलिंग के खास उपाय🕉️*

*अशुभ ग्रहों से शुभ फल पाने के लिए यहां बताए जा रहे शिवजी के उपाय करने से लाभ मिल सकता है।*

*ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं। ये नौ ग्रह हैं सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु। कुंडली में इन नौ ग्रहों की स्थिति से ही हमें सुख या दुख मिलता है। अगर कुंडली में इनमें से कोई एक ग्रह भी अशुभ स्थिति में हो तो जीवन में परेशानियों ज्यादा आती हैं। अशुभ ग्रहों से शुभ फल पाने के लिए यहां बताए जा रहे शिवजी के उपाय करने से लाभ मिल सकता है। जानिए ये उपाय कौन-कौन से हैं...*

1. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष हो तो उसे दूर करने के लिए शिवलिंग पर पीले पुष्प अर्पित करना चाहिए।

2. चंद्र से संबंधित दोष दूर करने के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं।

3. मंगल दोष दूर करने के लिए शिवलिंग पर कुमकुम और लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए।

4. बुध संबंधी दोषों से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर बिल्व पत्र अर्पित करें।

5. गुरु के दोषों को दूर करने के लिए शिवलिंग पर चने की दाल और बेसन के लड्डू अर्पित करें।

6. शुक्र के दोष दूर करने के लिए शिवलिंग में हर रोज जल अर्पित करें।

7. शनि, राहु और केतु से संबंधित दोषों से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करना चाहिए।

*⚜️सभी लोगों को करना चाहिए ये एक उपाय*

शुभ फलों की प्राप्ति के लिए ही यह परंपरा प्रचलित है कि रोज रात में शिवलिंग के पास दीपक जलाना चाहिए। इस छोटे से उपाय से सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं। शिवपुराण में इस उपाय के संबंध में एक कथा बताई गई है।

कथा के अनुसार पुराने समय में गुणनिधि नाम का व्यक्ति बहुत गरीब था और एक दिन वह भोजन की खोज में लगा हुआ था। इस खोज में रात हो गई और वह एक शिव मंदिर में पहुंच गया। गुणनिधि ने सोचा कि उसे रात में इसी मंदिर में आराम कर लेना चाहिए। मंदिर में बहुत अंधेरा था। इस अंधकार को दूर करने के लिए उसने शिव मंदिर में अपनी कमीज जलायी थी। रात के समय शिवलिंग के पास रोशनी करने से उस गुणनिधि को ही अगले जन्म में देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव का पद प्राप्त हुआ।

इस कथा के अनुसार ही शाम के समय शिव मंदिर में दीपक लगाने वाले व्यक्ति को धन-संपत्ति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दीपक जलाते समय *"•ऊँ नम: शिवाय"* मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।

शिवजी के पूजन से श्रद्धालुओं की धन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। शास्त्रों में एक अन्य सटीक उपाय बताया गया है जिसे नियमित रूप से अपनाने वाले व्यक्ति को अपार धन-संपत्ति प्राप्त हो सकती है। इस उपाय के साथ ही प्रतिदिन सुबह के समय शिवलिंग पर जल, दूध, चावल आदि पूजन सामग्री अर्पित करना चाहिए।

*🩸कर्ज/ ऋण से मुक्ति पाना है तो नीचे दिए उपाय करें।*

*⚜️ऋण मुक्ति के उपाय*

*🚩1.* चर लग्न मेष, कर्क, तुला व मकर में कर्ज लेने पर शीघ्र उतर जाता है। लेकिन, चर लग्न में कर्जा दें नहीं। चर लग्न में पांचवें व नवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा।

*🚩2.* किसी भी महीने की कृष्णपक्ष की 1 तिथि, शुक्लपक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13 पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।

*🚩3.* हस्त नक्षत्र रविवार की संक्रांति के वृद्धि योग में कर्जा उतारने से मुक्ति मिलती है।

*🚩4.* कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें एवं लिए हुए कर्ज की प्रथम किश्त मंगलवार से देना शुरू करें। इससे कर्ज शीघ्र उतर जाता है।

*🚩5.* कर्ज लेने जाते समय घर से निकलते वक्त जो स्वर चल रहा हो, उस समय वही पांव बाहर निकालें तो कार्य सिद्धि होती है, परंतु कर्ज देते समय सूर्य स्वर को शुभकारी माना है।

*🚩6.* लाल मसूर की दाल का दान दें।

*🚩7.* वास्तु अनुसार ईशान कोण को स्वच्छ व साफ रखें।

*🚩8.* वास्तुदोष नाशक हरे रंग के गणपति मुख्य द्वार पर आगे-पीछे लगाएं।

*🚩9.* हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन तेल-सिंदूर चढ़ाएं और माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करें।

*🚩10.* ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का शुक्लपक्ष के बुधवार से नित्य पाठ करें।

*🚩11.* बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से मुक्ति मिलती है।

*🚩12.* सरसों का तेल मिट्टी के दीये में भरकर, फिर मिट्टी के दीये का ढक्कन लगाकर किसी नदी या तालाब के किनारे शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जमीन में गाड़ देने से कर्ज मुक्त हो सकते हैं।

*🚩13.* सिद्ध-कुंजिका-स्तोत्र का नित्य एकादश पाठ करें।

*🚩14.* घर की चौखट पर अभिमंत्रित काले घोड़े की नाल शनिवार के दिन लगाएं।

*🚩15.* श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए। यह कार्य नियमित रुप से 7 शनिवार को किया जाना चाहिए।

*🚩16.* 5 गुलाब के फूल, 1 चाँदी का पत्ता, थोडे से चावल, गुड़ लें। किसी सफेद कपड़े में 21 बार गायत्री मन्त्र का जप करते हुए बांध कर जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा 7 सोमवार को करें।

*🚩17.* ताम्रपत्र पर कर्जनाशक मंगल यंत्र (भौम यंत्र) अभिमंत्रित करके पूजा करें या सवा चार रत्ती का मूंगायुक्त कर्ज मुक्ति मंगल यंत्र अभिमंत्रित करके गले में धारण करें।

*🚩18.* सर्व-सिद्धि-बीसा-यंत्र धारण करने से सफलता मिलती है।

*🚩19.* कुश की जड़, बिल्व का पञ्चांग (पत्र, फल, बीज, लकड़ी और जड़) तथा सिन्दूर- इन सबका चूर्ण बनाकर चन्दन की पीठिका पर नीचे लिखे मन्त्र को लिखे। तदन्तर पञ्चिपचार से पूजन करके गो-घृत के द्वारा 44 दिन तक प्रतिदिन 7 बार हवन करे। मन्त्र की जप संख्या कम-से-कम 10,000 है, जो 44 दिनों में पूरी होनी चाहिये। 43 दिनों तक प्रतिदिन 228 मन्त्रों का जाप हो और 44 वें दिन 196 मन्त्रों का। तदन्तर 1000 मन्त्र का जप दशांश के रुप में करना आवश्यक है। मन्त्र इस प्रकार है-

*🚩“ॐ आं ह्रीं क्रौं श्रीं श्रियै नमः ममालक्ष्मीं नाशय नाशय मामृणोत्तीर्णं कुरु कुरु सम्पदं वर्धय वर्धय स्वाहा।”*

*⚜️20. ऋण मुक्ति के लिये निम्न मंत्रों में से किसी एक का जाप नित्य प्रति दिन करें-*

*🚩(क) “ॐ गणेश! ऋण छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्।”*

*🚩(ख) “ॐ मंगलमूर्तये नमः।”*

*🚩(ग) “ॐ गं ऋणहर्तायै नमः।”*

*🚩(घ) “ॐ अत्रेरात्मप्रदानेन यो मुक्तो भगवान् ऋणात् दत्तात्रेयं तमीशानं नमामि ऋणमुक्तये...।*
                                                               *⚜️परेशानियों से मुक्ति के कुछ सरल उपाय-*

*🚩व्यापार की सफलता के लिए :------*

किसी रविवार को दोपहर के समय पांच कागजी नींबू काटकर व्यवसाय स्थल (ऑफिस या दुकान) पर रखकर उसके साथ एक मुट्ठी काली मिर्च, एक मुट्ठी पीली सरसों रख दें। अगले दिन जब दुकान या व्यवसाय स्थल खोलें तो सभी सामान कहीं दूर जाकर सुनसान स्थान पर दबा दें। इस प्रयोग से व्यवसाय चलने लगेगा या अगर किसी की बुरी नजर होगी तो उसका प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा।

*⚜️धन लाभ के लिए :------*

किसी शनिवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी पीपल के पेड़ से एक पत्ता तोड़ लाएं। उस पर सफेद चंदन से गायत्री मंत्र लिखें और उसका पूजन करें। अब इस पत्ते को अपने कैश बॉक्स, गल्ला, तिजोरी या जहां आप पैसा रखते हैं, वहां इस प्रकार रखें कि यह किसी को दिखाई न दे। इस पीपल के पत्ते को हर शनिवार को बदलते रहें। इससे घर में सुख-शांति रहेगी और धन-संपत्ति बढऩे को योग बनेंगे।

*🩸सुख-समृद्धि के लिए :--------*

*⚜️तुलसी नामाष्टक मंत्र का जाप करें-*

*🚩वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।*
*पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।*
*एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।*
*य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।*

*✔️सुखी पारिवारिक जीवन के लिए :------*

अगर घर में सदैव अशांति रहती हो तो घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर श्वेतार्क (सफेद आकड़े के गणेश) लगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। प्रतिदिन सुबह घर में गोमूत्र अथवा गाय के दूध में गंगा जल मिलाकर छिड़कने से घर की शुद्धि होती है तथा नकारात्मकता कम होती है। इससे भी परिवार में अच्छा माहौल बनता है। गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें गुड़ तथा तेल डालकर जलाएं। फिर इसे घर के मुख्य द्वार के मध्य में रखें। इस उपाय से भी घर में शांति बनी रहेगी तथा समृद्धि में वृद्धि होगी।

*⚜️शीघ्र विवाह के लिए :----*

हर सोमवार को समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं। भगवान शिव को दूध में काले तिल मिलाकर चढ़ाएं तथा जल्दी विवाह के लिए प्रार्थना करें। गुरुवार को उपवास रखें तथा पीली वस्तुओं का दान करें। इस उपाय से गुरु बृहस्पति प्रसन्न होंगे, जिससे विवाह के योग बनने लगेंगे। जन्म कुंडली के अनुसार यदि सूर्य के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो तो रोज सुबह सूर्यदेव को नियमित रूप से अर्घ्य दें। साथ ही *•ऊं सूर्याय नम:*

मंत्र का जाप करें। किसी मित्र या सहेली के विवाह में उसके हाथों से अपने हाथों में मेहंदी लगवाने से भी शीघ्र ही विवाह हो जाता है।

*⚜️रूका हुआ पैसा पाने के लिए :----*

शुक्ल पक्ष के किसी सोमवार से यह उपाय शुरू कर लगातार 21 दिनों तक करें। सुबह जल्दी उठें। स्नान आदि कामों से निपटकर एक लौटे में साफ पानी लेकर उसमें 5 गुलाब के फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें और भगवान सूर्य से समस्या निराकरण के लिए प्रार्थना करें। शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी हो सकती है।

*शराब छुड़वाने का*

*शराब एक सामाजिक बुराई है। शराब न सिर्फ एक व्यक्ति को बल्कि पूरे परिवार को नष्ट कर देती है। शराब की लत जिसे लग जाती है उसका जीवन खराब हो जाता है। तंत्र शास्त्र के अतंर्गत ऐसे कई टोटके हैं जिनसे शराब की लत को छुड़वाया जा सकता है। उन्हीं में से एक यह भी है-*

*🚩#टोटका*

शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार को सुबह सवा मीटर काला कपड़ा तथा सवा मीटर नीला कपड़ा लेकर इन दोनों को एक-दूसरे के ऊपर रख दें। इस पर 800 ग्राम कच्चे कोयले, 800 ग्राम काली साबूत उड़द, 800 ग्राम जौ एवं काले तिल, 8 बड़ी कीलें तथा 8 सिक्के रखकर एक पोटली बांध लें। फिर जिस व्यक्ति की शराब छुड़वाना हो उसकी लंबाई से आठ गुना अधिक काला धागा लेकर एक जटा वाले नारियल पर लपेट दें। 

इस नारियल को काजल का तिलक लगाकर धूप-दीप अर्पित करके शराब पीने की आदत छुड़ाने का निवेदन करें। फिर यह सारी सामग्री किसी नदी में प्रवाहित कर दें। जब सामग्री दूर चली जाए तो घर वापस आ जाएं। इस दौरान पीछे मुड़कर न देखें। घर में प्रवेश करने से पहले हाथ-पैर धोएं। शाम को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर तिल के तेल का दीपक लगाएं। यही प्रक्रिया आने वाले बुधवार व शनिवार को फिर दोहराएं। इस टोटके के बारे में किसी को कुछ न बताएं। 
*कुछ ही समय में आप देखेंगे कि जो व्यक्ति शराब का आदि था वह शराब छोड़ देगा।*
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           *🕉️ जय महाकाल🕉️*
                     🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Tuesday, 19 November 2024

ज्योतिष शास्त्र में सोना, चांदी, तांबा या लोहा किस पाए में हुआ है आपका जन्म

ज्योतिष शास्त्र में सोना, चांदी, तांबा या लोहा किस पाए में हुआ है आपका जन्म 
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क्या होते हैं पाये और कौन सा पाया माना जाता है शुभ?
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कुछ लोगों ने अपने बड़े बुजुर्ग या पंडितों से पैरों के तांबे, चांदी, सोने या लोहे के होने की बात सुनी होगी। इसका मतलब आपकी कुंडली से है। कुंडली में लग्न से चंद्रमा किस भाव में है उससे पाये का पता चलता है। मनुष्य की कुंडली में 12 भाव होते हैं जिन्हें चार भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाव को पाया, पाद या पैर कहते हैं। ये चार पाये हैं सोने का पाया, चांदी का पाया, तांबे का पाया और लोहे का पाया। इन्हीं पायों में से एक पाया किसी ना किसी व्यक्ति का होता है।

चांदी का पाया 
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जिस व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा दूसरे, पांचवे और नौवें घर में हो तो ऐसे लोगों का जन्म चांदी के पाए में माना जाता है। इस पाए में जन्म लेने वाले लोग काफी भाग्यशाली होते हैं। कहा जाता है ऐसे लोग अपने साथ-साथ घरवालों के लिए भी काफी लकी साबित होते हैं। इनके घर में जन्म लेते ही परिवार का मान-सम्मान बढ़ने लगता है और परिवार के लोगों की तरक्की होती है।

तांबे का पाया 
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इसे पाये को दूसरे नंबर का श्रेष्ठ माना गया है। जब किसी बालक के जन्म के समय चंद्रमा तीसरे, सांतवे और दसवें भाग में हो तब उसे तांबे का पाया माना जाता है। इस पाये में जन्मा बच्चा पिता के लिए काफी भाग्यशाली होता है। इसके घर में आने से घर की सुख सुविधा में वृद्धि होने लगती है।

सोने का पाया 
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जन्म लग्न से चंद्रमा यदि पहले, छठे और ग्यारहवें भाव में हो तो उसे सोने का पाया कहा जाता है। इस पाये में जन्म लेने वाले लोगों को सुख-सुविधा बड़ी ही कठिनाईयों से मिलती है। ऐसे लोग रोग की चपेट में भी बहुत जल्दी आ जाते हैं। इन लोगों के लिए सोने का दान करना अच्छा माना गया है।

लोहे का पाया  
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इस पाये को इतना अच्छा नहीं माना गया है। जब चंद्रमा चौथे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो ऐसे बच्चे का जन्म लोहे के पाये में माना जाता है। ऐसे लोगों के जीवन में काफी संघर्ष होता है। पारिवार में कोई ना कोई परेशानी आने लगती है। खासकर पिता के लिए ऐसे लोग काफी कष्टदायक साबित होते हैं।
ज्योतिषाचार्य  शालिनी मल्होत्रा 
9910057645

Monday, 18 November 2024

ग्रहो क़े रत्न पहनना

ग्रहो क़े रत्न पहनना।                         

रत्न ग्रहो की शक्ति को बढ़ाकर उनसे मिलने वाले फलों में वृद्धि करता है।यदि कोई ग्रह जन्मकुंडली में कमजोर है, अस्त है या अनुकूल फल देने वाला होकर पीड़ित जिस कारण वह ग्रह अपने पूर्ण शुभ फल नही दे पाता है तो ऐसे ग्रह के सही रत्न पहनकर उसको बलवान करके उस ग्रह से लाभ और कार्य पूर्ति की जा सकती है।अच्छा अब कभी कभी ग्रहो के रत्न काम नही करते या थोड़ा ही फायदा दे पाते है जबकि रत्न ओरिजिनल ही होता है।

ऐसा इस कारण होता है क्योंकि जिस ग्रह का रत्न पहना है यदि वह अशुभ योग बनाकर कुंडली मे बेठा है तब वहां रत्न के साथ साथ उस ग्रह का पूजा पाठ और जप या दान आदि जैसे उपाय जातक को स्वयम करने होते जिससे उस ग्रह ने जो दोष बना रखा है वह कम हो और रत्न लाभ दे क्योंकि कोई भी रत्न किसी भी ग्रह के अशुभ योग या दोष को कम नही करता केवल उस ग्रह की शक्ति को बढ़ाकर फलो में वृद्धि करता है।

यदि ग्रह दोष युक्त नही है अच्छी स्थिति में कुंडली मे बेठा है लेकिन सर्फ कमजोर होने से वह ज्यादा शुभ फल नही दे पा रहा है तब केवल उस ग्रह का रत्न पहनना ही लाभ दे देगा क्योंकि ग्रह कमजोर है अशुभ नही, लेकिन ग्रह कमजोर हो और अशुभ स्थिति या योग में हो और कुंडली का अनुकूल ग्रह है तब यहाँ उस ग्रह के रत्न के साथ साथ, पूजा पाठ, जप, दान करने पर ही रत्न लाभ देगा।इस तरह सही तरह से कुंडली मे ग्रहो की स्थिति की जांच करके रत्न धारण करे जायेगे तब बहुत बढ़िया लाभ और सफलता देगे।कुछ 

उदाहरणों से समझे।                                                                       

उदाहरण1:- 
कर्क लग्न में मंगल प्रबल योग कारक होकर बेहद शुभ फल देने वाला होता है क्योंकि यहाँ यह दो शुभ भाव 5वे और 10वे भाव का स्वामी होता है।तब अब मंगल यदि यहाँ तीसरे भाव मे नबमेंश गुरु के साथ युति बनाकर बैठे तो बहुत अच्छी स्थिति में राजयोग बनाकर बेठा है गुरु मंगल दोनो ही ग्रह यहाँ राजयोग और सफलता देने वाले है।लेकिन तीसरे भाव मे मंगल और गुरु दोनो ही कन्या राशि जो कि इन दोनों ग्रहो की शत्रु राशि है इस कारण दोनो इस राशि और भाव मे शत्रु राशि मे होने से कमजोर है इनको बल देना जरूरी है यहाँ मंगल के लिए त्रिकोणी मूंगा और गुरु के लिए पुखराज/सुनहला पहनना दोनो ग्रहो के बल में वृद्धि करेगा और भाग्योन्नति, सफलता, प्रबल उन्नति देकर राजयोग, सम्मानित जीवन की उचाईयो तक जातक को लेकर जायेगे मंगल गुरु।।                         

अब यहाँ मंगल और गुरु के साथ राहु बेठ जाए तब यहाँ गुरु चांडाल योग+अंगारक योग बनेगा ऐसी स्थिति में यहाँ राहु केतु की शांति पूजा, जप आदि से करने पर गुरु मंगल के रत्न ज्यादा लाभ देंगे क्योंकि दो अशुभ योग बनने से मंगल गुरु राहु के अशुभ प्रभाव से दूषित है तब ऐसी स्थिति में रत्न ज्यादा लाभ तब ही देते है जब साथ बैठे अशुभ ग्रह/अशुभ योग की शांति की जाएगी।।                                             

उदाहरण2:- 
कोई ग्रह सप्तमेश है और सप्तमेश होकर शुभ स्थानगत है लेकिन कमजोर है तब विवाह के फल जैसे शादी होने में देर, सुख में कमी होगी तब ऐसे में सप्तमेश का रत्न भी धारण करके विवाह और दाम्पत्य जीवन सुख में वृद्धि की जा सकती है।जैसे कन्या लग्न में सप्तमेश गुरु है तो यहाँ गुरु केंद्र त्रिकोण में बैठने पर गुरु का रत्न पहनकर गुरु को शादी के लिए बलि किया जा सकता है।।                                                                                                     

किसी भी ग्रह के रत्न बिना ज्योतिषीय सलाह लिए नही पहने, क्योंकि ग्रह यदि मारक या अशुभ भावेश है जैसे 2, 6, 8, 12 या तीसरे भाव का अकेला स्वामी है साथ कोई ग्रह नीच राशि का भी है तब रत्न ऐसी स्थिति में नुकसान भी दे देगा, इस कारण रत्न हमेशा सलाह लेकर ही धारण किये जाते है।तब ही वह सही लाभ दे सकते है।।                                                                                                    

यदि उचित और सही तरह से ग्रहो की कुंडली अनुसार शुभ/अशुभ स्थिति जांचकर रत्न धारण करने से ग्रहो के शुभ फल जैसे, किसी काम मे सफलता, उन्नति, भाग्य का साथ, शादी सुख आदि में वृद्धि करके फायदा लिया जा सकता है।

कुंडली में मंगल कब शुभ फलदायक होता है।

कुंडली में मंगल कब शुभ फलदायक होता है।

कुंडली में मंगल शुभ फलदायक तब माना जाता है, जब यह कुछ विशेष राशियों में या कुछ विशेष भावों में स्थित हो। मंगल साहस, ऊर्जा, शक्ति, और आत्म-विश्वास का प्रतीक होता है। यह व्यक्ति को मेहनती, दृढ़निश्चयी और साहसी बनाता है। जब मंगल शुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति के जीवन में सफलता, मान-सम्मान और आत्म-विश्वास का संचार होता है। यहाँ बताया गया है कि किस स्थिति में मंगल शुभ फलदायक हो सकता है:

मंगल की शुभ राशियाँ:

1. मेष (Aries) - मंगल अपनी ही राशि मेष में उच्च का होता है। यह स्थिति व्यक्ति को आत्मविश्वासी, साहसी, और निर्णायक बनाती है। ऐसे व्यक्ति जोखिम लेने से नहीं डरते और नेतृत्व में आगे रहते हैं।

2. मकर (Capricorn) - मकर राशि में मंगल उच्च का होता है, जो इसे अत्यंत शक्तिशाली बनाता है। यह स्थिति व्यक्ति को अनुशासनप्रिय, संगठित और मेहनती बनाती है। ऐसे लोग करियर में सफलता पाते हैं और अपने कार्यों में निपुण होते हैं।

3. वृश्चिक (Scorpio) - वृश्चिक में मंगल अपनी दूसरी स्व-राशि में होता है। यह व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत, जिज्ञासु, और दृढ़ बनाता है। यह स्थिति जीवन में साहसी निर्णय लेने की क्षमता देती है, जो कठिन समय में सहायक होती है।

4. सिंह (Leo) - सिंह में मंगल व्यक्ति को नेतृत्व और ऊर्जावान बनाता है। ऐसे लोग आत्म-विश्वासी और सशक्त होते हैं और समाज में प्रतिष्ठा पाते हैं। मंगल की यह स्थिति व्यक्ति को रचनात्मक और निर्णायक बनाती है।

5. धनु (Sagittarius) - धनु में मंगल व्यक्ति को साहसी और सकारात्मक दृष्टिकोण वाला बनाता है। ऐसे लोग जीवन में साहसिक कदम उठाते हैं और बड़ी सोच रखते हैं। मंगल की यह स्थिति उन्हें जीवन में नई दिशाएँ खोजने और सच्चाई की खोज में प्रेरित करती है।

मंगल के शुभ भाव:

1. प्रथम भाव (1st House) - यहाँ मंगल व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत, आत्म-विश्वासी और साहसी बनाता है। ऐसे लोग अपने कार्यों में नेतृत्व करने वाले होते हैं और उनका व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है।

2. दशम भाव (10th House) - दशम भाव करियर और समाज में प्रतिष्ठा का भाव है। यहाँ मंगल व्यक्ति को करियर में सफलता, मान-सम्मान और उच्च पद प्राप्त करने में सहायक होता है। ऐसे लोग मेहनती और अनुशासनप्रिय होते हैं और अपने कार्यक्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करते हैं।

3. तृतीय भाव (3rd House) - यहाँ मंगल साहस और आत्म-विश्वास को बढ़ाता है। व्यक्ति में जोखिम लेने की क्षमता बढ़ती है और वे नई चुनौतियों का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं।

4. एकादश भाव (11th House) - यह भाव इच्छाओं की पूर्ति और लाभ का होता है। यहाँ मंगल व्यक्ति को धन, सफलता, और सामाजिक संबंधों में लाभ प्राप्त करने में सहायक होता है।

5. चतुर्थ भाव (4th House) - यहाँ मंगल संपत्ति, वाहन, और सुख-सुविधाओं का लाभ प्रदान कर सकता है। यह स्थिति घर में शांति और स्थिरता देती है।

मंगल के शुभ होने के लक्षण:

• मजबूत आत्म-विश्वास और साहस।

• किसी भी कार्य में पूर्णता और मेहनत।

• विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और आत्म-विश्वास बनाए रखना।

• नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने की ताकत।

• जीवन में साहसी कदम उठाने की प्रवृत्ति।

यदि कुंडली में मंगल इन शुभ राशियों और भावों में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति को साहसी, अनुशासनप्रिय और आत्म-विश्वासी बनाता है, जिससे वे जीवन में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँच सकते हैं।

गोचर

गोचर 

जब आपका जन्म हुआ उस वक्त जो ग्रहों की स्थिति थी वह आपकी जन्म कुंडली हुई ।।

और अभी वर्तमान में जो ग्रहों की स्थिति है वह गोचर कहलाती है ।।।

अब गोचर कितना प्रभावी है इसको समझिए ।‌।

आमतौर पर गोचर की गणना हम चंद्र राशि से करते हैं।।

उदाहरण के तौर पर अगर किसी जातक के पंचम भाव में मेष राशि का बृहस्पति बैठा है और गोचर में भी बृहस्पति जब पंचम भाव में मेष राशि में जब भ्रमण करेंगे तो जातक को शिक्षा और संतान का सुख दिलाएंगे क्योंकि पंचम भाव शिक्षा और संतान का होता है ।।।

चतुर्थ भाव घर का , आवास का होता है राशि से चतुर्थ भाव में जब बृहस्पति गोचर करेंगे तो जातक को मकान का सुख मिलेगा , जातक नई जमीन खरीदेगा, नया मकान बनाएगा, नई फ्लैट खरीदेगा ।।।

 अगर वही राशि से चतुर्थ भाव में शनि और राहु का गोचर करें तो जातक को घर छोड़ना पड़ेगा, गृह त्यागना पड़ेगा, घर में समस्याएं आएगी ।।।

 चतुर्थ में अगर शनि गोचर करें तो शनि की ढैया कहलाती है पारिवारिक क्लेश होता है ।।।

गोचर के उदाहरण को ऐसा समझिए ।।

आप बचपन में एक अमुक शहर में रहते थे, 20 वर्ष बाद उसी शहर में गए तो बचपन के दिन आपको याद आएंगे ।।

अगर आप किसी ऐसे स्थान पर गए हैं जहां आप कई वर्ष पूर्व जा चुके हैं तो उस स्थान पर जाने पर आपको उस पुराने दिनों के याद आएंगे ,जिस समय आप वहां निवास करते थे ।।।

 या फिर आप 90 के दशक की कोई संगीत सुनते हैं या अपने बचपन के दिनों के कोई संगीत सुनते हैं , संगीत आज सुन रहे हैं पर याद बचपन के दिनों के ताजा हो जाएंगे ।।।

गोचर के साथ भी यही हालात होती है, चुकी वह अपने ही स्थान पर वापस से भ्रमण करता है तो वह पुरानी यादों में खोकर इस चीज को वापस दिलाने की कोशिश करता है जिस भाव से वह संबंध रखता है ।।।

जैसे सप्तम भाव विवाह का होता है और जब गोचर में भी ग्रह सप्तम भाव में आ जाए या सप्तम भाव को देखे तो विवाह की स्थिति बनती है ।।।

सबसे तेज चलने वाला ग्रह चंद्रमा और सबसे धीमा चलने वाला ग्रह शनि है ।।।

इसलिए गोचर का विष्लेषण करते समय इस दोनों ग्रहों की विशेषता महत्वपूर्ण होती है ।।

शनि का गोचर जहां साढेसाती या ढैया कहलाती है, वहीं राशिफल हम चंद्रमा के गोचर से देखते हैं ।।।

इसके साथ ही बृहस्पति का गोचर पर विशेष ध्यान दिया जाता है बृहस्पति जहां गोचर करें उस स्थान पर विशेष शुभता लाता है ।।

इसके साथ ही अष्टमेश के गोचर पर विशेष ध्यान दीजिए अष्टमेश जहां गोचर करें वहां नुकसान करता है ।।।

लग्नेश अगर छठा अष्टम द्वादश भाव में गोचर करें शारीरिक कष्ट होता है और पंचम नवम दशम भाव में गोचर करें तो जातक उन्नति करता है ।।।

Wednesday, 11 September 2024

गीता श्लोक

श्लोक 41 
 योगसंन्यस्तकर्माणं ज्ञानसञ्छिन्नसंशयम्।,आत्मवन्तं न कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय ॥41॥ 
 Description: 
 हे अर्जुन। कर्म उन लोगों को बंधन में नहीं डाल सकते जिन्होंने योग की अग्नि में कर्मों को विनष्ट कर दिया है और ज्ञान द्वारा जिनके समस्त संशय दूर हो चुके हैं वे वास्तव में आत्मज्ञान में स्थित हो जाते हैं।

Tuesday, 30 July 2024

श्रावण मास सुख-शांति व समृद्धि प्रयोग 〰️〰️🌼〰️〰️🌼🌼〰️〰️🌼〰️〰️

श्रावण मास सुख-शांति व समृद्धि प्रयोग 
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सामग्रीः पारद शिवलिंग, रुद्राक्ष, पारद मुद्रिका एवं रुद्राक्ष माला।

यह प्रयोग श्रावण के किसी भी सोमवार को प्रारंभ किया जा सकता है। यह सौभाग्य, बल, बुद्धि व मेधा, वृद्धि के लिए किया जाता है। इससे घर में आय के नवीन स्त्रोत बढ़ते हैं। परिवार में शांति का वातावारण बनता है।

प्रयोग विधि
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नित्य क्रिया से निवृत होकर पूर्व/उत्तर की ओर मुख कर पवित्र आसन पर बैठें। पूजन सामग्री में बिल्व पत्र, पुष्प, गुलाब जल, इत्र, यज्ञोपवीत, मिष्ठान, दूध, घी, शहद, शक्कर, फल, दीपक, पहले से ही अपने पास रख लें।

फिर आप शांतचित होकर पूजा स्थान पर बैठें। अब एक पात्र में शिवलिंग, रुद्राक्ष व पारद मुद्रिका स्थापित करें। फिर दही, दूध, शक्कर व घी और गुलाब जल मिश्रित कर ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए इस पंचामृत को शिवलिंग पर अर्पित करें। तदन्तर साफ पानी से धोकर एक-एक विग्रह को अपने सामने बाजोट पर पुष्प अक आसन देकर विराजमान करें। इन तीनों परकेशर व अक्षत चढ़ाकर पुष्प चढ़ाएं, इत्र चढ़ाएं व शिवलिंग व यज्ञोपवीत चढ़ाएं। बिल्व पत्र समर्पित करें, फल चढ़ाएं सम्पूर्ण पूजा विधि करने तक ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप अनवरत करते रहें।

अब धूप-दीप दिखाएं दीपक प्रज्वलित कर अपनी मनोकामना सिद्धि की प्रार्थना करते हुए रुद्राक्ष की माला में निम्न वरदायी मंत्र का जाप 11 माला जप करें।

मंत्र 👉 ॐ रुद्राक्ष पशुपति नमः ||

मंत्र जाप के पश्चात शिव जी की आरती सम्पन्न करें व कुछ पुष्प लेकर भगवान शिव के चरणों में चढ़ाएं व दोनों हाथ जोड़कर भगवान शिव से मन ही मन प्रार्थना करें कि वे सभी पर अपनी कृपा दृष्टि करें।

अब शिवलिंग को पूजा स्थान में ही रहने दें। रुद्राक्ष को घर का कोई भी पुरुष पूर्ण सफलता एवं विजय के लिए धारण कर ले। मुद्रिका को स्त्री धारण कर ले जिससे अखंड सौभाग्य, लक्ष्मी, शांति घर में बनी रहे| निश्चय ही आने वाले दिनों में घर में परिवर्तन महसूस होगा।
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Wednesday, 1 May 2024

राहु के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए उपाय -

🎯 राहु के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए उपाय -

🎯राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए नियमित रूप से मैडिटेशन करना चाहिए क्योंकि राहु हमारे मन को अशांत और व्याकुल बनाता है और मैडिटेशन से मन शांत होता है।
🎯अगर राहु कि वजह से कोई रोग आ गया है या आने वाला है तो आप अस्पताल जाइए और मरीजों को फल और दवाईयां आदि से मदद करें।

🎯राहु के दुस्प्रभाव से बचने के लिए पांच सुखे नारियल लेकर उनको सफ़ेद धागे में पिरो कर माला बना लें और मंगलवार रात को सिरहाने रखकर सोएं और बुधवार शाम को सूर्यास्त के समय जल प्रवाह कर दें और बिना पिछे मुडकर देखें घर आ जाएं।

🎯राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए चाय पत्ती को लेकर दोनों हाथों की हथेलियों से आधे घंटे तक मसलें। इस चायपत्ती को सूर्यास्त के समय किसी सफाई कर्मचारी को दान कर दें।

🎯राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए देसी दारू का दान करें लेकिन स्वयं सेवन न करें।

🎯काली उड़द 300 ग्राम साबुत काले बकरे को खिलाएं।

🎯18 मुली बुधवार को किसी हरिजन को दान दें या किसी मन्दिर में दान करें।हरे पत्ते गाय को खिलाएं।

🎯राहु की शीशे की (लीड की) मुर्ति बनवा कर एक ही दिन में राहु के 72000 मंत्रों का जाप करके मुर्ति को उसी दिन कपड़े सहित पानी में बहा दें।

🎯चांडाल दोष में राहु के 72000 और बृहस्पति के 76000 जाप कराएं। बृहस्पति की स्वर्ण कि मुर्ति बनवा कर जाप के बाद 41 दिन पुजा पाठ करने के बाद गले में धारण करें।

🎯बुधवार और शनिवार को घर के बाथरूम श्री राम जय राम जय जय राम करते हुए अच्छी तरह साफ सुथरा करें।

🎯तम्बाकू का दान किसी सफाई कर्मचारी को करें।

🎯राहु के दुष्प्रभाव से बचने हेतु घर में रामायण का पाठ नित्य प्रति करें।

Wednesday, 10 January 2024

12 HOUSE AND HUMAN ORGANS"💐💐


💐💐"12 HOUSE AND HUMAN ORGANS"💐💐

In medical astrology   the right half of the body represented by house 1 to 7 and left half of the body by house 7 to 1.

👉🏻First House : Head, brain, body in general, hair, appearance, skin, sleep, freedom from ill-health, longevity and old age, ability to perform work.

👉🏻Second House: Face, eyes (right eye), teeth, tongue, mouth, oral  cavity, nose, speech, nails, steadiness of the mind.

👉🏻Third House: Ears (right ear), throat, neck, shoulders, upper Limbs, trachea (windpipe), upper part of oesophagus (food pipe), clavicles (collar bone), the 1st web space of the hand, dream, mental instability, physical fitness and physical growth.

👉🏻Fourth House : Chest (thorax), lungs, heart (according to some), blood vessels of the thorax, diaphragm, potent and effective medicine, breast.

👉🏻Fifth House : Heart, upper abdomen and its viscera, viz., stomach, liver, gall bladder, spleen, pancreas, duodenum (i.c., derivatives of the foregut), mind, thinking, pregnancy, umbilicus.

👉🏻Sixth House : Small intestine, mesentery, appendix, part of the large intestine (i.e., derivatives of the mid gut), kidney, upper ureter, diseases in general, ill health, wounds, injury, operation, mental agony, madness, phlegmatic illnesses, tuberculosis, tumours, eruptive diseases (small pox!), diseases of the eye, poison.

👉🏻Seventh House : Large intestine and rectum , lower urinary tract (lower ureters and urinary bladder),uterus, ovaries and testes, broad ligaments, prostate gland, seminal vesicles, urethra, anal canal, groins, semen, sexual union.

👉🏻Eigth  House : External genitalia, perineum, anal orifice, secondary sex characters, loss of a limb, affliction to face, chronic or incurable disease, longevity, severe mental anguish.

👉🏻Ninth  House : Hips, thighs, femoral arteries, nourishment.

👉🏻Tenth  House : Knee joints, patella (knee-cap), popliteal fossa (the hollow behind the knee joint).

👉🏻Eleventh House : Legs, left ear, alternate house for disease (sixth from the sixth house) and recovery from disease.

👉🏻Twelfth House : Feet, left eye, disturbed sleep, mental imbalance, physical ailment, hospitalisation, crippled limbs, death.

Be Blessed

💐💐Thank you💐💐

*राम रक्षा स्तोत्र के 10 रहस्य*

*राम रक्षा स्तोत्र के 10 रहस्य*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*श्री राम रक्षा स्तोत्र बुध कौशिक ऋषि द्वारा रचित श्रीराम का स्तुति गान है। इसमें प्रभु श्री राम के अनेकों नाम का गुणगान किया है। जानते हैं कि इसका पाठ करने के 10 रहस्य।*

*🚩1.* इसका पाठ करने से प्रभु श्रीराम आपकी हर तरह से रक्षा करते हैं। अपने शरणागत की रक्षा करना उनका धर्म है।
 
*🚩2.* कहते हैं कि इसके नित्य पठन से हनुमानजी प्रसन्न होकर राम भक्तों की हर तरह से रक्षा करते हैं।

*🚩3.* विधिवत रूप से राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पाठ करने के दौरान एक कटोरी में सरसों के कुछ दानें लेकर उन्हें अंगुलियों से घुमाते रहने से वह सिद्ध हो जाते हैं। उक्त दानों को घर में उचित और पवित्र स्थान पर रख दें। यह दानें कोर्ट-कचहरी जाने के दौरान, यात्रा पर जाने के दौरान या किसी एकांत में सोने के दौरान यह दानें आपकी रक्षा करेंगे। यहां पर दिए गए उपाय प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। इनके कारगर होने की पुष्टि हम नहीं करते हैं।
 
*🚩4.* राम रक्षा स्तोत्रम् के 11 बार किए जाने वाले पाठ से पानी को भी सरसों की तरह सिद्ध किया जा सकता है। इस पानी को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पानी को रोगी को पिलाया जा सकता है। इससे ली जाने वाली औषधि का तेजी से प्रभाव होता है। पानी को सिद्ध करने के लिये राम रक्षा स्तोत्रम का पाठ करते हुए तांबे के बर्तन में पानी भरकर इसे अपने हाथ में पकड़ कर रखें और अपनी दृष्टि पानी में रखें। यहां पर दिए गए उपाय प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। इनके कारगर होने की पुष्टि हम नहीं करते हैं।
 
*🚩5.* जो व्यक्ति नित्य राम रक्षा स्तोत्रम् का पाठ करता रहता है वह आने वाली कई तरह की विपत्तियों से बच जाता है।
 
*🚩6.* इसका प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति को दीर्घायु, संतान, शांति, विजयी, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
 
*🚩7.* इसके नित्य पाठ करने से मंगल ग्रह का कुप्रभाव भी समाप्त हो जाता है।
 
*🚩8.* इसका नित्य पाठ करने वाले व्यक्ति के मन में सकारात्मक भाव का संचार होता है और उसके चारों और सुरक्षा का एक घेरा निर्मित हो जाता है।
 
*🚩9.* इसका नित्य पाठ करने से मनुष्य के मन से हर तरह का भय निकल जाता है और वह निर्भिक जीवन जीता है।

*🚩10.* इसका नित्य पाठ करने से भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है क्योंकि इस स्त्रोत की रचना बुध कौशिक ऋषि ने भगवान शंकर के कहने पर ही की थी। भगवान शंकर ने उन्हें इस स्त्रोत की रचना की प्रेरणा स्वप्न में दी थी।
📱
            *राम राम जी*
               🙏🏻🙏🏻🙏🏻

🕉️प्रदोष व्रत 2024: पौष कृष्ण का प्रदोष व्रत रखने का महत्व और फायदे🕉️*

*🕉️प्रदोष व्रत 2024: पौष कृष्ण का प्रदोष व्रत रखने का महत्व और फायदे🕉️*

*एकादशी का व्रत श्रीहरि विष्णु जी को समर्पित है तो प्रदोष का व्रत शिवजी को समर्पित है। प्रत्येक माह की त्रयोदशी के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है। पौष माह के कृष्‍ण का प्रदोष व्रत 09 जनवरी मंगलवार के दिन रखा जाएगा। मंगल प्रदोष का व्रत रखने के कई फायदे हैं।* 
 
*पौष प्रदोष व्रत का महत्व:-*
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शास्त्रों के अनुसार प्रदोष का व्रत करने से अच्छे स्वास्थ और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है। 

इस दिन विधिवत रूप से भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

मान्यता अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवनकाल में किए गए सभी पापों का नाश हो जाता है। पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत रखने का पुण्य दो गाय दान करने जितना होता है।

*📿प्रदोष व्रत रखने के फायदे:-*
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*🚩1.* मंगलवार को आने वाले प्रदोष व्रत को रखने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।

*🚩2.* प्रदोष का व्रत करने से सेहत में सुधार होता है।

*🚩3.* निरंतर प्रदोष व्रत रखने से लम्बी आयु की प्राप्ति होती है।

*🚩4.* प्रदोष का व्रत रखने से सभी तरह के चंद्रदोष दूर होते हैं।

*🚩5.* मानसिक बैचेनी है तो प्रदोष का व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है।

*🚩6.* इस व्रत को अच्छे से रखने से भाग्य जागृत हो जाता है।

*🚩7.* इस व्रत से आप अशुभ संस्कारों को भी नष्ट कर सकते हैं।

*🚩8.* प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
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*हरहर_महादेव_शिव_शंभू*
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