Friday, 10 January 2025

कवच

कवच:-
 
इष्ट देवों की उपासनाओं में उनके नामों द्वारा उनका अपने शरीर में निवास तथा रक्षा की प्रार्थना करते हुए जो न्यास किये जाते है, वे ‘कवच' कहे जाते हैं । ये कवच न्यास और कवच स्तोत्रों के पाठ द्वारा सिद्ध होते हैं। सिद्ध होने पर साधक किसी भी रोगी पर इनके द्वारा झाड़ने-फूंकने की क्रिया करता है । कवच- स्तोत्र पाठ जप के पश्चात होता है । भोज-पत्र पर कवच लेखन, तिलक, जल अभिमंत्रण या ताबीज तथा अन्य चीजों को अभिमंत्रण (मंत्र से युक्त) करने का कार्य भी ‘कवच स्तोत्र' से होता है ।
जब मनुष्य को अपनी शारीरिक एवं मानसिक शक्तियों द्वार किसी कार्य की सिद्धि में सफलता नहीं मिलती तो वह अलौकिक शक्तियों का सहारा ढूंढ़ता है, इन अलौकिक शक्तियों को प्रसन्न करके अपना कार्य सिद्ध करना चाहता है । ऐसी शक्तियों को तंत्र, मंत्र एवं स्तोत्रों द्वारा प्रसन्न किया जाता है । किसी भी कामना-सिद्धि के लिए इन तंत्रों, मंत्री और स्तोत्रों को सिद्ध करना अत्यन्त आवश्यक है । इसके लिए विधि-विधान की आवश्यकता होती हे 

नजर झाड़ने का मंत्र:-

गुरु चरण दिया मन, श्री हरि मोक्ष कारण, देव-दानव-दैत्यादि, खाई नरसिंह वरा आसी सब उड़ाई आलाली पालाली चोटी चोटी हंकारे फूंकारि उड़ाव मारी शलि लेकर पांव पांव टुकरियां जाए, अनुकार अगे, डाईनेर दृष्टि, पलायकरा अक्षा वीर नरा सिंह आज्ञा।

विधिः सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, दीपावली, होली, दिवाली, नवरात्री में 108 बार मंत्र पढ़ने से सिद्ध होगा माला :- रुद्राक्ष 
आसान/बस्त्र:- काला 
दिशा:-पश्चिम 
रात के समय करें जाप 
मंत्र सिद्धि के बाद झाड़ा लोगाने केलिए पानी का छिटा मारे(7 बार मन्त्र पढ़के पानी को अभिमत्रित करके )या मौर पँख से झाड़ा लोगये झाड़ने का विधान है। इसी तरह इस मंत्र का प्रयोग करके दूसरे के साथ अपने ऊपर लगी नजर को झाड़ा जा सकता है।

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