Sunday, 27 July 2025

पाशुपतास्त्र-मन्त्र

अग्नि पुराण का अध्याय 322, पाशुपतास्त्र-मन्त्र द्वारा शान्ति और पूजा का वर्णन करता है। इसमें महादेव (शिव) द्वारा स्कन्द को पाशुपतास्त्र-मन्त्र के उपयोग से शांति प्राप्त करने की विधि बताई गई है, जिसमें जप और हवन शामिल हैं। अध्याय 322 में, पाशुपतास्त्र-मन्त्र के जप और हवन के माध्यम से शांति प्राप्त करने की प्रक्रिया का वर्णन है। मुख्य बातें:
  • पाशुपतास्त्र-मन्त्र:
    यह एक शक्तिशाली मंत्र है जिसका उपयोग शांति और सुरक्षा के लिए किया जाता है।
  • जप और हवन:
    अध्याय में जप और हवन की विधि बताई गई है, जिसमें मंत्रों का पाठ और घी और गुग्गुल से आहुति देना शामिल है।
  • पूर्वकृत पुण्य का नाश:
    अध्याय में यह भी बताया गया है कि इस मन्त्र के आंशिक पाठ से पूर्वकृत पुण्य का नाश हो सकता है, लेकिन फडन्त सम्पूर्ण मन्त्र का जप आपत्ति आदि का नाश करता है।
  • असाध्य कार्यों की सिद्धि:
    घी और गुग्गुल से हवन करने से असाध्य कार्य भी पूरे किए जा सकते हैं। यह अध्याय अग्नि पुराण के महत्वपूर्ण भागों में से एक है जो शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए पाशुपतास्त्र-मन्त्र के उपयोग पर प्रकाश डालता है। 

Wednesday, 23 July 2025

हरियाली अमावस आज ********************

हरियाली अमावस आज 
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सावन महीने का खास महत्व है। यह महीना बेहद पावन होता है। इस महीने में रोजाना देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार समेत विशेष शुभ अवसर पर साधक शिव-पार्वती के निमित्त व्रत रखते हैं।
सावन महीने में कई प्रमुख व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें सावन शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इसके अगले दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। इसे सावन अमावस्या भी कहा जाता है। 

कब है हरियाली अमावस्या?
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पंचांग के अनुसार, 24 जुलाई को देर रात 02 बजकर 28 मिनट पर सावन माह की अमावस्या तिथि शुरू होगी। वहीं, 25 जुलाई को देर रात 12 बजकर 40 मिनट पर सावन अमावस्या तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इस प्रकार 24 जुलाई को सावन अमावस्या मनाई जाएगी। सावन अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है।

सावन अमावस्या शुभ योग 
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ज्योतिषियों की मानें तो हरियाली अमावस्या पर हर्षण योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इनमें गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग प्रमुख हैं। इन योग में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलेगी।

शिववास योग
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हरियाली अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग है। इस योग का निर्माण सुबह से हो रहा है। वहीं, शिववास योग देर रात 12 बजकर 40 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव कैलाश पर जगत जननी देवी मां गौरी के साथ रहेंगे। इस समय में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

शुभ योग 
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हरियाली अमावस्या पर कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इनमें रवि पुष्य योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से लेकर 25 जुलाई को सुबह 05 बजकर 39 मिनट तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग भी दिन भर है। साथ ही हर्षण योग सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक है। वही, अमृत सिद्धि योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से लेकर 25 जुलाई को सुबह 05 बजकर 39 मिनट तक है। वहीं, पुनर्वसु नक्षत्र शाम 04 बजकर 43 मिनट तक है। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होगी।

हरियाली अमावस्या का महत्व
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पुराणों में उल्लेख है कि श्रावण मास में किया गया दान, स्नान, पूजन और तप विशेष पुण्यफल देने वाला होता है। हरियाली अमावस्या के दिन किया गया व्रत, पूजा-पाठ और तर्पण व्यक्ति को पूर्व जन्मों और वर्तमान जीवन में अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति दिलाता है। साथ ही यह दिन जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।


Wednesday, 2 April 2025

अष्टकम (Ashtakam) का पाठ

अष्टकम (Ashtakam) का पाठ करने से मन को शांति मिलती है, जीवन के कष्ट कम होते हैं, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है. 
विभिन्न अष्टकमों के लाभ:
नारायण अष्टकम:
नियमित पाठ से मन को शांति, आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है, जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है, पापों का नाश होता है, और धन-समृद्धि आती है. 
महालक्ष्मी अष्टकम:
भक्तिपूर्वक पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, पाप नष्ट होते हैं, और धन-अन्न की प्राप्ति होती है. 
श्री कृष्ण अष्टकम:
भगवान कृष्ण जल्दी प्रसन्न होते हैं, कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं, और सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 
हनुमान अष्टक:
हनुमान जी को प्रसन्न करने से हर तरह के संकट दूर होते हैं, जीवन में खुशियां आती हैं. 
गोपाल अष्टकम:
संतान प्राप्ति के लिए नियमित पाठ करने से संतान योग बनते हैं. 
भवानी अष्टकम:
यह अष्टकम भक्तों को भगवान की शरण में रहने और उनसे सब कुछ पाने का संदेश देता है. 
अष्टकम पाठ के सामान्य लाभ:
मानसिक शांति:
नियमित पाठ से मन शांत और स्थिर होता है. 
कष्टों से मुक्ति:
अष्टकम पाठ जीवन के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है. 
पाप नाश:
अष्टकम पाठ से पापों का नाश होता है. 
भक्ति और भाव में वृद्धि:
अष्टकम पाठ से भगवान के प्रति भक्ति और भाव में बढ़ोतरी होती है. 
सफलता:
अष्टकम पाठ से सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 
रोग और कष्टों से राहत:
अष्टकम पाठ से रोग और कष्टों से राहत मिलती है. 
साहस और आत्मविश्वास:
अष्टकम पाठ भय और चिंता को दूर कर साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है. 
धन-समृद्धि:
अष्टकम पाठ से जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है.

अष्टकम (Ashtakam) का पाठ

अष्टकम (Ashtakam) का पाठ करने से मन को शांति मिलती है, जीवन के कष्ट कम होते हैं, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है. 
विभिन्न अष्टकमों के लाभ:
नारायण अष्टकम:
नियमित पाठ से मन को शांति, आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है, जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है, पापों का नाश होता है, और धन-समृद्धि आती है. 
महालक्ष्मी अष्टकम:
भक्तिपूर्वक पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, पाप नष्ट होते हैं, और धन-अन्न की प्राप्ति होती है. 
श्री कृष्ण अष्टकम:
भगवान कृष्ण जल्दी प्रसन्न होते हैं, कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं, और सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 
हनुमान अष्टक:
हनुमान जी को प्रसन्न करने से हर तरह के संकट दूर होते हैं, जीवन में खुशियां आती हैं. 
गोपाल अष्टकम:
संतान प्राप्ति के लिए नियमित पाठ करने से संतान योग बनते हैं. 
भवानी अष्टकम:
यह अष्टकम भक्तों को भगवान की शरण में रहने और उनसे सब कुछ पाने का संदेश देता है. 
अष्टकम पाठ के सामान्य लाभ:
मानसिक शांति:
नियमित पाठ से मन शांत और स्थिर होता है. 
कष्टों से मुक्ति:
अष्टकम पाठ जीवन के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है. 
पाप नाश:
अष्टकम पाठ से पापों का नाश होता है. 
भक्ति और भाव में वृद्धि:
अष्टकम पाठ से भगवान के प्रति भक्ति और भाव में बढ़ोतरी होती है. 
सफलता:
अष्टकम पाठ से सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 
रोग और कष्टों से राहत:
अष्टकम पाठ से रोग और कष्टों से राहत मिलती है. 
साहस और आत्मविश्वास:
अष्टकम पाठ भय और चिंता को दूर कर साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है. 
धन-समृद्धि:
अष्टकम पाठ से जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है.

Wednesday, 12 March 2025

होलिका दहन स्तोत्र ।।

सभी देशवासियों को
        पावन होलिका दहन पर्व
                 की हार्दिक शुभकामनाएं !

।। होलिका दहन स्तोत्र ।।

होली जलाते समय या होली जलाने के बाद तीन या पांच परिक्रमा करने के पश्चात होलिका को दोनों हाथो से नमस्कार करके यह स्तोत्र बोलने से होलिका माता मनुष्य के सभी पापो को हर लेती है, सभी सन्तापों को हर लेती है, और सभी प्रकार से कल्याण करती है होलिका जगन्माता बन के सर्वसिद्धियाँ प्रदान करती हैं, सुखशान्ति प्रदान करती हैं।

                 * होलिका दहन स्तोत्र *

ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।

अर्थ-
ॐ, मैं उस महान् ज्योति का, अग्निदेव का ध्यान करता हूँ। वह (शुभ) अग्नि हमें (समृद्धि और कल्याण की ओर) प्रेरित करे।

पापं तापं च दहनं कुरु कल्याणकारिणि।
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः।।

होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव।।

वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव।।

अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः।
 अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।

 त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च।
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः।।

होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव।।

 वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव।।

अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः।
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।

त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च।
जल्पन्तु स्वेछ्या लोकाः निःशङ्का यस्य यन्मतम्।।

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय महाचक्राय महाज्वालाय दीप्तिरूपाय सर्वतो रक्ष रक्ष मां महाबलाय नमः।

ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय पराय परम पुरूषाय परमात्मने परकर्म मंत्र यंत्र औषध अस्त्र शस्त्राणि संहर संहर मृत्योर्मोचय मोचय ओम नमो भगवते सुदर्शनाय दीप्ते ज्वालादित्याय, सर्वदिक् क्षोभण कराय हूं फट् ब्रहणे परं ज्योतिषे नमः।

ॐ नमो भगवते सुदर्शनाय वासुदेवाय, धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय, सकला भय विनाशाय, सर्व रोग निवारणाय त्रिलोक पतये, त्रिलोकीनाथाय ॐ श्री महाविष्णु स्वरूपाय ॐ श्रीं ह्मीं ऐं औषधि चक्र नारायणाय फट्!!

ॐ ऐं ऐं अपराजितायै क्लीं क्लीं नमः।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं हूं हूं त्रैलोक्यमोहन विष्णवे नमः।

ॐ त्रैलोक्यमोहनाय च विद्महे, आदिकामदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।

ॐ तेजोरूपाय च विद्महे, विष्णु पत्न्यै धीमहि। तन्नो श्री: प्रचोदयात्।

इस साल होलिका दहन १३ मार्च २०२५ गुरुवार और १४ मार्च २०२५ को होली खेली जाएगी। होलिका दहन के लिए लकड़ी और उपले आदि एकत्रित किए जाते हैं। होलिका दहन से पूर्व उसमें गुलाल समेत अन्य सामग्रियां डाली जाती हैं। होलिका की अग्नि को अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि होलिका की अग्नि में कुछ विशेष चीजों को डालने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

   ।। पावनपर्व होलिका दहन की शुभकामनाएं ।।

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 🌼🍃 शिवपार्वतीपत्य नमः 🍃🌼
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Friday, 10 January 2025

रवि पुष्य योग



रवि पुष्य योग (रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र) में गूलर के फूल एवं कपास की रूई मिलाकर बत्ती बनाएं तथा उस बत्ती को मक्खन से जलाएं | फिर जलती हुई बत्ती की ज्वाला से काजल निकालें | इस काजल को रात में अपनी आंखें में लगाने से समस्त जग वश में हो जाता है | ऐसा काजल किसी को नहीं देना चाहिए |

मन्त्र



:-स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए नित्य एक माला महामृत्युंजय की जाप अवश्य करें। 40 दिन बाद से परिणाम दिखने प्रारंभ हो जायेगा।

:-जिन व्यक्तियों को कर्ज से राहत न मिल रही हो या खर्च ज्यादा हो, आवक कम हो, वे लक्ष्मीजी का  मंत्र प्रारंभ कर दें।  ऐश्वर्य, लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

मंत्र:-श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा

:- इस वर्ष गुरु उच्च के हो रहे हैं अत: जिन्हें भी दीक्षा लेने की इच्छा हो, व विद्वान से सलाह लेकर इस समय का लाभ उठा सकते हैं।

जिन व्यक्तियों के किसी भी कार्य में रुकावट हो, वे बसंत पंचमी से नित्य एक माला करें।

मंत्र- ॐ श्रीं श्रीं ॐ ॐ श्रीं श्रीं हूं फट् स्वाहा। ।

जिन व्यक्तियों को राज्य से या बड़े व्यक्तियों से कार्य में अड़चन आ रही हो, वे एक माला मकर संक्रांति से नित्य करें।

मंत्र- ॐ नमो भास्कराय त्रिलोकात्मने।
महपति वश्यं कुरु-कुरु स्वाहा। ।

महा वशीकरण मन्त्र :-



महा वशीकरण मन्त्र :-

ॐ पुरुष-क्षोभनी सर्व-शत्रु विद्रान्वी ॐ आम् क्रौम् ह्रीं जो ही मोह्य मोह्य क्षोभय क्षोभय अमुकी वशी कुरु वशी कुरु स्वाहा ||

प्रयोग करने से पहले मन्त्र का शुभ रात्रि में एकांत में नग्न होकर 3008 बार मन्त्र जप करके सिद्ध करे | फिर बाद में इसी विधि से रोज मन्त्र का इतनी ही मात्रा में नाम जोडकर जप करे जब तक की आपका काम न हो जाए | जल्द ही आपका कार्य पूरा होगा |

स्तम्भन मंत्र:-



स्तम्भन मंत्र:-

सिद्धि करने के बिधि :-
माला :-रुद्राक्ष (साधारण तरीके से संकरित )
दिशा:- पश्चिम
आसान /बस्त्र:- लाल
दिन :- अमाबस्या के मध्यरात्रि से सुरु
21 माला जाप से मंत्र सिद्धि होगा
सामान्य गुरु, गणेश पूजन करके गुरु मंत्र का एक माला और गणेश मंत्र का एक माला जाप करें फिर मूल मंत्र का जाप सुरु करें
घी का दिया और धुपबत्ती जलाके जाप करें
1 रात मे जाप पूरा करें
सात्विक भोजन और ब्राह्मचार्य का पालन करें

मंत्र :-
ॐ वं वं बं ह हं हं घ्रां ठः ठः।

इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद ही इसका प्रयोग करें। निगोही के बीज को 21 बार अभिमंत्रित करके जिस व्यक्ति पर भी फेंका जाए, वह स्तम्भित हो जाता है। यदि इसका प्रयोग रविवार या मंगलवार को किया जाए तो इसका प्रभाव अधिक दिखाई देता है।

कवच

कवच:-
 
इष्ट देवों की उपासनाओं में उनके नामों द्वारा उनका अपने शरीर में निवास तथा रक्षा की प्रार्थना करते हुए जो न्यास किये जाते है, वे ‘कवच' कहे जाते हैं । ये कवच न्यास और कवच स्तोत्रों के पाठ द्वारा सिद्ध होते हैं। सिद्ध होने पर साधक किसी भी रोगी पर इनके द्वारा झाड़ने-फूंकने की क्रिया करता है । कवच- स्तोत्र पाठ जप के पश्चात होता है । भोज-पत्र पर कवच लेखन, तिलक, जल अभिमंत्रण या ताबीज तथा अन्य चीजों को अभिमंत्रण (मंत्र से युक्त) करने का कार्य भी ‘कवच स्तोत्र' से होता है ।
जब मनुष्य को अपनी शारीरिक एवं मानसिक शक्तियों द्वार किसी कार्य की सिद्धि में सफलता नहीं मिलती तो वह अलौकिक शक्तियों का सहारा ढूंढ़ता है, इन अलौकिक शक्तियों को प्रसन्न करके अपना कार्य सिद्ध करना चाहता है । ऐसी शक्तियों को तंत्र, मंत्र एवं स्तोत्रों द्वारा प्रसन्न किया जाता है । किसी भी कामना-सिद्धि के लिए इन तंत्रों, मंत्री और स्तोत्रों को सिद्ध करना अत्यन्त आवश्यक है । इसके लिए विधि-विधान की आवश्यकता होती हे 

नजर झाड़ने का मंत्र:-

गुरु चरण दिया मन, श्री हरि मोक्ष कारण, देव-दानव-दैत्यादि, खाई नरसिंह वरा आसी सब उड़ाई आलाली पालाली चोटी चोटी हंकारे फूंकारि उड़ाव मारी शलि लेकर पांव पांव टुकरियां जाए, अनुकार अगे, डाईनेर दृष्टि, पलायकरा अक्षा वीर नरा सिंह आज्ञा।

विधिः सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, दीपावली, होली, दिवाली, नवरात्री में 108 बार मंत्र पढ़ने से सिद्ध होगा माला :- रुद्राक्ष 
आसान/बस्त्र:- काला 
दिशा:-पश्चिम 
रात के समय करें जाप 
मंत्र सिद्धि के बाद झाड़ा लोगाने केलिए पानी का छिटा मारे(7 बार मन्त्र पढ़के पानी को अभिमत्रित करके )या मौर पँख से झाड़ा लोगये झाड़ने का विधान है। इसी तरह इस मंत्र का प्रयोग करके दूसरे के साथ अपने ऊपर लगी नजर को झाड़ा जा सकता है।

श्री सूर्य देव भगवान जी की पूजा विधि



श्री सूर्य देव भगवान जी की पूजा विधि

रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा का
विधान है।

हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले देवता हैं।

हिंदू धर्म में सूर्य की उपासना अति शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है।

रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा के लिए करने के लिए प्रातः जल्दी सोकर उठें।
जब सूर्य उदय हो तब सूर्य देव को प्रणाम करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ या ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ कहकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें।

सूर्य को अर्पित किए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें।
सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
सूर्य को जल देने के बाद मन ही मन प्रणाम करें और सद्बुद्धि देने की कामना करें।
सूर्य देव के मंत्र जाप से सरकारी काम या सरकारी नौकरी या राजयोग बोनता हे जीवन मे इंसान सारे भौतिक सुख भोगता हे। 🙏🙏

महालक्ष्मी मंत्र (अक्षय भंडार) दिवाली के रात या धनतेरस के रात कर सकते हे

महालक्ष्मी मंत्र (अक्षय भंडार) दिवाली के रात या धनतेरस के रात कर सकते हे

ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।

विधिः शुभ तिथि व शुभ दिन प्रातः जप करना प्रारम्भ कर दें। कम-से-कम 1100 जप या ज्यादा से ज्यादा 11000 जाप करें हमेशा आपके बरकत लगा रहेगा जैसे दिन दुगुनी रात चौगुनी

माला -रुद्राक्ष
दिशा -पश्चिम
लाल -आसान /बस्त्र
11 माला जाप करें दिवाली या किसी शुभ मुहूर्त पे
गुरु, गणेश, माता लक्ष्मी के पूजन के बाद एक एक माला गुरु गणेश का जाप करते हुए मूल मंत्र का जाप करें आप पांचउपचार पूजन के बाद जाप सुरु करें

व्यापार वृद्धि के लिए

ब्यपार बृद्धि करने के मंत्र :-

व्यापार का दैनिक कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व यदि इस मंत्र का 108 बार उच्चारण करके दुकान खोलें और व्यापार का दैनिक कार्य प्रारंभ करें तो उस दिन बिक्री बढ़ती है और किसी प्रकार का कोई उपद्रव या परेशानी नहीं आती। इस मंत्र को सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है। नित्य दुकान खोलने से पूर्व एक माला फेरनी पर्याप्त है।
माला:- रुद्राक्ष।
समय:- दुकान खोलने के समय।
स्नान और साफ कपडे पहने और दुकान मे प्रबेश करें।
माला नहीं होने पर ऊँगली पे गिनती करते हुए मंत्र पढ़ सकते हे।
दुकान के गद्दी पे बैठ कर या दुकान खोलने के बाद मंत्र पढ़ कर ब्यपार सुरु करें आप।

मंत्रः- 
 ॐ श्री शुक्ले महाशुक्ले कमलदल निवासे महालक्ष्म्यै नमः

sidh mantra

 मंत्रः ॐ नमः वज्र का कोठा, जिसमें पिंड हमारा पैठा। ईश्वर कुंजी ब्रह्मा का ताला, मेरे आठों याम का यतो हनुमंत रखवाला।

1000 मंत्र जप करने से इसे सिद्ध करने के बाद 3 बार मंत्र के उच्चारण से कार्य संपन्न होता है।
और यह मंत्र से आप अपने सुरक्षा भी कर सकते हे जैसे आप अपने हातोली पे फूँक मारके के अपने शरीर पे हाथ फेरने से आपका रक्षा होता हे

सफ़ेद या काला रंग का आसान या बस्त्र का इस्तेमाल करें
सँस्कारित रुद्राक्ष माला जाप मे इस्तेमाल करें
भोग मे आपके सामने एक कोटोरी मे लड्डू रखें हनुमानजी केलिए
यह धुपबत्ती और घी का दीपक सामने रखें
फिर आप आसान के ऊपर बैठ कर माला जाप करें
किसी शुभ मुहूर्त मे यह अनुष्ठान कर सकते हे आप, या मंगलबार या शनिवार को करें।।