Monday, 18 November 2024

गोचर

गोचर 

जब आपका जन्म हुआ उस वक्त जो ग्रहों की स्थिति थी वह आपकी जन्म कुंडली हुई ।।

और अभी वर्तमान में जो ग्रहों की स्थिति है वह गोचर कहलाती है ।।।

अब गोचर कितना प्रभावी है इसको समझिए ।‌।

आमतौर पर गोचर की गणना हम चंद्र राशि से करते हैं।।

उदाहरण के तौर पर अगर किसी जातक के पंचम भाव में मेष राशि का बृहस्पति बैठा है और गोचर में भी बृहस्पति जब पंचम भाव में मेष राशि में जब भ्रमण करेंगे तो जातक को शिक्षा और संतान का सुख दिलाएंगे क्योंकि पंचम भाव शिक्षा और संतान का होता है ।।।

चतुर्थ भाव घर का , आवास का होता है राशि से चतुर्थ भाव में जब बृहस्पति गोचर करेंगे तो जातक को मकान का सुख मिलेगा , जातक नई जमीन खरीदेगा, नया मकान बनाएगा, नई फ्लैट खरीदेगा ।।।

 अगर वही राशि से चतुर्थ भाव में शनि और राहु का गोचर करें तो जातक को घर छोड़ना पड़ेगा, गृह त्यागना पड़ेगा, घर में समस्याएं आएगी ।।।

 चतुर्थ में अगर शनि गोचर करें तो शनि की ढैया कहलाती है पारिवारिक क्लेश होता है ।।।

गोचर के उदाहरण को ऐसा समझिए ।।

आप बचपन में एक अमुक शहर में रहते थे, 20 वर्ष बाद उसी शहर में गए तो बचपन के दिन आपको याद आएंगे ।।

अगर आप किसी ऐसे स्थान पर गए हैं जहां आप कई वर्ष पूर्व जा चुके हैं तो उस स्थान पर जाने पर आपको उस पुराने दिनों के याद आएंगे ,जिस समय आप वहां निवास करते थे ।।।

 या फिर आप 90 के दशक की कोई संगीत सुनते हैं या अपने बचपन के दिनों के कोई संगीत सुनते हैं , संगीत आज सुन रहे हैं पर याद बचपन के दिनों के ताजा हो जाएंगे ।।।

गोचर के साथ भी यही हालात होती है, चुकी वह अपने ही स्थान पर वापस से भ्रमण करता है तो वह पुरानी यादों में खोकर इस चीज को वापस दिलाने की कोशिश करता है जिस भाव से वह संबंध रखता है ।।।

जैसे सप्तम भाव विवाह का होता है और जब गोचर में भी ग्रह सप्तम भाव में आ जाए या सप्तम भाव को देखे तो विवाह की स्थिति बनती है ।।।

सबसे तेज चलने वाला ग्रह चंद्रमा और सबसे धीमा चलने वाला ग्रह शनि है ।।।

इसलिए गोचर का विष्लेषण करते समय इस दोनों ग्रहों की विशेषता महत्वपूर्ण होती है ।।

शनि का गोचर जहां साढेसाती या ढैया कहलाती है, वहीं राशिफल हम चंद्रमा के गोचर से देखते हैं ।।।

इसके साथ ही बृहस्पति का गोचर पर विशेष ध्यान दिया जाता है बृहस्पति जहां गोचर करें उस स्थान पर विशेष शुभता लाता है ।।

इसके साथ ही अष्टमेश के गोचर पर विशेष ध्यान दीजिए अष्टमेश जहां गोचर करें वहां नुकसान करता है ।।।

लग्नेश अगर छठा अष्टम द्वादश भाव में गोचर करें शारीरिक कष्ट होता है और पंचम नवम दशम भाव में गोचर करें तो जातक उन्नति करता है ।।।

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