Friday, 28 October 2016

नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) 29 October 2016, शनिवार
तिथि : चतुर्दशी
नक्षत्र : चित्रा (स्वामी त्वष्टा)
योग : विष्कम्भ योग 21:11 तक
सूर्य राशि : तुला
चन्द्र राशि : कन्या 19:36 तक
राहुकाल : 09:19 से 10:41
अभ्यंग स्नान मुहूर्त: सुबह 05:04 से 06:34 के बीच

आज के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। कुछ लोग आज के दिन अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होने के लिए यमराज का भी पूजन करते हैं।

अभ्यंग स्नान तथा लौकी/अपामार्ग का प्रोक्षण

एक पौराणिक कथा के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था तथा मरते समय नरकासुर ने भगवान श्रीकृष्ण से वर मांगा, कि ‘आजके दिन मंगल स्नान करने वाला नरक की यातनाओंसे बच जाए ।' तदनुसार भगवान श्रीकृष्णने उसे वर दिया । इसलिए इस दिन सूर्योदयसे पूर्व अभ्यंगस्नान करनेकी प्रथा है ।

प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर शौचादि से निवृत्त हो तेल मालिश, उबटन करें। तिल के तेल में बेसन मिलाकर शरीर पर मलें। उसके बाद एक लौकी (घीया) तथा अपामार्ग को अपने सिर से सात बार घुमायें। घुमाते समय निम्न श्लोक संस्कृत या हिंदी में ही बोलें “सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकलदलान्वितं । हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाणः पुनः पुनः ॥” ‘हे तुंबी , हे अपामार्ग तुम बारबार फिराए ( घुमाए ) जाते हुए , मेरे पापों को दूर करो और मेरी कुबुद्धि का नाश कर दो ।’ उसके बाद जल से स्नान करें। जल में केसर, गंगाजल मिला लें। इसको अभ्यंग स्नान कहते हैं. “तैले लक्ष्मी: जले गंगा दीपावल्या चतुर्दशीम्। ” रूप चतुर्दशी के दिन तेल में लक्ष्मी का वास और जल में गंगा की पवित्रता होती है। स्नान के उपरान्त देवताओं का पूजन तथा दीपदान करें। लौकी/अपामार्ग को किसी पेड के नीचे रख आएं (अगर संभव हो तो दक्षिण दिशा में)। अभ्यंग स्नान के पश्चात पत्नी सहित विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है। इससे व्यक्ति के समस्त पाप कटते है, रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है (इसलिए इसको रूप चतुर्दशी कहते हैं), शरीर निरोगी होता है तथा नरक का भय दूर होता है।

अभ्यंग स्नान के बाद सबसे पहले लक्ष्मी विष्णु की प्रतिमा अथवा फोटो को कमलगट्टे की माला और पीले पुष्प अर्पित करें, धन लाभ होगा।

हनुमान जन्मोत्सव

आज के दिन कार्तिक (अमान्त आश्विन) कृष्ण चतुर्दशी भौमवार की महानिशा में, स्वाति नक्षत्र, मेष लग्न में अंजनादेवी के गर्भ से रामभक्त हनुमानजी का जन्म हुआ था ।

अर्थात् अञ्जनादेवी के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ था।

हालांकि चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जयंती सर्वविदित है। हनूमान भक्त को इस दिन उपवास करना चाहिए । दोपहर में हनूमान् जी पर सिन्दूर में सुगन्धित तेल या घी मिलाकर उसका लेप (चोला) करना चाहिए (कहते है की इसी दिन माता सीता ने हनुमान जी को सिंदूर प्रदान किया था तभी से हनुमान जी पर सिंदूर अर्पित किया जाने लगा है)। तदुपरान्त चॉंदी के वर्क लगाने चाहिए । चोला चढ़ाने के उपरान्त हनूमान् जी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए । हनुमान चालीसा, राम रक्षा स्तोत्र, सुंदर कांड का पाठ करें।

नरक चतुर्दशी तथा दीपदान

इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश का पूजन करके 13 दीपकों के मध्य चार बातियों वाला एक तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्वलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं चार बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे ऐसा प्रयास करें।
365 बत्ती का दीपक अपने घर के दरवाजे पर या मंदिर मैं जलावें.
नरक चतुर्दशी को संध्या के समय घर की पश्चिमी दिशा में खुले स्थान पर अथवा छत के पश्चिम में 14 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं। उनके आशीर्वाद से समृद्धि प्राप्त होगी।

Astro Shaliini
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